शिमला।। हिमाचल प्रदेश में कोरोना संकट के बीच सरकार के सामने इस तरह की बहुत सारी मांगें और सुझाव आने का सिलसिला तेज हो गया है कि कोविड वॉर्ड में सीसीटीवी इंस्टॉल किए जाएं ताकि बाहर बैठे परिजन देखते रहें कि अंदर उनके परिजनों की क्या स्थिति है और उनकी सही से देख-रेख की जा रही है या नहीं।
दरअसल, कई जगहों पर बगैर पीपीई किट किसी को भी कोविड वॉर्ड में जाने की इजाजत नहीं है। डॉक्टरों और अन्य अधिकृत स्टाफ के अलावा, कोई वहां दाखिल नहीं हो सकता। ऐसे में परिजनों को यह चिंता लगी रहती है कि अंदर उनके मरीज की हालत क्या है।
पिछले दिनों कुछ लोगों की कोरोना से मौत होने के बाद उनके परिजनों ने आरोप लगाए कि कोविड वॉर्ड में सही से उनके मरीज की देखभाल नहीं की गई और यही मौत की वजह भी बन गई। कइयों को आरोप है कि कोविड सेंटर का स्टाफ उन्हें गुमराह करता रहा और यह समय पर यह जानकारी नहीं दी जा रही कि मरीज की हालत क्या है।
ऐसे में कई सारे लोगों ने सुझाव दिए कि अगर कोविड वॉर्ड में सीसीटीवी लग जाए तो यह चिंता थोड़ी दूर हो जाएगी। हालांकि, सरकार का कहना है कि अब यह व्यवस्था कर दी गई है कि कोरोना वॉर्ड के मरीजों का अतिरिक्त ध्यान रखा जाए। पिछले हफ्ते तारीख को सीएम ने कहा था कि आईजीएमसी, टांडा और नेरचौर में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि हर फ्लोर पर एक व्यक्ति मौजूद रहे और किसी मरीज को दिक्कत होने पर नर्स और डॉक्टर को बुला लिया जाए।
हालांकि, इस संबंध में मेडिकल क्षेत्र के कुछ लोगों का कहना है कि सीसीटीवी लगाना सही नहीं होगा क्योंकि यह मरीजों की निजता का उल्लंघन कर सकता है। उनके मुताबिक, कई बार किसी मरीज की जान बचाने में अपनाए जाने वाले जटिल मेडिकल प्रोसीजर्स करने पड़ते हैं जिन्हें बाहर बैठे लोगों को सीसीटीवी के माध्यम से दिखाना उन्हें विचलित कर सकता है।
हालांकि, इस तर्क का विरोध करने वाले कुछ लोगों का कहना है कि अगर विचलित करने की ही बात है तो सबसे ज्यादा सावधानी तो अन्य मरीजों को लेकर बरतनी जानी चाहिए। मगर कोविड वॉर्ड मे ंएकसाथ बहुत से मरीज रखे जाते हैं जो सब कुछ देख सकते हैं। इसलिए निजता और विचलित करने की बात बेमानी है।
बता दें कि भले ही हिमाचल सरकार ने कोविड वॉर्डों में सीसीटीवी लगाने की मांग को अभी तक गंभीरता से नहीं लिया है मगर देश के कई राज्यों में ऐसी जगहें हैं, जहां अस्पतालों में पिछले साल फर्स्ट वेव के दौरान ही सीसीटीवी लगा दिए गए थे। इससे मरीजों ही नहीं, बल्कि डॉक्टरों को भी निगरानी करने में सुविधा होती है।