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गुड़िया केस में अब पैसों वाले ऐंगल की जांच कर रही है सीबीआई

शिमला।। पूरे हिमाचल को हिलाकर रख देने वाले शिमला के कोटखाई रेप ऐंड मर्डर केस में अब सीबीआई अब पुलिस द्वारा मामले को तुरंत निपटाने के पीछे पैसे के ऐंगल की जांच पर फोकस कर रही है। अंग्रेज़ी अखबार द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक प्रमुख संदिग्धों के खिलाफ कोई भी ठोस सबूत न मिलने के बाद अब इस ऐंगल पर तफ़्तीश की जा रही है।

गौरतलब है कि पुलिस पर असल दोषियों को बचाने के आरोप लगने के बाद मामला सीबीआई को सौंपा गया था। अब सीबीआई पैसों के ऐंगल से पुलिस की भूमिका की भी जांच कर रही है क्योंकि अभी तक पकड़े गए चार आरोपियों (पांचवें की हिरासत में हत्या कर दी गई थी) के खिलाफ ठोस सबूत हाथ नहीं लगा है।

‘Did cops hush up rape case for crores?‘ शीर्षक वाली रिपोर्ट में लिखा गया है, “चूंकि यह साफ है कि पुलिस ने मामले को दबाने की कोशिश की, ऐसे में पैसे का पता लगाना महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इससे असल दोषियों तक पहुंचा जा सकता है। पुलिस द्वारा मजदूरों को केस में जोड़ने के बाद से ही 3 से 13 करोड़ के लेन-देन की अफवाहें चल रही हैं।”

इस मामले में सीबीआई अब तक आरोपियों के ब्रैन मैपिंग से लेकर कई साइंटिफिक टेस्ट कर चुकी है लेकिन कोई भी ठोस बात निकलकर सामने नहीं आई है। इससे उन आरोपों को बल मिल रहा है कि एसआईटी ने असली गुनहगारों को बचाने के लिए निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर लिया।

आरोपियों के सैंपल नहीं हुए थे मैच
इससे पहले पुलिस द्वारा आरोपियों के लिए गए सैंपल घटनास्थल और मृतका के शरीर से मिले सबूतों से मैच नहीं हुए थे। इनमें से एक आरोपी सूरज की 18 जुलाई को रात साढ़े 11 बजे के करीब बेरहमी से हत्या हो गई थी। अख़बार के मुताबिक इसके बाद डीएसपी मनोज जोशी तुरंत एसपी डीडब्ल्यूनेगी के पास गए और दोनों फिर आईजी ज़हूर एच जैदी से मिले, जो एसआईटी की अगुवाई कर रहे थे। अगली सुबह साढ़े बजे सूरज की हिरासत में हुई मौत को लेकर सुबह साढ़े 8 बजे जेल में ही बंद अन्य संदग्ध राजिंदर पर एफआईआर दर्ज की गई।

रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई ने गिरफ्तार किए गए पुलिसवालों के खिलाफ काफी सबूत इकट्ठे कर लिए हैं और हिरासत में मौत के मामले में चार्जशीट लगभग तैयार है।

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