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लंगर विवाद: समर्थन में उतरे विक्रमादित्य मगर ‘बॉबी समर्थकों’ ने घेरा

शिमला, विनोद भार्गव, फॉर इन हिमाचल।। आईजीएमसी लंगर विवाद में शिमला ग्रामीण के विधायक विक्रमादित्य सिंह भी कूद गए हैं। उन्होंने शाम पांच बजे रिज पर लोगों को विरोध करने के लिए बुलाया है। लेकिन इस संबंध में उन्होंने जो पोस्ट डाली है, उसमें समर्थन के साथ-साथ विरोध वाले कॉमेंट भी आए हैं।

हैरानी की बात ये है कि विरोध करने वाले भी सरबजीत सिंह बॉबी के समर्थन में बात कर रहे हैं। कुछ लोग कॉमेंट कर रहे हैं कि इस पूरे मामले के लिए विक्रमादित्य भी जिम्मेदार हैं क्योंकि जिस समय बॉबी को लंगर के लिए यह जगह अलॉट की गई थी, तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी मगर प्रक्रिया को कानूनी रूप नहीं दिया गया था। इसी बात को लेकर लोग विक्रमादित्य पर सवाल उठा रहे हैं।

एक यूजर ने कॉमेंट किया कि ‘वैसे तो विक्रमादित्य वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से करीबी का हवाला देते हैं और आज सुबह ही इस संबंध में उन्होंने एक पोस्ट डाला है, फिर भी उन्होंने बॉबी की समस्या को सुलझाने की कोशिश नहीं की।’ हालांकि, खबर लिखे जाने तक इस तरह के विरोध वाले कॉमेंट अब विक्रमादित्य के पेज से गायब हो चुके हैं या संभवत: डिलीट कर दिए गए हैं।

ससुराल में बहू सुदर्शना के पहले जन्मदिन पर बॉबी के लंगर में पहुंचे थे वीरभद्र सिंह

बॉबी को करीब से जानने वाले एक शख्स ने नाम न छापने की शर्त पर दावा किया कि बॉबी लंबे समय से विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे। इस सिलसिले में उन्होंने विक्रमदित्य समेत अन्य कई नेताओं के साथ मुलाकात की थी मगर हर ओर से  आश्वासनों के अलावा जमीन पर कोई समाधान नहीं निकला। अब लंबे समय की खींचतान के बाद बीती शाम आईजीएमसी प्रशासन ने पुलिस की मदद से वह जगह खाली करवा दी जहां यह लंगर चल रहा था।

इस मामले को लेकर लोगों में नाराजगी देखने को मिल रही है मगर आईजीएमसी प्रशासन का कहना है कि बॉबी की संस्था भले परोपकारी काम कर रही हो मगर वह जगह लंगर की जगह 108 के ड्राइवरों के लिए बनी थी और उस पर अवैध कब्जा है। आरोप है कि बॉबी की संस्था के पास वहां बिजली और पानी का वैध कनेक्शन भी नहीं है।

राजनीतिक पहलू की चर्चा
दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के करीबी रहे बॉबी शिमला सिटी से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ने के भी इच्छुक बताए जाते हैं, हालांकि बॉबी ऐसे दावों को खारिज करते रहे हैं। गौरतलब है कि बॉबी ने इस साल 22 जनवरी को रिज पर धरना दिया था तो 31 मार्च तक लंगर वाली जगह खाली करने की बात कही थी। अस्पताल प्रशासन उन्हें लंगर के लिए नई जगह देने को तैयार था मगर उन्होंने यह जगह खाली नहीं की।

शिमला में एक वर्ग में यह भी चर्चा है कि जानबूझकर बॉबी ने यह जगह खाली नहीं की ताकि इस मामले पर वह भावनात्मक समर्थन बटोर सकें। एक वरिष्ठ पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें हैरानी नहीं होगी अगर इस हंगामे के बाद बॉबी यह एलान कर दें कि वह ‘सिस्टम के खिलाफ लड़ाई जारी रखने के लिए 2022 का चुनाव लड़ेंगे।’

हालांकि एक बड़े वर्ग का मानना है कि ऐसी बातें यूं ही फैलाई जा रही हैं और बॉबी निस्वार्थ भावना से परोपकारी कार्यों में जुटे हुए हैं। उनका यह भी कहना है कि अगर अवैध या गैरकानूनी कब्जे के खिलाफ ही कार्रवाई करनी हो तो सभी जगह समान रूप से की जाए, किसी को निशाना न बनाया जाए।

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