डॉ. आशीष नड्डा।। आज नया बिलासपुर शहर बसे 57 साल हो गए। पुराना बिलासपुर शहर भाखड़ा बांध के कारण डूब गया था। बुंदेलखंड (चँदेरी, मध्य प्रदेश) से आए चंद्रवंशी राजा वीर चंद चंदेल ने सतलुज नदी की घाटियों में रहने वाले ठाकुरों को हराकर 700 ई में केहलूर वर्तमान बिलासपुर रियासत की स्थापना की थी।
सतधार केहलूर से विख्यात इस रियासत की प्राचीन राजधानी स्वारघाट के पास कोट नामक स्थान पर थी। इस रियासत की सीमाएं पंजाब के वर्तमान रोपड़ जिला से लेकर सुकेत, बाघल एवं काँगड़ा रियासत के साथ लगती थी। सतधार शब्द का उद्गम रियासत में पड़ने वाली सात पहाड़ियों जिन्हे लोकल भाषा में धार कहा जाता है, से था। त्यूंण, स्यूंण, कोट, नैना देवी, चैंझयार, बहादरपुर और बंदला- ये सात धारें इसी रियासत में थीं।
कालान्तर में विभिन्न शासकों ने इन धारों (पहाड़ियों) पर किलों का निर्माण करवाया, जिनके खंडहर आज भी देखे जा सकते हैं। बछरेटू बहादरपुर के किले इनमे प्रमुख हैं। केहलूर के राजा नैना देवी को कूलज्या के रूप में पूजते थे। राजा वीर चंद चंदेल ने ही नैना देवी के मंदिर का निर्माण करवाया था।
1663 में केहलूर रियासत की राजधानी सतलुज घाटी के किनारे व्यासपुर नामक स्थान पर ले आई गई। व्यासपुर का नाम महर्षि व्यास के नाम पर पड़ा था। कहा जाता है की कालान्तर में महाऋषि व्यास ने यहाँ सतलुज नदी के किनारे तपस्या की थी। व्यासपुर ही बाद में बिलासपुर के नाम से जाना जाने लगा।
सतलुज नदी के किनारे बसी यह रियासत पहाड़ी रियासतों में इकलोती ऐसी रियासत थी जो पहाड़ी किलों के स्थान पर एक मैदान पर बसी हुयी थी। बंदला एवं बडोल देवी की पहाड़ियों के बीच से बहती सतलुज घाटी के किनारे बसी यह रियासत अपने वैभव के लिए प्रसिद्ध थी। सांडू मैदान प्रदेश का सबसे बड़ा मैदान था। रंगनाथ, भूतनाथ के मंदिर राजा का महल इस ऐतिहासिक रियासत की धरोहरें थीं।
1932 मे अंग्रेजो द्वारा बिलासपुर को भी ‘पंजाब स्टेट एजेंसी’ के अन्तर्गत डाल दिया गया। 1936 में पंजाब की हिल्स स्टेट के लिए जब अलग से पंजाब हिल्स स्टेट एजेंसी का गठन हुआ तो बिलासपुर भी उसका हिस्सा बना। राजा आनंद चन्द चंदेल केहलूर रियासत के अंतिम राजा रहे। 1948 में बिलासपुर रियासत भारतीय गणराज्य का हिस्सा बनी एवं बिलासपुर को “ग” श्रेणी के राज्य का दर्जा दिया गया। जुलाई 1954 में बिलासपुर को हिमाचल प्रदेश के पांचवें जिले के रूप में शमिल किया गया।
1954 में भाखड़ा बाँध के निर्माण से बनी गोविन्द सागर झील में पुराना बिलासपुर शहर डूब गया। इसी के साथ इस रियासत का सम्पूर्व वैभव भी सतलुज नदी की लहरों में लील गया शहर के साथ बिलासपुर के सैंकड़ों गावं भी डूब गए। बांध का उद्घाटन करने आये तात्कालिक प्रधानमंत्री पंडित नेहरू के सामने जब लोगों ने ऐतिहासिक मंदिरों के डूबने की बात कही तो नेहरू जी ने कहा था, “भाखड़ा जैसे बाँध ही अब आधुनिक भारत के मंदिर हैं।”
नजदीकी पहाड़ी पर नए बिलासपुर को बसाया गया। नया बिलासपुर भारत का पहला प्लानिंग के साथ बना पहाड़ी शहर है।
लेखक परिचय: डॉ. आशीष नड्डा हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के रहने वाले हैं, वर्तमान में वर्ल्ड बैंक में सोलर एनर्जी कंसल्टेंट हैं।
(मूलत: यह लेख Oct 3, 2015 को प्रकाशित हुआ था, इसे दोबारा शेयर किया जा रहा है।)