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सरकार रिपीट करने के लिए कांग्रेस काट सकती है 23 नेताओं और विधायकों के टिकट

मोदी- शाह के दौरों के बाद हिमाचल प्रदेश की सियासी फिजाओं में भी उफान आ गया है। यूं तो मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पिछले कुछ अरसे से अकेले ही चुनावी माहौल में आ गए थे परन्तु आज कांग्रेस विधायक मंडल की बैठक बुलाकर उन्होंने सबको कमर कसने के लिए कह दिया है। बैठक के मायने यही निकाले जा रहे हैं कि कांग्रेस भी अब इलेक्शन मोड में आ चुकी है।  देश में परिवर्तन की जिस राह पर बीजेपी चली है, उसी को देखते हुए कांग्रेस भी अब कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। इस बार का चुनाव मुख्यमंत्री के लिए बहुत अहम है। जांच एजेंसियों से चौतरफा घिरे मुख्यमंत्री खुद अगले चुनाव में पार्टी की कमान संभाल रहे हैं और इस बात को कांग्रेसी दिग्गज भी पुख्ता कर चुके हैं।

यह चुनाव मुख्यमंत्री के बेटे और युवा कांग्रेस के प्रधान विक्रमादित्य सिंह का भी पहला चुनाव होगा। शिमला ग्रामीण से उनके लड़ने की बात बार-बार दोहराई जा रही है। सबसे अहम बात यह है कि आज धर्मशाला में मुख्यमंत्री ने कहा है की कांग्रेस नए चेहरों को मौक़ा दे सकती है। विक्रमादित्य सिंह भी अपने बयानों में बार-बार कहते आए हैं कि युवा वर्ग को टिकट दिए जाएंगे। वह कहते रहे हैं कि जहां कांग्रेस अरसे से हार रही है, वहां नए कैंडिडेट को इस बार तरहीज दी जाएगी। कोटा सिस्टम से टिकट नहीं देने की वकालत विक्रम और अम्बिका सोनी ने पहले भी की है।ऐसा हुआ तो टीम विक्रमादित्य की लॉटरी इस बार निकलने वाली है।

कांग्रेस भी इसी नीति पर चली तो बहुत से दिग्गजों का चुनावी राजनीति से संन्यास लगभग तय ही माना जाना चाहिए। कांग्रेस के इन बड़े नेताओं के ब्यानो से निष्कर्ष निकाला जाए तो सम्भावना बनती है की कम से कम 20 नेता इस बार टिकटों से महरूम हो सकते हैं या सदा के लिए टिकट की दौड़ से बाहर जा सकते हैं। ऐसे ही कुछ संभावनाएं देखते हुए ‘इन हिमाचल’ ने एक विश्लेषण किया है। नए चेहरे और बार-बार हार के समीकरणों पर नजर दौड़ाएं तो पहले वे सीटें है, जिनमें या तो नए चहेरे उतारे जाएंगे या फिर वे नेता हैं, जिनके कांग्रेस में टिकट के चांस इस बार शून्य ही नजर आ रहे हैं:

1. कमल किशोर ( इंदोरा ): बड़े मार्जन से हारने की वजह से नया चेहरा उतारा जा सकता है। वर्तमान विधायक (निर्दलीय) मनोहर धीमान दुविधा में हैं कि किस पार्टी में जाएं। वह किस पार्टी में जाते हैं, यह देखना होगा।

2. संजय अवस्थी (अर्की ): युवा नेता है परन्तु चर्चा है कि वीरभद्र सिंह अर्की से अगला चुनाव लड़ सकते हैं। इसलिए टिकट कट सकता है। ठाकुर धर्मपाल के बाद कांग्रेस अपने गढ़ की इस सीट को दो बार गंवा चुकी है।

3. प्रोमिला देवी (भोरंज ): बेशक युवा हैं पर अभी-अभी उपचुनाव हार चुकी हैं। प्रेम कौशल का टिकट अंत में कटकर इनकी झोली में आया था। वीरभद्र सिंह की पसंद अब प्रेम कौशल हो सकते हैं।

4. पवन नैय्यर ( चम्बा ): पूर्व आईएएस बी.के. चौहान से दो बार से लगातार कांग्रेस हार रही है। हर्षवर्धन खुद इस बार मोर्चा संभाल सकते हैं।

5. ब्रिगेडियर राजेंद्र सिंह राणा (देहरा ): पूर्व में बुरी तरह से इस सीट पर हारी कांग्रेस देहरा सीट से नए खिलाड़ी को मौक़ा दे सकती है।

