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मुख्यमंत्री ने शेयर कर दीं संदिग्धों की तस्वीरें, विरोध होने पर हटाईं

शिमला।। हर कोई इंतजार कर रहा है कि शिमला में हुई दुखद घटना में पुलिस कब आरोपियों का पता लगाती है और सबूत जुटाती है। मगर इस बीच सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने 4-5 लोगों की तस्वीरें शेयर करना शुरू कर दिया। फेसबुक और व्हाट्सऐप पर भेजे जा रहे इन संदेशों में लिखा जा रहा था कि ये वही लोग हैं जिन्होंने रेप को अंजाम दिया है और पुलिस ने इन्हें गिरफ्तार किया है। मगर हकीकत यह है कि खबर लिखे जाने तक पुलिस ने आधिकारिक रूप से कोई खबर नहीं दी है कि उसने मामला सुलझा लिया है या अंजाम देने वाले आरोपियों को पकड़ लिया है। बावजूद ये तस्वीरें कौन शेयर कर रहा है और इसके पीछे किसका दिमाग है? इससे पहले कि कहीं और जाएं, नीचे का स्क्रीनशॉट देखें:

मुख्यमंत्री पेज से शेयर तस्वीरें  (हमने पहचान छिपाने के लिए चेहरे इस स्क्रीनशॉट में धुंधले कर दिए हैं।)

यह मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पोस्ट है जिसमें दावा किया गया है कि पुलिस ने इस मामले में चार संदिग्धों को हिरासत में लिया है। यही नहीं, मुख्यमंत्री ने उनकी तस्वीरें भी डाल दीं। लोगों ने कॉमेंट करके आपत्ति जताई तो पोस्ट एडिट करके तस्वीरें हटा दी गईं। वैसे यह भी नहीं पता कि ये तस्वीरें उन्हीं लोगों की हैं या नहीं, जिनसे पूछताछ की जा रही है। गौरतलब है कि न तो पुलिस ने इन्हें आरोपी बनाया है और न ही यह साक्ष्य मिले हैं कि इन लोगों ने घटना को अंजाम दिया है। पुलिस ने खबर लिखे जाने और मुख्यमंत्री द्वारा इस पोस्ट को लिखे जाने तक इन्हें पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। ऐसे में कानूनन दोषी पाए जाने तक किसी की तस्वीरों को शेयर कर दिया जाना न सिर्फ नैतिक रूप से बल्कि कानून के हिसाब से भी गलत है। नतीजा यह निकला कि लोगों ने मुख्यमंत्री की प्रोफाइल से तस्वीरें डाउनलोड करके वायरल कर दीं, कुछ इस स्क्रीनशॉट को भी शेयर कर रहे हैं।

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बाद में कुछ लोगों ने आपत्ति जताई तो मुख्यमंत्री ने लीपापोती करते हुए तस्वीरें हटा दीं, मगर एडिट हिस्ट्री में जाने पर तस्वीरों के ट्रेल्स अभी तक देखे जा सकते हैं। वेरिफाई करके खुद देखने और एडिट हिस्ट्री पर जाने के लिए यहां पर क्लिक करें और पोस्ट के दाहिने किनारे पर टॉप में नीचे की तरफ दिखने वाले छोटे से तीर के निशान पर क्लिक करें। फिर पॉप खुलने पर बीच में दिखने वाले तीन बिंदुओं … पर क्लिक करें।

 

एडिट हिस्ट्री में तस्वीरें ऐड करके हटाने के निशान हैं।

पुलिस इनमें से किसी को आरोपी बनाती है और किसी के खिलाफ सबूत मिलते हैं, तब भी कोर्ट तय करेगा कि वे दोषी हैं या नहीं। मगर मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह से किसी की तस्वीर शेयर करना और उसे पूरे प्रदेश में फैला देना बेहद गैर-जिम्मेदाराना है। अगर इनमें कोई बेकसूर है तो उसकी छवि को खराब हो गई। लोग अंधाधुंध उन तस्वीरों को शेयर कर रहे हैं। ऐसे में बदनामी के डर से कोई उल्टा-सीधा कदम उठा दे तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा? उस वक्त अगर कोई प्रश्न उठाएगा तो क्या उन्हें भी मुख्यमंत्री कहेंगे कि ज्यादा होशियार बन रहे हैं? क्या इस गैर-जिम्मेदाराना हरकत के लिए मुख्यमंत्री पर कार्रवाई होगी? बहरहाल, इस तरह के प्रश्न बेमानी हैं।

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