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शिमला: सरकार को क्यों पानी पी-पीकर कोस रहे हैं ऐपल बेल्ट के लोग

शिमला।। जो शिमला कुछ समय पहले तक जल संकट से जूझ रहा था, अह वह ट्रैफिक जाम से परेशान है। जिस तरह से हिमाचल प्रदेश सरकार ने शिमला शहर में पानी की व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए विभिन्न परियोजनाओं का प्रबंधन किया, पूरे देश में मिसाल दी जाने लगी कि अगर पानी के संकट को दूर करना है तो शिमला शहर से सीखो। मगर एक संकट दूर हुआ तो एक और संकट उभर आया। यह संकट है- ट्रैफिक जाम का।

वैसे तो शिमला शहर की संकरी सड़कों पर जाम लगने की बात नई नहीं है। मगर सोचिए, जो हिमाचल अपने सेबों के लिए भारत या यूं कहिए कि पूरे दक्षिण एशिया में प्रसिद्ध है, वह सेबों के पीक सीजन में ही सेबों के कारोबार के लिए सही सुविधाएं नहीं दे पा रहा। यह आज की नहीं, कई साल पुरानी समस्या है मगर साल दर साल बद से बदतर होती जा रही है।

Image: Jagran

इसका अंदाजा आप ऐसे लगा सकते हैं कि जब सेबों से भरे ट्रक शिमला से शेष भारत के लिए रवाना हो रहे हैं, उसी समय सड़कों पर 25-25 किलोमीटर लंबे जाम लग रहे हैं। जाहिर है, ऐसे में सेब के कारोबारियों और बागवानों की हताशा चरम पर पहुंच गई है और वे हमेशा की तरह सरकार को कोस रहे हैं।

जाम ने दबोचा शिमला का गला
दो दिन पहले की बात है कि शिमला-ठियोग नैशनल हाइवे पर लगभग 25 किलोमीटर लंबा जाम लगने से बसें, निजी वाहन और सेबों के ट्रक कई घंटों तक फंसे रहे। सामान्य तौर पर रामपुर से ठियोग होते हुए शिमला जाने को आपको लगभग साढ़े तीन घंटे लगते हैं मगर परसों यही दूरी तय करने में लग गए लगभग सवा 11 घंटे।

Image: Amar Ujala

ये हालात इसलिए भी पैदा हुए क्योंकि सेबों के ट्रक अमूमन सैंज से माइपुल होते हुए सोलन के लिए सीधे जाते थे। मगर यहां पर एक पुराना पुल भारी गाड़ियों के लिए वर्जित कर दिया गया है। इस कारण सेबों से लदे भारी ट्रक शिमला होते हुए आने लगे हैं। ये कुफरी से ढली होते हुए शिमला से बाहर जा रहे हैं जिससे सड़क पर ट्रैफिक स्लो हो रहा है और जाम की स्थिति पैदा हो रही है।

सरकार से बढ़ रही नाराजगी
शिमला के एक सेब उत्पादक और कारोबारी ने नाम गोपनीय रखने की गुजाऱिश करते हुए ‘इन हिमाचल’ को अपनी समस्या भेजी है। इसमें लिखा है, “शिमला जिले की ऐपल बेल्ट में हिमाचल सरकार की छवि लगातार खराब हो रही है और स्थानीय लोगों में बहुत ज्यादा गुस्सा और नाराजगी है। इसका कारण यह है कि हिमाचल की ऐपल इंडस्ट्री की उपेक्षा की जा रही है।”

उन्होंने ‘इन हिमाचल’ को भेजे संदेश में लिखा है, “लोग ट्रैफिक जाम और प्रशासन के कुप्रबंधन से परेशान हैं। कुफरी और शनान सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं जबकि ये दोनों बहुत अहम पॉइंट हैं। कुफरी जहां शिमला के ऊपरी इलाके को जोड़ता है वहीं भट्ठाकुफर या शनान वो जगह है जो शिमला को निचले इलाकों जैसे कि चंडीगढ़ या दिल्ली से जोड़ने में बहुत अहम है।”

पुलिसवाले भी हो रहे फ्रस्ट्रेट
सेब कारोबारी के मुताबिक कुफरी और भट्ठाकुफर में पिछले एक महीने से लगातार जाम लग रहे हैं। उन्होंने लिखा है, “पिछले हफ्ते से तो स्थिति और भी खराब हो गई है और नारकंडा या कोटखाई से शिमला पहुंचने में चार से छह घंटों का समय लग जा रहा है। इस कारण लोग सरकार से नाराज होते जा रहे हैं। प्रशासन की चुप्पी सबसे ज्यादा परेशान करने वाली है। हालत ऐसी है कि जिन पुलिसकर्मियों को ट्रैफिक के प्रबंधन के लिए लगाया गया है, वे भी सरकार को कोस रहे हैं क्योंकि लोग इनके साथ बदतमीजी पर उतर आए हैं।”

भट्ठाकुफर की फल मंडी
जो ट्रक या वाहन कुफरी से जैसे-तैसे आगे बढ़ हैं, ढली के पास आकर वे फिर फंस जा रहे हैं। हमें मिले संदेश में यह भी लिखा गया है कि ट्रैफिक जाम की वजह ढली के आगे भट्ठाकुफर में बनी फल मंडी है, जिसे कहीं और शिफ्ट करने की मांग सेब के बागवानों और विक्रेताओं की ओर से लंबे समय से की जा रही है।

Image: Amar Ujala

मेसेज में लिखा है, “अभी तक सरकार की ओर से बयान तक नहीं आया है। बागवानी मंत्री ने एक बार भी इस इलाके का दौरा करके हालात का जायजा नहीं लिया है। यहां तक कि इसी जिले से संबंध रखने वाले शिक्षा मंत्री को भी कोई चिंता नहीं है शायद। सरकार को तुरंत समस्या का समाधान करने के बारे में कदम उठाने चाहिए। इसके लिए कमेटी का गठन होना चाहिए और ऐपल बेल्ट से संबंध रखने वाले किसी अनुभवी व्यक्ति को यह काम सौंपा जा सकता है। जाम की यह स्थिति तुरंत सुधरनी चाहिए।”

फोरलेन निर्माण- नीम पर चढ़ा करेला
जो ट्रक कुफरी और भट्ठाकुफर की बाधाओं को पार कर लेते हैं, वे आगे चलकर फोरलन निर्माण के चक्कर में फिर परेशान होते हैं। बाहर से बसों या निजी वाहनों में आ-जा रहे लोगों को भी दिक्कत हो रही है। लेकिन इस सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि इन सभी बातों के कारण हिमाचल प्रदेश की इकॉनमी में अहम योगदान देने वाला सेब का कारोबार बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

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