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नेताओं का दुलारा, हिमाचल का विवादित बाबा- अमरदेव

सोलन।। राजनीति और तथाकथित धर्मगुरुओं का मेल कितना खतरनाक साबित हो सकता है, यह हमें कई बार देखने को आया है। हिमाचल के कुछ अखबारों ने हाल के दिनों में सोलन के साधुपुल के मंदिर के बारे में और यहां के संस्थापक बाबा अमरदेव के बारे में लंबे लंबे आर्टिकल छापे हैं। वे बता रहे कि कैसे यहां बड़े-बड़े नेता आ रहे। मगर पहले काफी खुलकर रिपोर्टिंग करने वाले कुछ अखबार अब इसका जिक्र नहीं कर रहे कि इस मंदिर और बाबा के साथ क्या विवाद जुड़े हैं। यानी वे सिर्फ इस मंदिर का विज्ञापन कर रहे। हम बताते हैं इस मंदिर का और इसके बाबा से जुड़े विवाद का इतिहास

सोलन के रामलोक आश्रम के विवादित बाबा ‘अमरदेव’ जानवरों की खालों की तस्करी से लेकर तलवार से महिला को जख्मी करने जैसे मामलों में अभियुक्त रहे हैं। मगर पहुंच ऐसी कि रातो-रात पूरा पुलिस स्टेशन ट्रांसफर हो जाता है। नज़र डालते हैं, क्या हैं बाबा को लेकर अब तक के प्रमुख घटनाक्रम। जानिए, किस दिन बाबा को लेकर क्या खबर छपी थी। साथ में हाइपरलिंक पर क्लिक करके आप उस संबंध में पूरी खबर पढ़ सकते हैं:

22 अप्रैल, 2016: आश्रम से खालें बरामद, बाबा अरेस्ट
साधुपुल के समीप रामलोक मंदिर में रहने वाले हाई प्रोफाइल बाबा अमरदेव के पास तेंदुए की चार खालें मिलने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। प्रदेश सीआईडी की टीम ने साधुपुल के समीप रूढ़ा में रामलोक मंदिर से चार तेंदुए की खालें बरामद की थीं। ‘दिव्य हिमाचल’ अखबार ने लिखा था– ‘अमरदेव की गिरफ्तारी से कई मंत्रियों व अधिकारियों में भी हड़कंप मच गया है। स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री धनीराम शांडिल, एसपी प्रदेश विजिलेंस रमेश छाजटा भी बाबा अमरदेव के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए अकसर आते रहते थे।’

25 जुलाई, 2016: बाबा के अवैध कब्जे को नियमित करने की तैयारी
‘हिमाचल अभी अभी’ ने लिखा– बाहरी राज्य के बाबा पर वीरभद्र सरकार भी मेहरबान दिख रही है। अवैध रूप से बनकर तैयार श्री रामलोक मंदिर को नियमित करने पर कैबिनेट में सहमति बनती दिख रही है। जिस भूमि को दबाकर मंदिर बनाया गया है, वह कभी पंचायत के सामुदायिक भवन के लिए सरकार ने पंचायती राज विभाग को दी थी। इस पर कब्जे के बाद विवाद बढ़ा तो डीसी सोलन को कब्जा छुड़ाने की प्रक्रिया चलानी पड़ी। मगर जैसे ही सरकार के कुछ मंत्री इस सारे खेल में पड़े, वैसे ही जिला प्रशासन सोलन को कब्जा छुड़ाने की प्रक्रिया रोकनी पड़ी।

26 अप्रैल, 2017: तलवार के वार से महिला ज़ख्मी, बाबा की धुनाई
बाबा अमरदेव पर आरोप एक महिला पर तेजधार हथियारों से हमला करने का। महिला के पेट में गहरा ज़ख्म आया उसे अस्पताल में भर्ती किया गया। लोग भड़क गए और उन्होंने बाबा की धुनाई कर दी।

