इन हिमाचल डेस्क।। इस बात में कोई शक नहीं कि हिमाचल में कई मेडिकल कॉलेज और एक ऑन पेपर निर्माणाधीन एम्स है मगर गंभीर रूप से बीमार मरीजों या हादसों में जख्मी होने वाले लोगों को समय पर इलाज नहीं मिलता। जो सुविधाएं जिला अस्पतालों में मिल जानी चाहिए, उनके लिए आईजीएमसी शिमला या फिर टांडा मेडिकल कॉलेज जाना पड़ता है।
हिमाचल के कई दुर्गम इलाके ऐसे हैं जहां से इन अस्पतालों तक मरीजों को ले जाने में ही कई घंटे लग जाते हैं। कई बार तो टांडा और शिमला से भी पीजीआई रेफर किया जाता है। न जाने कितने ही मरीज रास्ते में ऐसे दम तोड़ देते हैं।
रविवार को हिमाचल के जलशक्ति मंत्री महेंद्र ठाकुर की पोती जख्मी हुईं। वह गंभीर थीं और उन्हें आईजीएमसी रेफर किया। उन्हें तुरंत वहां ले जाने के लिए सीएम का हेलिकॉप्टर आया। बच्ची को समय पर इलाज मिला और वह खतरे से बाहर है। यह एक सुखद उदाहरण है कि कैसे तुरन्त इलाज देने के लिए एयर ऐम्बुलेंस का इस्तेमाल मरीजों या घायलों की जान बचा सकता है।
ऐसे में सवाल उठता है कि हिमाचल जैसे दुर्गम इलाकों वाले प्रदेश में आम आदमी को भी ऐसी सुविधा क्यों न मिले? हिमाचल जैसे कम आबादी वाले क्षेत्र के लिए ऐसा करना संभव है।
जलशक्ति मंत्री की घायल पोती को एयरलिफ्ट किए जाने पर कुछ लोग कह रहे हैं कि ‘जो सक्षम है वो इमरजेंसी में अपने पैसों से हेलीकॉप्टर मंगवाए तो क्या गलत है?’ गलत तो कुछ नहीं है मगर सवाल ये है कि जब एक मंत्री की पोती या पूर्व मुख्यमंत्री को स्वास्थ्य कारणों से हेलीकॉप्टर की जरूरत पड़ सकती है तो क्या आम आदमी को कभी इसकी जरूरत नहीं पड़ती होगी? आम जनता के बारे में सोचना नेताओं का काम नहीं तो किसका है?
एयर ऐम्बुलेंस सभी की जरूरत है, नेता हों या आम आदमी। सीएम को हेलिकॉप्टर की उतनी आवश्यकता नहीं जितनी किसी की जान बचाने के लिए एयर एम्बुलेंस की है।
जलशक्ति मंत्री की पोती गिरकर जख्मी हुईं, सीएम ने भिजवाया हेलिकॉप्टर