शिमला।। हिमाचल प्रदेश की मंडियों में सेब के दामों में आ रही गिरावट को लेकर सभी किसान संगठन एकजुट हो गए हैं। प्रदेश में उगने वाली फसलों को एमएसपी के दायरे में लाने के लिए सभी राजनीतिक दलों के नेता संयुक्त मंच पर इकट्ठा हो रहे हैं।
सोमवार को शिमला के कालीबाड़ी हॉल में किसान-बागवानों से जुड़े मुद्दों को लेकर किसान संवाद का आयोजन किया गया। संयुक्त किसान मोर्चा के तहत यह संवाद आयोजित हुआ। इसमें बागवानों के अलावा किसान सभा, भाजपा, कांग्रेस व सीपीएम के नेता एक मंच पर इकट्ठा हुए।
किसान सभा के राज्य अध्यक्ष और संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्य कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि केंद्र सरकार जिन 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देती है, उनमें हिमाचल में उगने वाले मुख्य फल और सब्जियां शामिल नहीं है। प्रदेश में किसान अदरक, टमाटर, लहसुन, गोभी आदि फसलें उगाते हैं। इन्हें बाजारों में फसलों का उचित दाम नहीं मिल पाया है। जिस कारण लागत मूल्य की वसूली भी नहीं हो पाई है। ऐसे में ये किसान तबाह हुए हैं।
अब प्रदेश में सेब सीजन चरम पर है। मंडियों में एकाएक सेब के दाम गिर रहे हैं। ये इस बात का दर्शाता है कि सेब ख़रीदने वाली कम्पनियों, आढ़तियों, लदानियों पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। वे अपनी मनमर्जी से दाम घटाते और बढ़ाते हैं। प्रदेश के बागवान परेशान हैं और सरकार मूकदर्शक बनकर देख रही है।
इस मौके पर कांग्रेस नेता विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि बागवानों के मुद्दों को प्रमुखता से उठाना उनका पहला कर्तव्य है। वह विधायक होने के साथ-साथ एक बागवान भी है। बागवानों और किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर वह इस संयुक्त किसान मंच की बैठक में शामिल हुए हैं। विक्रमादित्य ने कहा कि सेब के दाम गिर रहे हैं और बागवानी मंत्री ने चुप्पी साध रखी है। सरकार पर पल्ला झाड़ रही है। इसका खामियाजा सरकार को आने वाले उपचुनाव में भुगतना पड़ेगा।