मंडी।। कोविड डेडिकेटेड सेंटर बीबीएमबी सुंदरनगर में एक कोरोना पॉजिटिव एक महिला की मौत का मामला चर्चा में आ गया है। घटना रविवार रात की है जिसमें 61 साल की महिला उर्मिला का निधन हो गया। महिला के आखिरी क्षणों में परिजनों द्वारा बनाया गया एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया जिसमें वे बेबसी से डॉक्टरों पर देरी से आने का आरोप लगा रहे हैं। इस वीडियो में डॉक्टरों की टीम महिला को रिवाइव करने की कोशिश करती दिख रही है मगर उनकी कोशिश नाकाम रहती है।
यह विचलित कर देने वाला वीडियो पोस्ट करने से पहले ‘इन हिमाचल’ ने काफी विचार किया क्योंकि इसके कुछ दृश्य बेहद विचलित कर देने वाले थे। आखिरकार महिला के चेहरे वाले हिस्से को लोगो से ढककर वीडियो को व्यापक जनहित में अपलोड किया गया। क्योंकि यह बताता है कि कोरोना की सेकेंड वेव जब हिमाचल में खतरनाक रूप लेती जा रही है, तब डेडिकेटेड कोविड सेंटरों में किस तरह के इंतजाम हैं।
मृतका के परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों से गुहार लगाते रहे मगर समय पर ख्याल न रखे जाने के कारण जान चली गई। अगर ऐसा है तो कल को इस तरह की घटना किसी के भी साथ हो सकती है। जरूरी है कि पहले ही इतना सजग रहा जाए कि किसी भी स्तर पर होने वाली लापरवाही या चूक को होने ही न दिया जाए।
‘इन हिमाचल’ ने चेतावनी के साथ इस वीडियो को पोस्ट किया था और साथ ही लिखा था कि विस्तृत जानकारी उपलब्ध करवाई जाएगी। जिस दौरान लोग इस वीडियो को अलग-अलग मंचों पर सर्च कर रहे थे, उस समय इन हिमाचल कोशिश कर रहा था कि मामले की तह तक जाया जाए। हमने मृतका के परिजनों से बात की और स्वास्थ्य अधिकारियों का भी पक्ष जानना चाहा। एक परिजन से तो बात हो गई मगर स्वास्थ्य अधिकारियों का पक्ष नहीं मिल सका।
महिला मंडी जिले के जोगिंदर नगर के घमरेहड़ गांव की रहने वाली थीं। ‘इन हिमाचल’ से बातचीत में मृतका के परिजन राकेश ने बताया कि वह डायबीटिक थीं और इसके अलावा उन्हें और कोई समस्या नहीं थी। उन्होंने जो बताया उसे हम उनके शब्दों में नीचे लिख रहे हैं-
“मरीज की दो-तीन दिन से तबीयत खराब थी। परसों (17 अप्रैल) को मरीज को प्राइवेट हॉस्पिटल में लेकर गए थे। कल (18 अप्रैल को) मरीज को जोगिंदर नगर के सरकारी अस्पातल ले गए। सांस की दिक्कत थी तो तुरंत ऑक्सीजन लगाई गई, लेकिन मरीज का ऑक्सीजन लेवल नहीं बढ़ रहा था। इसके बाद मरीज का कोरोना टेस्ट करवाया गया जो प़ॉजिटिव आया।”
“हमने मरीज को टांडा मेडिकल कॉलेज शिफ्ट करने की गुजारिश की लेकिन अस्पताल ने उन्हें बीबीएमबी रेफर कर दिया। हमसे डॉक्टर ने कहा कि मेरी बात हो गई है, आप निश्चिंत होकर वहां जाइए। हम दो घंटे के भीतर ही बीबीएमबी पहुंच गए थे। जह हम बीबीएमबी कोविड केयर डेडिकेटिड अस्पताल पहुंचे, रात के नौ से दस बजे के बीच का समय था। वहां पहले से ही पांच गाड़ियों में मरीज वेटिंग में थे। गाड़ी में जो ऑक्सीजन सिलेंडर था वो खत्म हो गया।”