पुलिस आई और बाबा को थाने ले जाकर बयान दर्ज किया गया। पंजाब केसरी अखबार ने दावा किया कि बाबा के बड़े लिंक हैं। मंत्री धनी राम शांडिल, कौल सिंह और ठाकुरसिंह भरमौरी यहां हाजिरी भरते हैं। इससे पहले बाबा ने पत्रकारों के गले काटकर माला बनाने की धमकी भी दी थी। बाबा ने कहा मुझे जलाने की कोशिश हुई।

7 मई, 2017: आईजीएमसी जाकर बाबा से मिले वीरभद्र
रविवार के दिन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह शिमला के आईजीएजी जाकर मिले और हालचाल पूछे।

9 मई, 2017: पूरे कंडाघाट पुलिस स्टेशन का तबादला
सीएम से मुलाकात के 48 घंटों के अंदर ही कंडाघाट पुलिस स्टेशन पर तैनात 18 पुलिसकर्मियों का तबादला कर दिया गया। पूरे इलाके में लोग पुलिसकर्मियों के इस तबादले को बाबा अमरदेव के हिमाचल सरकार के एक मंत्री से रिश्ते और मुख्यमंत्री से मुलाकात के साथ जोड़ रहे हैं। अमर उजाला के मुताबिक एसपी सोलन ने कंडाघाट के एसएचओ दलीप सिंह समेत 18 पुलिस कर्मियों का तबादला किया है। एसआई संदीप कुमार को एसएचओ कंडाघाट लगाया गया।

14 मई, 2017: कंडाघाट के 35 गांवों की महापंचायत
35 गांवों की महापंचायत ने फैसला किया है कि बाबा को गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा। इस बीच सोलन के उपायुक्त राकेश कंवर ने रामलोक मंदिर का जायजा लिया। उपायुक्त ने विश्वास दिलाया कि मसले का सौहार्दपूर्ण तरीके से हल निकाला जाएगा। इस दौरान ग्रामीणों ने डीसी से आग्रह किया कि सरकार को अवगत करवाया जाए कि रूढ़ा गांव में बाबा अमरदास को स्थानीय लोग नहीं रखना चाहते।

17 मई, 2017: बाबा की गाड़ी में मिला वायरलेस सेट
दिव्य हिमाचल अखबार ने लिखा– बाबा अमरदेव की लग्जरी गाड़ी में वायरलेस सेट पाया गया है। इस प्रकार का वायरलेस सेट केवल सरकारी वीआईपी गाडि़यों में ही होता है। बाबा की निजी गाड़ी में इस सेट के मिलने के बाद जांच एजेंसियों के भी कान खड़े हो गए हैं।

गौरतलब है कि इसी दिन से आईजी दक्षिण रेंज जहूर हैदर जैदी ने जांच शुरू की थी। इसके बाद से जांच की दिशा ही बदल गई। कैसे, जानने के लिए आगे पढ़ें।

25 मई, 2017: पुलिस की मौजूदगी में बाबा की गाड़ियां रवाना
हिंदी अखबार पंजाब केसरी ने लिखा– बाबा अमरदेव की महंगी गाड़ियां उनके ही समर्थक ले गए हैं। बुधवार को बाबा के समर्थक यहां पहुंचे और मंदिर के आंगन में खड़ी गाड़ियों को ले गए। अभी तक यह साफ नहीं हो पाया है कि यह गाड़ियां कहां ले जाई गई हैं। बताया जाता है कि गाड़ियां पुलिस की मौजूदगी में ले जाई गईं।

3 जून, 2017: पुलिस ने बाबा को किया गिरफ्तार
जमानत रद्द होने से पहले ही बाबा के वकील ने जमानत की अर्जी वापस ले ली। इस वजह से बाबा को पुलिस के सामने सरेंडर करना पड़ा। बाबा को अब कोर्ट में पेश किया जाएगा। हिंदी अखबार पंजाब केसरी की रिपोर्ट के मुताबिक बाबा की गिरफ्तारी पर लोगों ने खुशी जताई।

