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टी-टूरिज़म के नाम पर कांगड़ा चाय के बागान नहीं बिकने देंगे: जीएस बाली

शिमला।। पिछली कैबिनेट बैठक में वीरभद्र सरकार ने चाय के चुनिंदा बागान को ‘टी-टूरिज़म’ के नाम पर कुछ शर्तों के साथ बेचने की इजाजत दी थी। इसले लिए हिमाचल ले लैंड सीलिंग ऐक्ट के प्रावधानों में छूट दी गई थी। खबर आई थी कि सरकार के कुछ मंत्रियों ने कैबिनेट में इसका विरोध किया था, मगर अब एक मंत्री इस मामले में खुलकर अपनी सरकार के रुख के खिलाफ आ गए हैं। परिवहन मत्री जी.एस. बाली ने कहा है कि मैंने कैबिनेट में भी इस कदम का विरोध किया था और आगे भी करता रहूंगा।

 

परिवहन मंत्री ने कहा है, ‘टी-टूरिज्म के नाम पर गार्डन की जमीन को बेचने का प्रयास सरासर गलत बात है। चाय के बागान कांगड़ा की पहचान हैं और इन्हें खत्म नहीं होने दिया जाएगा। मैंने कैबिनेट में भी इसका विरोध किया था और आगे भी करूंगा।’

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कांगड़ा से संबंध रखने वाले परिवहन मंत्री ने कहा, “1972 में बने लैंड सीलिंग ऐक्ट के तहत सरकार ने जमीन की अधिकतम सीमा तय की थी और इससे ज्यादा लैंड को सरकार ने अपने पास रख लिया था। इसके तहत राज्य के कई लोगों को अपनी जमीनें सरकार को देनी पड़ी थीं. मगर चाय और सेब की जमीनों को इस ऐक्ट से इस शर्त पर बाहर रखा था कि वे अपनी जमीनें नहीं बेच पाएंगे।”

परिवहन मंत्री ने कहा कि इन दोनों जमीनों को इस तर्क के आधार पर ऐक्ट से बाहर रखा गया था कि सेब और कांगड़ा टी हिमाचल की पहचान हैं। 45 सालों तक इन जमीनों को मालिकों ने बचाकर रखा और अब टी-टूरिज़म के नाम पर वे इसे बेचना चाहते हैं, जो कि गलत है।

 

गौरतलब है कि बीजेपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल भी कांग्रेस सरकार के इस फैसले की आलोचना कर चुके हैं।

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