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बच्ची का शव ले जाने के लिए चार घंटों तक अस्पताल में गुहार लगाते रहे परिजन

बिलासपुर।। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के सरकारी अस्पताल से एक गरीब परिवार की बेबसी की कहानी सामने आई है। साढ़े तीन साल की एक बच्ची की मौत के बाद उसका शव ले जाने के लिए परिजनों को घंटों तक एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ा।

परिजनों ने पत्रकारों को बताया कि उन्हें अस्पताल प्रशासन की तरफ से कोई सहयोग नहीं मिला। बाद में उपायुक्त बिलासपुर ने मामले की जानकारी मिलने पर गाड़ी भिजवाकर उन्हें घर भेजने का इंतजाम किया।

जिला मंडी के बलद्वाड़ा की महिला ज्योति बाला अपनी साढ़े तीन साल की बेटी को इलाज के लिए जिला अस्पताल बिलासपुर लाई थीं। बेटी की हालत ठीक न होने के कारण उसे वहां भर्ती कर लिया गया था। यहां शनिवार रात को करीब 3 बजे बेटी की मौत हो गई। इससे पहले बच्ची का इलाज पीजीआई में हुआ था।

इस दौरान बच्ची की नानी भी अस्पताल में उनके साथ मौजूद थी। बच्ची की नानी सरला ने बताया कि शनिवार साढ़े तीन बजे से वह गुड़िया के शव के साथ अस्पताल में मौजूद सुरक्षा कर्मी और ड्यूटी पर तैनात स्टाफ से सहायता की गुहार लगाती रही कि उन्हें अस्पताल की तरफ से घर जाने के लिए किसी वाहन की व्यवस्था कर दी जाए।

उनका कहना है कि सभी ने यह कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया कि अस्पताल में इस प्रकार की कोई सुविधा नहीं है। पीड़ित परिवार को निजी वाहन को किराये पर ले जाने की सलाह दी गई। बच्ची की मां और नानी ने बताया कि वे आर्थिक रूप से इतने समृद्ध नहीं है। अस्पताल प्रशासन से मदद न मिलने से उन्हें 4 घंटे तक एंबुलेंस के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा।

‘अमर उजाला’ की एक खबर के अनुसार, इस बारे में एमएस राजेश आहलुवालिया का कहना है कि उन्हें किसी ने इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है। फिर भी वे अपने स्तर पर मामले की जांच करेंगे। वहीं डीसी बिलासपुर राजेश्वर गोयल ने कहा कि जानकारी मिलने पर पीड़ित परिवार को वाहन मुहैया करवा दिया गया था। उन्होंने कहा कि अस्पताल प्रबंधन से इस बारे में पूछा जाएगा और अगर कोई दोषी हुआ तो कार्रवाई की जाएगी।

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