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गायों के लिए मंदिरों और शराब से लिया जा रहा पैसा कहां जा रहा है?

अमित पुरी, धर्मशाला।। हिमाचल में प्रदेश में बेसहारा गायों के मरने की घटनाएं आम होती जा रही हैं।हिमाचल प्रदेश सरकार ने गाय और गोवंश को बचाने के लिए दावे तो बहुत किए मगर जमीन पर हालात कुछ और ही हैं। हिमाचल में शराब की बोतल पर एक रुपया सेस लगाया जा रहा है, मंदिर के चढ़ावे का 15 प्रतिशत हिस्सा लिया जा रहा है मगर इसके बाद से गायों के लिए काम होना चाहिए था, शायद सरकार उसे भूल गई है।

हिमाचल प्रदेश के अधिकतर गौ सदनों की हालत इस समय बुरी है। कहीं चारा उपलब्ध नहीं है तो कहीं पानी की किल्लत है। डॉक्टरों की सुविधा मिल जाए तो बड़ी बात। धर्मशाला के एकमात्र गोसदन की बात करें तो यहां पर 65 की क्षमता वाले सदन में 90 से ज्यादा गायें हैं।

जिस समय हम वहां पहुंचे, दो गाएं मृत मिलीं जिन्हें उठाया नहीं गया था। इनमें कीड़े तक पड़ते नजर आ रहे थे। प्रशासन की सुस्ती के कारण अन्य जानवरों के बीमार होने का भी खतरा बना हुआ था। इन गायों की देखभाल के लिए यहां मात्र तीन कर्मचारी हैं। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं।

धर्मशाला नगर निगम के मेयर देवेन्द्र जग्गी का कहना था कि मामला उनके ध्यान में आया है। उनका कहना था कि दो गायों के मरने की जांच होगी यह भी पता किया जाएगा कि उन्होंने अधिकारियों को सही समय पर इसकी सूचना क्यों नहीं दी।

मगर सवाल ये है कि जब धर्मशाला जैसे बड़े शहर, जिसे दूसरी राजधानी के तौर पर प्रचारित किया जाता है, वहां की गोशाला की ऐसी हालत है तो अन्य जगहों पर क्या हालत होगी। वैसे भी गोसदनों की गायों की पूछ तो गाहे-बगाहे हो जाती है। मगर प्रदेश की सड़कों पर चक्कर काटती हजारों गायों के बारे में कोई सोचता तक नहीं।

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