शिमला।। गुड़िया हत्याकांड के नाम से पहचाने जाने वाले कोटखाई रेप ऐंड मर्डर केस की जांच कर रही सीबीआई ने अब अपना रुख शिमला के तत्लकालीन एसपी डीडब्ल्यू नेगी की तरफ किया है। गुड़िया का शव मिलने के बाद शुरू के तीन दिनों तक शुरुआती जांच के लिए एसपी नेगी ही हलाइला में डटे थे। किसी भी मामले में शुरुआती जांच बहुत अहम होती है क्योंकि उसी दौरान संवेदनशील सबूत और जानकारियां जुटाई जानी होती हैं। मगर नेगी की जांच के दौरान कोई भी सबूत नहीं मिला था। इसी कारण लोगों में नाराज़गी पैदा हुई थी और आईजी जहूर एच. ज़ैदी के नेतृत्व में एसआईटी बनी थी, जिसके ज्यादातर सदस्य पहले ही सीबीआई की गिरफ्त में हैं।
हिंदी अखबार अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक सीबीआई के सूत्रों का कहना है कि शुरुआती तीन दिनो की जांच ही नेगी के लिए मुश्किल खड़ी कर सकती है। सीबीआई पूछ सकती है कि शुरुआती जांच में आखिर क्या पता चला था। अखबार ने लिखा है, “सूत्र बताते हैं कि शुरुआती जांच के दौरान ही एसपी नेगी पर साक्ष्य मिटाने जैसे गंभीर आरोप लगे थे। शव से सैंपल लेने, क्राइम सीन सील करने के अलावा कथित संदिग्ध आरोपियों के घर दबिश और वहां से मिले सामान को सील करने में गड़बड़ी की आशंका थी। इसके अलावा अब तक गुड़िया के दाएं पैर का एक जुराब भी गायब थी। कहा जाता रहा कि एक आरोपी के घर से वह जुराब मिली थी लेकिन उसे गायब कर दिया गया। नेगी को भी ऐसे ही आरोपों और सवालों का सामना करते हुए सीबीआई को संतोषजनक जवाब देना है।”
बता दें कि डीडब्ल्यू नेगी मुख्यमंत्री वीरभद्र के खास मानते जाते हैं। पिछले दिनों कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया था कि वह शिमला के एसपी बनने वाले एसपीएस कैडर के पहले अधिकारी रहे हैं। उनसे पहले जो भी शिमला का एसपी बना, वह आईपीएस ऑफिसर था। मौजूदा एसपी सौम्या सांबशिवन भी आईपीएस ऑफिसर हैं। नेगी पिछले दिनों विवादों में भी रहे थे, जब रिकांगपिओ में आत्महत्या करने वाले एक शख्स ने अपने सुसाइड नोट में अपनी मौत के लिए जिम्मेदार लोगों में नेगी का भी नाम लिखा था। इस मामले में नेगी पर मामला दर्ज न होने को लेकर सवाल भी उठे थे।