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हिमाचल में ‘जंगलराज’ आने की दस्तक है वनरक्षक की बेरहमी से हत्या?

मंडी।। जंगलराज  यानी जहां किसी को कानून का डर न हो, माफिया और अपराधी बेखौफ हो जाएं। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में लापता हुए वनरक्षक होशियार सिंह का शव पेड़ से लटका मिला है। पुलिस का कहना है कि पहली नजर में मामला हत्या का लग रहा है। परिजन आशंका जता रहे हैं कि इसके पीछे वन माफिया हो सकता है। वैसे भी शव को पेड़ से टांगना दिखाता है मानो कोई संदेश देना चाहता हो कि हमसे टकराने का यही हश्र होगा। हत्या के पीछे वजह क्या रही, कौन लोग थे, यह पता लगाना पुलिस का काम है और उम्मीद है कि जल्द पता भी चल जाएगा। मगर पहली नजर में यह लग रहा है कि वन माफिया ने ही यह हरकत की हो।

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दरअसल परिजनों का कहना है कि कुछ दिन पहले होशियार ने अवैध लकड़ी ले जा रही एक गाड़ी पकड़ी थी। वह गाड़ी किसकी थी, पता लगाना पुलिस का काम है। परिजनों का कहना है कि होशियार की हाल ही में नौकरी लगी थी और वह हमेशा से निडर और ईमानदार रहा है। ऐसे में उनका कहना है कि कहीं उसकी जान ऐसे ही वन माफिया ने न ली हो जिन्हें होशियार खटक रहा हो।

हत्या करके शव को ऐसे लटकाना बताता है मानो कोई संदेश देने की कोशिश की गई हो।

हिमाचल प्रदेश में वन माफिया सक्रिय है, इसमें कोई दो राय नहीं। वन रक्षकों पर फायरिंग तक के मामले सामने आ चुके हैं। अकेले वन रक्षक बेचारे बहुत बड़े इलाके की जिम्मेदारी निभा रहे हैं और स्थानीय लोगों का सहयोग भी नहीं मिलता। वन विभाग खुद सोया रहता है और राजनीति प्रेशर में मामले तक नहीं उठते। ईमानदार वनरक्षक बेचारे या तो मजबूरी में खामोश हो जाते हैं या फिर उनके साथ मारपीट होती है (मामले अखबारों में आते रहते हैं)।

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अगर होशियार की हत्या वन माफिया ने की है तो साफ है कि उसकी लाश को टांगकर संदेश दिया गया है कि यह अंजाम होगा हमसे टकराने का। इस हत्याकांड से पूरे प्रदेश के वन रक्षकों का मनोबल टूटा है। इन हिमाचल हमेशा से यह मुद्दा उठाता रहा है कि वनों को लेकर वन मंत्री सक्रिय नहीं हैं। उन्हें समारोहों में नाचने-गाने से फुरसत नहीं। वह लोककलाकार रहे होंगे तो रहे होंगे। अब वह कलाकार नहीं बल्कि मंत्री हैं और पॉलिसी मेकर हैं। मगर उनका अब तक का एक भी फैसला ऐसा नहीं दिखा कि कुछ ढंग का काम किया हो।

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बहरहाल,  इस मामले में सारी जिम्मेदारी पुलिस पर है कि मामले की जांच करे और बिना किसी प्रेशर के अपराधियों को सलाखों से पीछे पहुंचाए। साथ ही सरकार की भी जिम्मेदारी बनती है कि फालतू के मुद्दों से हटे और वन माफिया और अन्य अपराधियों पर लगाम लगाए। वरना यह घटना अगर वाकई वन माफिया की करतूत है तो साफ है- हिमाचल में जंगलराज आ चुका है।

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