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जानें, क्या है GST और आपके ऊपर क्या फर्क पड़ेगा इसका

गुड्स ऐंड सर्विसेस टैक्स (GST) बिल पर लंबे समय से खींचतान चल रही थी। आखिरकार बुधवार को यह बिल राज्यसभा में पेश होने जा रहा है। इस बिल की नींव 16 साल पहले अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने रखी थी। इस बिल के आने से क्या होगा, क्यों अधिकतर पार्टियां इसके समर्थन में हैं और हमारी जिंदगी पर इसका क्या असर पड़ेगा, इसे समझने के लिए हमारे द्वारा जुटाई गई जानकारी को ध्यान से पढ़ें:

जीएसटी कानून बनने से अब तक जो 30 से 35% टैक्स दिया जाता है, वह घटकर 17 से 18% रह जाएगा। ऐसा नहीं है कि इसके फायदे ही हैं, कुछ मामले में जेब पर खर्च बढ़ सकता है। जीएसटी दर 18% होने की चर्चा के आधार पर यह जानकारी दी गई है। जानिए:

क्या होगा सस्ता?
लेन-देन पर वैट और सर्विस टैक्स नहीं
– घर खरीदने या ऐसे लेन-देन, जिसमें वैट और सर्विस टैक्स दोनों लगते हैं, सस्ते हो जाएंगे।

कंज्यूमर ड्यूरेबल्स सस्ते हो जाएंगे
फ्रिज, एयरकंडीशनर, माइक्रोवेव अवन, वॉशिंग मशीन्स वगैरह सस्ते हो जाएंगे। अभी 12.5% एक्साइज और 14.5% वैट लगता है। जीएसटी के बाद मात्र 18% टैक्स लगेगा।

रेस्तरां का बिल भी कम होगा

भी तक हर राज्यों अलग वैट के ऊपर 6 पर्सेंट सर्विस टैक्स (बिल के 40% हिस्से पर 15%)दोनों लगते हैं। मगर जीएसटी के तहत एक ही टैक्स लगेगा।

माल ढुलाई सस्ती होगी
माल ढुलाई 20% सस्ती हो जाएगी। फायदा आम लोगों से लेकर लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री तक को मिलेगा।

इंडस्ट्री को ज्यादा फायदा
जीएसटी के बाद इंडस्ट्रीज़ को करीब 18 टैक्स नहीं भरने होंगे। टैक्स भरने की प्रक्रिया आसान होगी।

क्या होगा महंगा?
डिब्बाबंद फूड प्रॉडक्ट 12% तक महंगे होंगे
चाय-कॉफी जैसे प्रॉडक्ट्स पर अभी ड्यूटी नहीं लगती, मगर अब ये 12% महंगे हो सकते हैं।

सर्विसेस भी महंगी होंगी
मोबाइल बिल, क्रेडिट कार्ड का बिल या फिर ऐसी अन्य सेवाएं सब महंगी होंगी। अभी सर्विसेस पर 15% टैक्स (14% सर्विस टैक्स, 0.5% स्वच्छ भारत सेस, 0.5% कृषि कल्याण सेस) लगता है। जीएसटी होने पर ये 18% हो सकता है।

जेम्स ऐंड जूलरी
जेम्स ऐंड जूलरी महंगी हो सकती है। इस पर अभी 3% ड्यूटी लगती है। रेडिमेड गारमेंट भी महंगे हो सकते हैं, क्योंकि अभी इन पर 4-5% का स्टेट वैट लगता है। जीएसटी में इन पर कम से कम 12% टैक्स लगेगा।

डिस्काउंट पर एमआरपी का टैक्स
अभी डिस्काउंट के बाद की कीमत पर टैक्स लगता है, मगर जीएसटी में एमआरपी पर टैक्स लगेगा। कंपनी 10000 रुपए का सामान हमें 5000 रुपए में देती है तो अभी 600 रुपए टैक्स लगता है, मगर जीएसटी के बाद 1200 रुपए टैक्स लगेगा।

1. क्या होगा जीएसटी से?
– जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स। इसे केंद्र और राज्यों के 20 से ज्यादा इनडायरेक्ट टैक्स के बदले लगाया जा रहा है। जीएसटी के बाद एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम, वैट/सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन कर, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, लग्जरी जैसे टैक्स खत्म होंगे।

2. इसके बाद सिर्फ एक टैक्स होगा?
नहीं। जीएसटी में ही 3 तरह के टैक्स होंगे।
– सीजीएसटी यानी सेंट्रल जीएसटी: इसे केंद्र सरकार वसूलेगी।
– एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी: इसे राज्य सरकार वसूलेगी।
– आईजीएसटी यानी इंटिग्रेटेड जीएसटी: अगर कोई कारोबार दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर यह टैक्स लगेगा। इसे केंद्र सरकार वसूलकर दोनों राज्यों में बराबर बांट देगी।

3. इससे आम लोगों को क्या फायदा?
– टैक्सों का जाल और रेट कम होगा:अभी हम अलग-अलग सामान पर 30 से 35% टैक्स देते हैं। जीएसटी में 17 या 18% टैक्स लगेगा।
– एक देश, एक टैक्स:सभी राज्यों में सभी सामान एक कीमत पर मिलेगा। अभी एक ही चीज दो राज्यों में अलग-अलग दाम पर बिकती है, क्योंकि राज्य अपने हिसाब से टैक्स लगाते हैं।

4. तो क्या अब ज्यादा पैसे बच सकेंगे?
– शुरू के 3 साल महंगाई बढ़ेगी। मलेशिया में 2015 में जीएसटी आने के बाद से महंगाई दर 2.5% तक बढ़ी है। अभी रोजमर्रा की सर्विसेस पर 15% सर्विस टैक्स देते हैं। अब 18% होगी। यानी 3% महंगाई बढ़ेगी। पेट्रोल-डीजल-गैस जीएसटी में नहीं होंगे।

5. अभी हम 30-35% टैक्स चुकाते हैं। जीएसटी 18% होने पर सरकार को नुकसान नहीं होगा?
– नहीं। चीफ इकनॉमिक अडवाइजर अरविंद सुब्रमणियन की समिति ने 17-18% रेवेन्यू न्यूट्रल रेट की सिफारिश की है। यानी इस पर सरकार का रेवेन्यू न बढ़ेगा, न घटेगा।
– इसकी दो वजहें हैं। पहली, बहुत सी चीजों पर अभी कम टैक्स लगता है, वह बढ़ जाएगा। दूसरी, बहुत से कारोबारी सेल्स कम दिखाते हैं। जीएसटी में हर लेन-देन की ऑनलाइन एंट्री होगी। इससे चोरी मुश्किल हो जाएगी।

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