इन हिमाचल डेस्क।। धारा 118 कहती है कि अन्य राज्य का व्यक्ति हिमाचल में जमीन नहीं खरीद सकता और साथ ही गैर-कृषक हिमाचली (जिनके पूर्वज भी हिमाचल में ही पैदा हुए) को जमीन का मालिकाना हक लेने के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। लेकिन बाहरी राज्यों के बाबा अगर हिमाचल में आश्रम आदि बनाना चाहे तो उसकी मौज है और हर सरकार में ऐसा होता रहा है।
इन्हें धारा 118 के तहत जमीन खरीदने की इजाजत सिर्फ सरकारें दे सकती हैं क्योंकि नियमों के तहत आवेदन तो कोई भी पात्र व्यक्ति कर सकता है मगर उन्हें जमीन खरीदने की इजाजत देने का अधिकार सिर्फ सरकार के पास होता है। अगस्त 2017 तक ही हिमाचल में बाबों और धार्मिक ट्रस्टों के नाम जमीन दर्ज करने के 1783 मामले थे। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कैसे रेवड़ियां बांटी जाती हैं और धारा 118 के नाम पर लोगों को गुमराह किया जाता है।
पढ़ें: वापस लिया गया 118 के तहत आवेदन करने के नियम में संधोशन
हर महीने दो से तीन धार्मिक ट्रस्टों को जमीन
सरकार किसी की भी हो, बाबों को तुरंत धारा 118 के तहत छूट मिल जाती है और इसमें पिछले साल दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराया गया गुरमीत राम रहीम भी शामिल है। सरकार ने इसके डेरे को पालमपुर के चचियां में जमीन लीज पर दी है। ऐसे ही बाबा रामदेव को साधुपुल में जमीन मिली है। और तो और सोलन के विवादित बाबा अमरदेव पर तो पिछली कांग्रेस सरकार गजब की मेहरबान रही थी।
बाबों की गर्मियों की ऐशगाह हिमाचल
आप सोच रहे हैं कि बाबा आखिर हिमाचल में क्यों जमीन खरीदते हैं। दरअसल धर्म के नाम पर बहुत से बाबा कारोबार करते हैं और जब देश में गर्मी पड़ रही होती है, वे अपने सारे सत्संग हिमाचल वाले डेरों में करने लगते हैं।
ऐसे खरीदते हैं जमीन
ये बाबा या डेरे या ट्रस्ट किसी हिमाचली कृषक के नाम पर हिमाचल में ही ट्रस्ट बनाते हैं और फिर आराम से जमीन को ट्रस्ट के नाम कर लेते हैं। कई बार तो सरकारी जमीन भी इन्हें दी जाती है।
वीरभद्र सरकार के दौरान इन्हें मिली जमीन
2015 से लेकर 2017 तक वीरभद्र सरकार के दौरान इन धार्मिक ट्रस्टों को धारा 118 के तहत जमीन की अनुमति मिली।
नाम तिथि स्थान
पदम संभाव गोंपा कमेटी भुंतर 1-1-2015 कुल्लू
हरियाणा राधा स्वामी सत्संग एसोसिएशन 09-03-2015 नगरोटा बगवां
भगवान श्री लक्ष्मी नारायण धाम ट्रस्ट 31-03-2015 बल्ह मंडी
चैतन्य ट्रस्ट सोनीपत हरियाणा 28-04-2015
ओशो समर्थक जीवन ट्रस्ट जींद 15-05-2015
रुहानी सत्संग प्रेम समाज 05-12-2016 ऊना
वैष्णों भजन मंडली ट्रस्ट 22-01-2016 ऊना
धाकपो शेद्रूप मोनेस्ट्री 14-03-2017 कुल्लू
(स्रोत: जागरण)
और फिर बेचने की भी छूट
ऐसा नहीं कि इन संगठनों को धर्मार्थ जमीन मिल गई। जाते-जाते वीरभद्र सरकार ने ऐसा फैसला किया था कि इन्हें इस जमीन को बेचने का भी अधिकार दे दिया था। पहले सरकार ने धर्मशाला के चुनिंदा चाय बागान मालिकों को लैंड सीलिंग ऐक्ट में छूट देकर जमीन बेचने की इजाजत दी थी, फिर धार्मिक संस्थाओं को जमीन बेचने की सशर्त इजाजत दे दी। इसके लिए हिमाचल प्रदेश कैबिनेट ने सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग अधिनियम में संधोशन किया था।
इस संशोधन से धार्मिक संस्थाओं और डेरों को अपनी जमीन बेचने, गिरवी रखने या किसी को तोहफे में देने की छूट मिलती है। शर्त यह रखी गई थी जिसे जमीन मिले, वह धारा 118 के तहत बताई गई परिभाषा में आने वाला किसान हो। कैबिनेट में आने से पहले दो बार यह मामला पहले ही खारिज हो चुका था। अधिकारियों को भी इस बात को लेकर आपत्ति थी। इस संबंध में हिमाचल दस्तक अखबार ने दावा किया था कि सरकार ने जाते-जाते राधास्वामी सत्संग ब्यास के लिए लैंड सीलिंग ऐक्ट बदलने की मंजूरी दी है। अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा था कि यह डेरा कांगड़ा में अपनी जमीन को फाइव स्टार रिजॉर्ट बनाने के लिए बेचना चाहता है और इसके लिए कई महीनों से कोशिश चल रही थी। इस खबर को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
हिमाचल में इन डेरों की हैं जमीनें
ऐसा नहीं है कि कांग्रेस के कार्यकाल में ही बाबों की मौज हुई, बीजेपी के कार्यकाल में भी यह खेल चलता रहा। नीचे देखें, हिमाचल में किन-किन धार्मिक संगठनों की जमीनें हैं-
नाम स्थान
डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम पालमपुर (चचियां)
सुधांशु जी महाराज कुल्लू
बाबा अमरदेव सोलन
बाबा रामेदव साधुपुल
राधा स्वामी सत्संग प्रदेश में लगभग सभी ब्लाक स्तर पर
सतपाल जी महाराज परमहंस संजौली
आसाराम नादौन के कलूर
निरंकारी भवन प्रदेश के सभी जिलों में
श्रीश्री रवि शंकर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर
(स्रोत: जागरण)
धारा 118 के तहत बाबाओं को छूट देने में राजनेताओं का क्या हित है, यह जांच का विषय है।
धारा 118 क्या है?
हिमाचल प्रदेश में भूमि मुजारा कानून की धारा 118 के तहत कोई भी बाहरी व्यक्ति, गैरकृषक व्यक्ति जिसके पास हिमाचल का राशनकार्ड ही क्यों न हो, हिमाचल में जमीन नहीं खरीद सकता है। हिमाचली स्थायी प्रमाणपत्र रखने वाले भी सरकार की अनुमति से शहरों में ही आवास बनाने या कारोबार के लिए जमीन खरीद सकते हैं। इसे विस्तार से समझने के लिए नीचे दिए गए दो लिंक्स पर क्लिक करके पढ़ें।
अगर आप कृषक नहीं हैं तो हिमाचल में जमीन हीं खरीद सकते