6 जून, 2017: बाबा को न्यायिक हिरासत
एमबीएम न्यूज नेटवर्क ने लिखा, ‘अदालत में सीआईडी ने कहा था कि बाबा अपना असली नाम तथा पता नहीं बता रहा है। इसकी गहनता से जांच हो सके इसलिए सीआईडी ने अदालत से बाबा के रिमांड की मांग की थी। सीआईडी की मांग पर अदालत ने बाबा को तीन दिन के पुलिस रिमांड पर भेज दिया था। मगर फिर बाबा को अदालत ने 14 जून तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।’ 15 जून, 2017 को बाबा की न्यायिक हिरासत 24 जून तक बढ़ाई गई।

17 जून, 2017: बाबा को वीआईपी ट्रीटमेंट
24 जून तक न्यायिक हिरासत में चल रहे बाबा को 8 जून को क्षेत्रीय अस्पताल सोलन में भर्ती करवाया गया था। बाबा ने जोड़ों में दर्द, बाईं ओर सुन्नपन और बार-बार उल्टियां आने की शिकायत की थी। पंजाब केसरी ने लिखा– इस बाबा का शिमला रेफर कर दिया गया है मगर वह यह पिछले 3 दिन से वीआईपी विशेष कक्ष नंबर 1 में रह रहा है और वीआईपी सेवाएं ले रहा है। 20 जून को बाबा को जमानत मिली।

111 करोड़ खर्च
इस मंदिर पर 111 करोड़ रुपये खर्च होने की जानकारी सामने आई। इस राम लोक मंदिर में जो अष्टधातु से निर्मित भगवान राम की मूर्तियां स्थापित की गई हैं, दावा है कि वह विश्व में सबसे बड़ी मूर्तियां है। (स्रोत)

जेल से छूटते ही ज़ैदी ने लगाई हाजिरी
गुड़िया मामले में जेल में बंद आईजी ज़हूर जैदी ने जमानत मिलते ही सबसे पहले रामलोक मन्दिर में हाजिरी लगाई।

ध्यान रहे कि जैदी ने ही 2017 में बाबा अमरदेव पर लगे आरोपों की जांच की थी और उनके हाथ में मामला आने के बाद अचानक पुलिस कथित तौर पर नरम हो गई थी। तब सवाल उठे – आम आदमी अगर इतनी गड़बड़ियां करता पाया जाता तो शायद ही पुलिस इतनी नरमी से पेश आती।

यह रही सोलन जिला के रूढ़ा गांव में अवैध ढंग से रामलोक आश्रम बनाने के आरोपी बाबा अमरदेव की अब तक की टाइमलाइन। वैसे इस आश्रम में करोड़ों की कीमत की मूर्तियां बताई जाती हैं। कहां से आई हैं, क्या सीन है। महंगी गाड़ियां कहां से आईं बाबा के पास और फिर कौन ले गया। सरकार से क्यों इतनी पहुंच है कि मुख्यमंत्री खुद हाल पूछने आईजीएमसी जाते हैं, जबकि स्थानीय लोगों में गुस्सा था। चुनावी सीजन में ही नेताओं का इस मंदिर में आने का सिलसिला कैसे बढ जाता है, ये सवाल अनसुलझे हैं।

इस बीच, फ़रवरी 2020 में वीरभद्र पत्नी के साथ रामलोक मंदिर पहुँचे। ये संबंध बताता है कि वीरभद्र जब सत्ता में थे तो हर मामले में बाबा अमरदेव क्यों बचते रहे और क्यों वीरभद्र के चहेते अधिकारी आईजी जहूर जैदी ने ही बाबा के मामले की जांच की थी। यही नहीं, गुड़िया मामले में बेल मिलने के बाद जहूर जैदी सबसे पहले इन्हीं बाबा के यहां आए थे।

बाबा पर मनी लॉन्डरिंग और अमीर लोगों के पैसे को इधर से उधर करने के आरोप लगे। कहा गया कि बड़े कारोबारी, नेता और अधिकारी बाबा के माध्यम से ही अपने पैसे को अजस्ट करते हैं, इसीलिए उनकी इतनी करीबी है। हालाँकि, ये आरोप मात्र हैं और इस संबंध में कभी जाँच नहीं हुई। लेकिन करता भी कौन?

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