एमबीएम न्यूज नेटवर्क, बिलासपुर।। हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले के घुमारवीं उपमंडल के अन्तर्गत पड़ने वाली ग्राम पंचायत बम्म के गाँव कलौडी के सुखदेव ने समाज की परवाह न कर हुए वह काम कर दिखाया है, जिसकी हर जगह चर्चा हो रही हैं। सुखदेव हिमाचल प्रदेश पथ परिवाहन निगम के कर्मचारी थे, जो सेवानिवृत्त हो गए हैं। साल 2011 में सुखदेव ने अपने बेटे अरुण की शादी ऊना में की, लेकिन परिवार की खुशियों को ग्रहण लग गया और दस महीने बाद ही परिवार के इकलौते बेटे की मौत हो गई।
बहू अनुबाला ने हिम्मत नहीं हारी। अपने टूट चुके सास-ससुर को भी हौंसला भी दिया। पति के जाने का दुख तो अनु को भी कुछ कम न था, लेकिन उसने हिम्मत नहीं छोड़ी। सास ससुर भी उसे एक बेटी की तरह देखने लगे। उम्र छोटी होने के कारण ससुर ने अनु की दोबारा शादी करवाने का मन बना लिया। अच्छा परिवार व लड़का तलाश करने लगे और पहली अक्तूबर को बहू बना कर लाई गई अनु को बेटी बनाकर विदा कर दिया।
बेटे की मौत के बाद माता पिता के लिए बहू ही बेटा व बेटी दोनों थी। अब घर में सुखदेव व पत्नी लेची देवी ही हैं। अनुबाला की शादी ऊना में ही की गई है और लडका एयरफोर्स में कार्यरत है। सुखदेव व उनकी पत्नी लैची देवी ने अपनी बेटी की शादी होटल से सारी रस्में निभा कर बड़ी धूमधाम से की है। साथ ही समाज में पल रही रूढ़ीवादी परम्परा को खत्म करने में इस परिवार ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है, जो एक मिसाल बन गई है।
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आज भी हमारे समाज में लोगों विधवा लड़कियों के पुनर्विवाह को अच्छा नहीं समझा जाता है। किसी न किसी को तो पहल करनी ही पड़ेगी। सुखदेव और उनकी पत्नी लेची देवी जैसे लोग हमारे समाज के लिए आदर्श हैं।
(यह एमबीएम न्यूज नेटवर्क की खबर है और सिंडिकेशन के तहत प्रकाशित की गई है)