नई दिल्ली।। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम बाने के लिए जमीन पर कथित रूप से अवैध कब्जा करने से जुड़े मामले में बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर और अन्य के खिलाफ एफआईआर को रद करने का आदेश ‘गलती से’ दे दिया था।
एचपीसीए की ओर से दर्ज मामले में प्रतिवादी के तौर पर सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के वकील ने सोमवार को जस्टिस एके सिकरी और एसए नजीर की बेंच से मांग की कि 2 नवंबर को दिया गया आदेश वापस लिया जाए।
क्या है मामला
2 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अनुराग ठाकुर, उनके पिता और हिमाचल के पूर्व सीएम के खिलाफ दो एफआईआर खारिज करने का आदेश दिया था। इनमें से एक मामला धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए जमीन लीज पर देने में कथित गड़बड़ियों से जुड़ी थी और दूसरी सरकारी जमीन पर कथित रूप से अवैध कब्जा करने को लेकर।
वरिष्ठ अधिवक्ता पीएस पटवालिया ने अनुराग ठाकुर और अन्य की ओर से कोर्ट में पेश होकर कहा कि पिछले आदेश को वापस लेने की जरूरत नहीं है क्योंकि मुख्य एफआईआर तो कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दी है। लेकिन वहीं वीरभद्र सिंह की ओर से पेश हुए वकीलों ने कहा कि दो नवंबर को लिया गया ऑर्डर वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि अलग-अलग मामलों में दर्ज एफआईआर को गलती से एकसाथ खारिज कर दिया गया। वकीलों का कहना था कि दूसरा मामला उस जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर है जहां शिक्षा विभाग के स्टाफ क्वॉर्टर थे।
वीरभद्र सिंह के वकील ने कहा कि अदालत ने यह एफआईआर गलती से रद्द कर दी थी क्योंकि दूसरी एफआईआर पर हम भी पक्षकार हैं और हमारा पक्ष सुना ही नहीं गया। हालांकि अनुराग के वकील ने बेंच से कहा कि दो नवंबर के फैसले में कोर्ट ने तथ्यों के आधार पर फैसला देकर एफआईआर खारिज की है।
अनुराग के वकील का कहना था कि एफआईआऱ में कहा गया है कि स्टाफ क्वॉर्टर्स को गैरकानूनी ढंग से ढहाया गया मगर न सिर्फ एजुकेशन सेक्रेटरी ने ट्रांसफर ऑफ लैंड के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट दिया था बल्कि उस समय के शिक्षा मंत्री की ओऱ से भी मंजूरी मिली थी।
अनुराग के वकील पटवालिया ने जब अपनी ओर से दलीलें पेश कर दीं, वीरभद्र सिंह के वकील ने बेंच को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने तो हमारी दलीलें सुने बिना ही एफआईआर खारिज कर दी। वीरभद्र के वकील ने कहा कि इस मामले में पक्ष रखने के लिए उन्हें थोड़ा समय चाहिए और अभी वह दलीलें नहीं दे पाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
इसके बाद बेंच ने वीरभद्र के वकील से कहा, “अगर आप दलीलें नहीं दे सकते तो मत दीजिए। हम आदेश पारित कर देंगे। हम कह रहे हैं कि ये एक गलती थी।” इसके बाद बेंच ने आगे इस मामले को सुनने के लिए 29 नवंबर की तारीख तय की है।
इससे पहले वीरभद्र सिंह ने अपने वकील डीके ठाकुर के जरिए सुप्रीम कोर्ट में उस याचिका का विरोध किया था, जो 2013 में अनुराग ठाकुर और अन्य के खिलाफ धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम बनाने को लेकर हुई थी।
अनुराग ठाकुर, प्रेम कुमार धूमल और एसपीचीए ने सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें वीरभद्र सरकार के दौरान दर्ज एफआईआर को खारिज करने से इनकार कर दिया गया था।
हमीरपुर से भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया था कि उनके खिलाफ राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर ये मामले किए गए हैं, जबकि वीरभद्र इस आरोप से इनकार करते हैं।