“बाद में गाड़ी में ही मरीज को ऑक्सीजन लगाई गई वो भी एक घंटे बाद। इसके बाद मरीज को जैसे-तैसे अंदर लेकर गए। अंदर भी 10-15 मिनट लगाए गए। इसके बाद भी मरीज को चेक करने के लिए डॉक्टर नहीं आए। हम लगातार डॉक्टर को बुलाने के लिए गुहार लगाते रहे कि कम से कम डॉक्टर आकर चेकअप तो करे। इस दौरान मरीज का ऑक्सीजन लेवल काफी गिर गया था।”
“जब मरीज की ऑक्सीजन 20 पहुंच गई और हार्ट बीट 80 पहुंच गई थी और तभी मरीज को टांडा मेडिकल कॉलेज शिफ्ट करने की बात कही गई। वो बात भी नर्स ने कही, डॉक्टर ने नहीं। हमने कहा कि पहले मरीज का ऑक्सीजन लेवल पहले 30 से 35 था वो अब इतना कम रह गया है तो कैसे पांच घंटे में टांडा पहुंचेंगे? इस दौरान वो ऑक्सीजन सिलेंडर भी खत्म हो गया। जब सिलेंडर बदल ही रहे थे तो मरीज की मौत हो गई।”
चेतावनी: वीडियो के कुछ हिस्से विचलित कर सकते हैं
स्वास्थ्य अधिकारियों का पक्ष सार्वजनिक नहीं
इस घटना और मृतका के परिजनों की ओर से लगाए गए आरोपों को लेकर स्वास्थ्य विभाग का आधिकारिक पक्ष जानने के लिए सीएमओ मंडी डॉक्टर देवेंद्र शर्मा से फोन के जरिये संपर्क की कोशिश की गई मगर उन्होंने फोन नहीं उठाया। इस संबंध में जैसे ही स्वास्थ्य विभाग या अस्पताल की ओर से आधिकारिक प्रतिक्रिया आएगी, उसे ‘इन हिमाचल’ पर प्रकाशित किया जाएगा।
इस मामले के सबक
मृतका के परिजन की कही बातों से कुछ बिंदु स्पष्ट होते हैं। जैसे कि महिला की तबीयत खराब होने थी और बहुत ज्यादा बिगड़ने पर ही उन्हें अस्पताल लाया गया और बहुत बाद में कोविड टेस्ट हुआ। समय रहते उनका कोविड के लिए इलाज शुरू होता तो उनकी जान शायद बचाई जा सकती थी। ये शुरूआत में हुई गलतियां हैं जो बाकियों के लिए भी सबक हैं। किसी भी तरह के लक्षण आने पर उन्हें मामूली जुकाम समझकर घर पर बैठे रहकर तबीयत ज्यादा बिगड़ने का इंतजार न करें, तुरंत कोविड टेस्ट करवाएं ताकि पॉजिटिव पाए जाने पर तुरंत समय रहते इलाज शुरू हो सके।
साथ ही, परिजनों का यह दावा भी परेशान करने वाला है कि जब वे बीबीएमबी पहुंचे तो पहले से कुछ मरीज एडमिट होने का इंतजार कर रहे थे। यह भी गंभीर आरोप है कि गाड़ी में मरीज का ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो गया और एक घंटे का इंतजार करना पड़ा। फिर उसके बाद भी सिलेंडर गाड़ी में ही बदला गया और बहुत मुश्किलों के बाद मरीज को एडमिट किया गया। यही नहीं, आरोप है कि अस्पताल में भी डॉक्टरों ने समय रहते अटेंड नहीं किया और हालत गंभीर हो गई। जब परिजनों के आऱोपों के मुताबिक, ऑक्सीजन देने पर भी महिला के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर नहीं बढ़ रहा था तो अगला कदम क्यों नहीं उठाया गया। अगर महिला को वेंटिलेटर पर रख दिया जाता तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। मगर हुआ यह कि ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म हो गया और उसे बदलने से पहले ही महिला की जान चली गई।
यह पूरा मामला गंभीर लापरवाही की ओर इशारा करता है। इससे कई सवाल उठ रहे हैं, जिनपर ‘इन हिमाचल’ जल्द ही विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित करेगा।