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यह है हिमाचल सरकार में बैठे लोगों के आधिकारिक पत्रों की भाषा

इन हिमाचल डेस्क।।

निजी पत्राचार से अलग जब भी सरकार के दो विभिन्न मंत्रालयों, विभागों, अधिकारियों या कर्मचारियों द्वारा किसी ऑफिशल काम से पत्र भेजे जाते हैं, उसकी भाषा शैली अलग होती है। इनमें टू-द-पॉइंट बात की जाती है और आधिकारिक पद और नाम के साथ संबोधित किया जाता है। मगर लगता है कि हिमाचल सरकार में बैठे लोगों को नियम-कायदों की कोई परवाह नहीं है।

जब भी कोई पदाधिकारी अपने ऑफिशल लेटर हेड, जिसमें सरकार की मुहर लगी हो, से किसी को मेसेज भेजता है, वह पत्र कागज़ का टुकड़ा नहीं रहता। वह निजी पत्र भी नहीं होता, क्योंकि उसके साथ आपके पद और प्रदेश सरकार की गरिमा जुड़ जाती है। मगर पिछले दिनों मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार के तौर पर नियुक्त गोकुल बुटेल ने एक लेटर अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर अपलोड किया है, जिसमें बहुत ही कैज़ुअल अप्रोच अपनाई गई है।

आप देख सकते हैं कि इसमे मंत्री को ‘बाली साहेब’ कहकर संबोधित किया गया है।

गोकुल बुटेल की टाइमलाइन से साभार।

हिमाचल प्रदेश सचिवालय में सीनियर पद पर बैठे एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आधिकारिक रूप से पत्र में या तो मंत्री के पद के नाम से अड्रेस किया जाना चाहिए था या फिर उनका पूरा आधिकारिक नाम लिखा जाना चाहिए था। उन्होंने बताया, ‘अगर मुझे यह लेटर लिखना होता तो मैं शिष्टाचार के तहत ‘Respected Transport Minister’ लिखता या फिर ‘Respected G.S. Bali ji’ लिखता।’

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अधिकारी ने बताया कि Dear शब्द के इस्तेमाल से बचा जाना चाहिए, मगर आजकल यह स्वीकार्य हो गया है। फिर भी आगे पूरा नाम लिखा जाना चाहिए, क्योंकि यह दो व्यक्तियों का आपसी संवाद नहीं है। उन्होंने कहा, ‘सरकारी लेटर हेड बहुत कम लोगों को मिलता है और जिन्हें मिलता है, उन्हें इसका सही से इस्तेमाल करना चाहिए।’

इस बीच इन हिमाचल ने सोशल मीडिया पर मौजूद हिमाचल प्रदेश के मंत्रियों के पेज टटोले और लेटर ढूंढने चाहे। ज्यादातर पेजों पर तो कोई ऑफिशल अड्रेस अपलोड नहीं मिला, मगर शांता कुमार के फेसबुक पेज पर दो पत्र मिले।

पीएम नरेंद्र मोदी को भेजा गया लेटर
लोकसभा स्पीकर को भेजा गया पत्र

एक पीएम मोदी को जन्मदिन की बधाई दे रहा था और दूसरे में लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को संबोधित किया गया। भले ही इनमें से एक लेटर में जन्मदिन की शुभकामनाएं दी गई थीं, मगर दोनों पत्रों में हाथ से दोनों नेताओं का पूरा नाम लिखा गया, उपनामों का इस्तेमाल नहीं किया गया है।

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गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के कई विधायक और मंत्री भी इस तरह की भाषा इस्तेमाल करते रहे हैं। वरिष्ठ पत्रकार रामनाथ शर्मा बताते हैं कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को ‘राजा साहब’ कहकर संबोधित करना न सिर्फ शिष्टाचार से खिलाफ है, बल्कि असंवैधानिक भी है। उन्होंने कहा कि राजशाही खत्म हो चुकी है और ऑफिशल पत्रों में इसे लिखना एक तरह से संविधान का उल्लंघन है। कल को कोई इस आधार पर केस तक कर सकता है।

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