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पंप खराब, फिल्टर पुराने, लीकेज ही लीकेज: इसीलिए पानी के लिए तरस रहा है शिमला

शिमला।। प्रदेश की राजधानी होने के बावजूद शिमला शहर के कई इलाके पानी के लिए तरसते रहते हैं। अब नगर निगम चुनावों के बाद नए पार्षद चुने गए हैं और नए मेयर और डिप्टी मेयर ने पद संभाला है। प्राथमिकता देते हुए इन लोगों ने फैसला किया कि क्यों न सबसे पहले शहर की पानी की समस्या को दूर करने की दिशा में कदम उठाए जाएं। दफ्तर आकर जिम्मेदारी संभालने के अदले दिन ही मेयर कुसुम सदरेट और डिप्टी मेयर राकेश शर्मा बुधवार को गुम्मा पेयजल परियोजना की जांच करने पहुंचे। अंग्रेजों के दौर की बनी इस परियोजना से ही शहर को मुख्य रूप से पानी की आपूर्ति होती है। वहां पहुंचकर मेयर, डिप्टी मेयर और पार्षद हैरान रह गए।

मेयर, डिप्टी मेयर और पार्षदों को पहले तो प्रॉजेक्ट के कर्मचारियों ने वे टैंक दिखाए जो अंग्रेजों के दौर में बने थे। 1920-21 के दौरान के ये टैंक, मशीनें, फिल्टर सिस्टम और पंपिंग देख सभी अभिभूत नजर आए। मगर कुछ ही पलों में उत्साह नाराजगी और हताशा में बदलता गया। आलम यह था कि ज्यादा पंप खराब थे। 16 में से सिर्फ 3 पंप ही काम कर रहे थे और फिल्टर सिस्टम को भी लंबे अरसे से बदला नहीं गया था। यही नहीं, जगह-जगह कीमती पेयजल लीक भी हो रहा था। बताया जा रहा है कि इस प्रॉजेक्ट से करीब 21 एमएलडी तक पानी शिमला शहर को सप्लाई किया जा सकता है मगर इन दिनों सिर्फ 11-14 एमएलडी पानी ही सप्लाई हो रहा है। वॉटर लिफ्टिंग सेंटर में गड़बड़ियों की शिकायत है। 16 में से 3 पंप काम कर रहे हैं और एक स्टैंडबाइ है।

कई पंप खराब पड़े हैं

मेयर कुसुम सदरेट ने कहा कि यहां पर वॉटर लिफ्टिंग सिस्टम में खामियां पाई गईं। जो भी कमियां पाई गई हैं उन्हें चर्चा के लिए सदन के सामने रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि लिफ्टिंग की समस्या को सुधारने के लिए जल्द टेंडर प्रक्रिया भी शुरू की जाएगी। उन्होंने निगम आयुक्त से गुम्मा पंप स्टेशन की स्टेटस रिपोर्ट भी मांगी है।

अब भी राजनीति चालू है
जाहिर है, पानी की समस्या अगर शहर में है तो उससे पार्टी का संबंध नहीं, जनता के हित की बात है। मगर मामले में राजनीतिक खेमेबाजी अभी भई जारी है। गुम्मा के प्रॉजेक्ट की विजिट के लिए सभी पार्षदों को सूचित किया गया था मगर कांग्रेस के पार्षद इसमें नहीं आए। मेयर और डिप्टी मेयर को मिलाकर 18 पार्षद ही साथ गए थे।

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