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रियासत कालीन बिलासपुर की रुला देने वाली सत्य गाथा है ‘मोहणा’

आशीष नड्डा।। हिमाचल प्रदेश के बहुत से लोकगीत सत्य घटनाओं पर आधारित हैं। भारत की अच्छी बात यह है कि संवेदना को छूने वाले हर घटनाक्रम को लोकगीतों मे जगह देकर संजोया गया ताकि आने वाली पीढ़ियां उनके बारे में जान सकें। रियासतकालीन बिलासपुर की ऐसी ही एक कथा है “मोहणा।”

मोहणा केहलूर रियासत के किसी गाँव का एक भोला भाला लड़का था। उसका भाई तुलसी राजा के यहाँ नौकर था। तुलसी ने किसी का खून कर दिया। और मोहणा को इस बात के लिए राजी कर लिया कि परिवार की जिम्मेदारी उसके ऊपर है ।खेती बाड़ी भी वही देखता है इसलिए खून का इलज़ाम तुम अपने ऊपर ले लो। मैं राजा के यहाँ नौकर हूँ राजा से बात करके बाद में तुम्हे बचा लूंगा।

मोहणा भाई की बातों में आ गया और खून का इलज़ाम अपने सर ले लिया। मोहणा को राजा के सामने पेश किया गया। उस समय केहलूर यानी बिलासपुर रियासत का राज बिजई चन्द चन्देल के पास था। मोहन के भोलपन को भांपकर राजा को लगा की मोहणा किसी की जान नहीं ले सकता इसने कत्ल नहीं किया है। राजा के बार बार सचाई पूछने पर भी जब मोहणा ने जुबान नहीं खोली तब राजा ने उसे कुछ दिन का समय सोचने के लिए दिया।

निश्चित दिन मोहणा से जब पूछा गया तब भी मोहणा ने सच नहीँ बताया। अंत में बहादुरपुर के किले में गर्मियों के लिए गए राजा बिजाई चंद चंदेल ने वहीँ से 1922 में मोहणा को सरे आम साडू के मैदान में फान्सी देने का हुक्म दे दिया। फांसी से पिछली रात एक सिपाही के बार बार पूछने पर मोहणा ने रहस्य बताया। जो बाद में रियासत में फैला तब तक मोहणा फांसी पर लटक चुका था।

बिलासपुर के लोकगीतों में मोहणा को बहुत जगह मिली और लोकगीतों में मोहणा के बलिदान को गाया जाने लगा। इस वीडयो में मोहणा की इस कहानी को पहाड़ी पहाड़ी लोक गायक स्वर्गीय हेत राम तंवर जी ने अपनी आवाज दी है। अन्य गायकों ने भी इस गीत को गाया है। साथ ही इसपर नाटक भी होते हैं। हेत राम तंवर जी की आवाज सीधे दिल में उतरकर उदास कर देती है। नीचे सुनें:

मोहणा की कहानी पर नाटक भी होते हैं। यूट्यूब पर हमें कुछ अंश मिले, जिन्हें आप नीचे देख सकते हैं:

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