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मंत्री महेंद्र सिंह ने सपरिवार तोड़े नियम, प्रधानों को बुलाकर पहनाई टोपी, मास्क गायब

रितेश चौहान, फॉर इन हिमाचल, सरकाघाट।। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले के धर्मपुर विकास खण्ड में 7 अप्रैल को हुए पँचायत प्रधानों के चुनावों में चुने गए प्रधानों को एसडीएम धर्मपुर ने 9 अप्रैल को शपथ दिलाई थी। लेकिन प्रधानों की ‘राजनीतिक शपथ’ एक दिन पहले 11 अप्रैल को हुई जब जलशक्ति मंत्री और उनके परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में नवनिर्वाचित प्रधानों की विश्राम गृह ध्वाली में परेड की गई। यही नहीं, उन्हें भाजपा के चुनाव चिह्न वाली टोपियाँ पहनाकर भाजपा के प्रधान के रूप में घोषित किया गया।

ध्यान दें, सरकार पहले ही कोविड पर लगाम लगाने के लिए दिशा निर्देश जारी कर चुकी है जिसके तहत सबके लिए मास्क पहनना अनिवार्य है, भीड़ जुटाने पर रोक है और दूरी बनाकर रखना अनिवार्य है। यहां तक कि निजी कार में अकेले चलने पर भी मास्क पहनना जरूरी है लेकिन धर्मपुर में जलशक्ति मंत्री सपरिवार इन सब नियमों को तोड़ते नजर आए।

ऊपर कवर इमेज में आप देख सकते हैं कि भाजपा की टोपियाँ पहने इन प्रधानों के साथ खिंचवाये गये फ़ोटो में मन्त्री उनकी पत्नी, बेटी और बेटा जो पहली पंक्ति में बिना मास्क लगाये खड़े हुए हैं। उनके पीछे नवनिर्वाचित प्रधान खड़े हुए हैं और उन्होंने भी मास्क नहीँ लगाये हैं। सवाल उठ रहे हैं कि इस तरह सरकार के मन्त्री ही नियमों को तोड़ते हैं तो वे आम जनता के लिए क्या संदेश देंगे।

इस संबंध में पूर्व ज़िला परिषद सदस्य भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि धर्मपुर में जो भी पँचायत प्रतिनिधि चुने जाते हैं उन्हें भाजपा की टोपियाँ पहनना अनिवार्य बना दिया गया है। ऐसा ही दो माह पूर्व हुए पँचायत समिति सदस्यों के साथ किया गया था कि जिन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े और जीते थे उन्हें कथित तौर पर सम्मानित करने के बहाने परिणाम घोषित होने के बाद धर्मपुर में ही भाजपा के कार्यालय में ले जाया गया और वहां पर उन्हें भाजपा के चुनाव चिन्ह वाली टोपियाँ पहना कर औऱ सत्ता व सरकार के प्रभाव में भाजपा का प्रतिनिधि घोषित कर दिया गया था और सभी 22 सदस्यों को भाजपा का ही कह दिया गया था।

भूपेंद्र ने आरोप लगाया कि इसी तर्ज पर पिछले कल नवनिर्वाचित प्रधानों को भी मंत्री, उनके बेटे, पत्नी, बहु और बेटी के सामने ध्वाली विश्राम गृह में इकठ्ठा किया गया था और उन्हें भी भाजपा की टोपियाँ पहना कर पार्टी का पधाधिकारी घोषित कर दिया गया। भूपेंद्र सिंह ने कहा, “कुछ प्रधान जो मन्त्री और उनके परिवार द्वारा बुलाई गई इस परेड में शामिल नहीँ हुए, उन्हें अप्रत्यक्ष रूप में बोला जा रहा है कि उनकी पंचायतों में विकास कार्य नहीं होंगे। जबकि ये सबको मालूम है कि पँचायत के लिए मनरेगा व वितायोग का बजट सरकार से मनरेगा के जबकार्डों व उस पँचायत की जनसंख्या के आधार पर जारी होता है और इसमें कौन किस दल का है या नहीं, इसके अनुसार नहीं होता है। इसमें विधायक व मन्त्री का कोई रोल नहीं होता है और सब ग्राम सभा में पारित सेल्फ़ पर आधारित होता है।”

पूर्व जिला परिषद सदस्य ने कहा, “लेकिन धर्मपुर में मन्त्री और उनके बेटे व बेटी के दबाब में सभी को अपना प्रतिनिधि घोषित करने की कर्यप्रणाली प्रचलित है जो पंचायती राज क़ानून और जनतंत्र की मूल भावना के विरुद्ध है और यहां पर लोकतंत्र के बजाये राजतंत्र व परिवारराज क़ायम हो रहा है। जो भी प्रतिनिधि इस परिवारराज व राजतंत्र का विरोध करने की कोशिश करता है उसे कई तरह से प्रताड़ित करने का काम किया जाता है।”

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