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बादल फटने का पूर्वानुमान लगाने वाला उपकरण बनाने की तैयारी

कुल्लू।। एक संस्थान ने दावा किया है कि वो दो साल के अंदर ऐसा उपकरण विकसित करेगा, जिससे यह पता लगाया जा सकेगा कि बादल कहां फट सकता है। जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान ने बताया है कि वह ऐसा यंत्र बनाने की दिशा में काम कर रहा है ताकि भारी बारिश से होने वाले नुकसान से बचा जा सके।

संस्थान का दावा है कि वह दो साल में ऐसा यंत्र बना लेगा, जिससे बादल फटने की घटनाओं का पता 48 घंटे पहले ही चल जाएगा। बादल फटना वास्तव में एक ही जगह पर कम समय में बहुत ज्यादा बारिश होने के कहा जाता है।

इस प्रोजेक्ट पर जीबी पंत संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. रेणुलता, सीएसईआर से डॉ. केसी गौड़ा, डॉ. जीएन महापात्रा, शोधार्थी शायन्ता घोष, रजत ठाकुर काम कर रहे हैं। इसमें सीएसईआर बंगलूरू के आधुनिक तकनीक वाले सुपर कंप्यूटर की भी मदद ली जाएगी।

इस बारे जीबी पंत हिमालयी पर्यावरण संस्थान, मौहल के वैज्ञानिक राकेश कुमार ने बताया कि कुल्लू में वैज्ञानिकों की ओर से एक ऐसा यंत्र बनाया जाएगा। दो साल में यह यंत्र बना लिया जाएगा। इससे हर गांव का एकदम सही तापमान और बारिश का पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा। इसके अंतर्गत बादल फटने जैसी घटनाओं का पूर्वानुमान भी लग पाएगा।

कुल्लू जिले में बादल फटने और भूस्खलन जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं। कुल्लू-मनाली में बरसात हर साल तबाही का मंजर लेकर आती है। हर साल यहां कई लोगों की जानें चली जाती हैं। करोड़ों की संपत्ति को नुकसान हो रहा है। जिला में हर साल बादल फटने की घटनाएं बढ़ने लगी हैं, जो चिंता का विषय है।

आसान शब्दों मे जानें, आखिर ‘बादल फटना’ होता क्या है

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