- विवेक अविनाशी।।
आज 12 सितम्बर को हिंदी की कालजयी रचना “उसने कहा था “ के रचयिता स्वर्गीय पंडित चंद्रधर शर्मा गुलेरी की पुण्यतिथि है। उनका पैतृक गांव गुलेर (हिमाचल प्रदेश ) था। गुलेरी जी के पिता ज्योतिषाचार्य शिवराम जयपुर राजदरबार में थे, जहां चन्द्रधर शर्मा गुलेरी का 1883 को जन्म हुआ था।
गुलेरी जन्म शताब्दी वर्ष के दौरान मुझे उनके पौत्र डॉ. विद्याधर गुलेरी के सौजन्य से उनके पैतृक निवास “चंद्र-भवन” में गुलेरी जी की हस्तलिखित पांडुलिपियां, रोजमर्रा का सामान और पुराने फोटो देखने का सुअवसर प्राप्त हुआ था। अवकाश के क्षण गुलेरी जी अपने पैतृक गांव में गुजारते थे। यहां पड़े कई पुराने ट्रंकों में ढेरों कहानियों की पांडुलिपियां धूल फांक रही थीं। ये कहानियां राजघराने के राजकुमारों या शायद नवोदित लेखकों द्वारा गुलेरी जी के पास सुधार, सम्पादन अथवा प्रकाशन हेतु प्रेषित की गईं थीं। हो सकता है इनमें से कुछ कहानियां गुलेरी जी की लिखी भी हों।
चंद्रधर शर्मा गुलेरी जी |
गुलेरी जी विभिन्न भाषाओं के विद्वान थे। उनकी विद्वता की स्पष्ट झलक उनके डायरी लेखन में नज़र आती है। गुलेरी जी लाल स्याही से होल्डर इस्तेमाल करके डायरी लिखते थे। जो कुछ दिन भर में होता, उसे ईमानदारी से डायरी में उतार लेते थे। स्वप्न-विश्लेषक तो वह कमाल के थे। अपनी डायरी में बहुत से ऐसे स्वप्नों का विश्लेष्ण उन्होंने विस्तार से किया था। सहयोगी साहित्यकारों की मदद करने में भी गुलेरी जी सदैव आगे रहते थे।
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‘उसने कहा था….’ शीर्षक वाली कहानी हिंदी साहित्य की ऐसे अनमोल कृति है, जिसे बार-बार पढ़ने का मन करता है। यह जमादार लहना सिंह की कहानी है, जो अपने बचपन के प्यार को मरते दम तक भुला नहीं पाता। ‘उसने कहा था’ की हस्त लिखित पांडुलिपि भी मुझे वहां देखने को मिली थी। इसपर 1960 में इसी नाम से फिल्म भी आई थी, जिसमें सुनील दत्त मुख्य भूमिका में थे। मूवी देखने के लिए नीचे दी तस्वीर पर क्लिक करें
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गुलेरी जी का देहावसान 39 वर्ष की आयु में 12 सितंबर, 1922 को हुआ था। हिमाचल सरकार को चाहिए कि गुलेरी जी से सम्बंधित सभी सामग्री को एकत्रित कर उनके पैतृक गांव में एक म्यूजियम बनाने की पहल करे ताकि भावी पीढ़ी इस महान साहित्यकार के व्यक्तित्व और कृतित्व से अच्छी तरह से अवगत हो सके।
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(लेखक हिमाचल प्रदेश के हितों के पैरोकार हैं और जनहित के मुद्दों पर लंबे समय से लिख रहे हैं। इन दिनों ‘इन हिमाचल’ के नियमित स्तंभकार हैं। उनसे vivekavinashi15@gmail.com के जरिए संपर्क किया जा सकता है)