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कुल्लू का भव्य दशहरा मेला नहीं देखा तो क्या देखा?

कुल्लू।। हिमाचल का कुल्लू दशहरा पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। जिस दिन रावण दहन के साथ पूरे देश में रामलीला का समापन होता है और दशहरा मना लिया जाता है, उसी दिन से हिमाचल के कुल्लू में दशहरा मेले की शुरुआत होती है। इस साल यह 30 सितंबर से 6 अक्टूबर तक चलेगा।

 

इस दौरान जिले और आसपास के इलाकों के कई गांवों के लोग और श्रद्धालु अपने देवी-देवताओं को पालकियों पर सुसज्जित करके लाएंगे।

Courtesy: kulludussehra.hp.gov.in

हिमाचल प्रदेश में कई सदियों पहले से ऐतिहासिक ढालपुर मैदान में सात दिन तक दशहरा मनाए जाने का रिवाज है। इससे जुड़ी कुछ दंकथाएं भी हैं जो साल 1600 के सदी से जुड़ी हुई हैं। इन्हीं में से एक है राजा जगत सिंह की कहानी, जिन्हें कथित तौर पर कोढ़ हो गया था क्योंकि उन्होंने सुनी सुनाई बात के आधार पर एक ब्राह्मण से कुछ ऐसा मांग लिया था, जो उसके पास नहीं था।

 

राजा से किसी ने कहा था कि फ्लां ब्राह्मण के पास सुच्चे मोती हैं जो राजकोष में होने चाहिए। राजा ने ब्राह्मण से कहा कि उन्हें जमा करवाए। चूंकि उसके पास कोई मोती नहीं थे, इसलिए दबाव में आकर उसने सरपरिवार आत्मदाह कर लिया था।

रघुनाथ जी की रथयात्रा निकाली जाती है।

कहते हैं कि राजा को इसकी ग्लानि हुई थी और वह बीमार हो गए थे। कहते हैं कि उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था। मन्नत मांगे जाने के बाद जब वह ठीक हुए तो उन्होंने आसपास की कई रियासतों के देवी-देवताओं को न्योता दिया था। इसके बाद हर साल इसे मनाने की शुरुआत हो गई थी।

नीचे देखें, कुल्लू दशहरे पर 60-70 के दशक में बनी एक डॉक्युमेंट्री:

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