6. हमीरपुर: हमीरपुर सीट से लेकर पूरा जिला कांग्रेस के लिए बड़ा सपना रहा है। सदर सीट से खुद पूर्व मुख्यंमंत्री प्रेम कुमार धूमल लड़ते आए हैं। नरिंदर ठाकुर (वर्तमान में सुजानपुर के विधायक) को टिकट देकर कांग्रेस ने बेशक धूमल की लीड कम करने में सफलता पाई थी परन्तु इस बार कांग्रेस को वहां से नया कैंडिडेट हर हाल में देना ही पड़ेगा। अनिता वर्मा यहां से अपनी बाट जोह सकती हैं। वहीं बीजेपी से कांग्रेस में आईं उर्मिल ठाकुर अपने या अपने बेटे के लिए यहां से टिकट की मांग कर सकती हैं। सुखविंदर सिंह सुक्खू के ख़ास रहे पूर्व जिला अध्यक्ष भी यहाँ से प्रबल दावेदार हैं। वीरभद्र खेमे से भी कुलदीप पठानिया चुनाव लड़ने की इच्छा जताते हैं।

7. बीरु राम किशोर ( झंडूता): बिलासपुर जिले की इस सीट से कांग्रेस दो बार से लगातार हार रही है। बीरु राम किशोर वैसे तो मुख्यमंत्री के ख़ास हैं परन्तु नए पन की ओर बढ़ने की चाहत दिखाती हुई कांग्रेस यहां से टीम विक्रमादित्य के युवा तुर्क विवेक कुमार पर दांव खेल सकती है।

8. सुरेंद्र ठाकुर (जोगिंदर नगर): जोगिंदर नगर से कांग्रेस लगातार दो बार से हार रही है। इस बार सुरेंद्र पाल ठाकुर का टिकट कटा हुआ ही माना जा रहा है। कांग्रेस के सब धड़े अपने आपने आदमी को वहां बिठाने के लिए तैयार हैं। जीवन ठाकुर से लेकर चौहान तक टिकट के कई तलबगार हैं।

9. कुटलैहड़: कुटलैहड़ सीट से कांग्रेस की हार का सिलसिला रसे से नहीं थमा है। राम दास मलांगड़ की मृत्यु के बाद अब यहां से नया उमीदवार आना तय ही है।

10. कुश परमार (नाहन ): कुश परमार के आप जॉइन करने की अटकलों के बीच तय माना जा रहा है कि कांग्रेस यहां से किसी नए चहेरे को मौका दे सकती है।

11. गंगू राम मुसाफिर ( पच्छाद ): सपने समय के दिग्गज नेता और वीरभद्र सिंह के ख़ास गंगू राम मुसाफिर का टिकट भी इस बार कटना तय ही माना जा रहा है।

12. पावंटा साहिब : इस सीट पर तीसरे नंबर पर खिसक चुकी कांग्रेस किरनेश जंग को अपनी तरफ करने की कवायद में है।

13. सरकाघाट ( रंगीला राम राव ): मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार रंगीला राम राव दो बार से लगातार हार रहे हैं। टीम विक्रम की तरफ से यदुपति ठाकुर उन्हें इस बार रिप्लेस कर सकते हैं।

14. तारा ठाकुर ( सिराज ): सिराज सीट भी कांग्रेस के लिए दूर की कौड़ी है तारा ठाकुर का टिकट कटना भी तय ही माना जा रहा है।

15. मेजर मनकोटिया ( शाहपुर ): फायर ब्रैंड नेता और बगावती तेवरों के लिए जाने जाते रहे मेजर मनकोटिया भी इस बार टिकट से महरूम रह सकते हैं उनकी जगह केवल सिंह पठानिया को तरजीह मिल सकती है।

16. लखविंदर राणा (नालागढ़): नालागढ़ सीट से लखविंदर सिंह राणा का टिकट भी कटता ही नजर आ रहा है।

उपरोक्त सीटों के बाद भी कुछ सीट ऐसी हैं जहां जीत को जारी रखने या अन्य कारणों से कांग्रेस चेहरे बदल सकती है। और कुछ ऐसे नेता भी फायदे में रह सकते है जिन्हे हार के बावजूद सेकंड लाइन लीडरशिप न होने का फायदा मिल सकता है। ये सीटें इस तरह से हैं:

1. राम लाल ठाकुर ( नैना देवी ): राम लाल ठाकुर वीरभद्र सिंह के ख़ास हैं और लगातार चुनाव हार रहे हैं। मगर नैना देवी में सेकं लाइन ऑफ लीडरशिप न होने के कारण उनका टिकट बच भी सकता है।

2. ठाकुर सिंह भरमौरी ( भरमौर) : ऐंटी इंकमबेंसी को रोकने के लिए कांग्रेस भरमौरी का टिकट काट सकती है। कांग्रेस के दूसरे धड़े ने यहाँ नौजवान भरमौरी सर नेम वाले शख्स के लिए ही जोर लगाना शुरू कर दिया है

3. बृज बिहारी लाल बुटेल ( पालमपुर) : स्वास्थय कारणों से बुटेल यह चुनाव स्किप कर सकते हैं परन्तु अपने बेटे आशीष बुटेल के लिए वो टिकट की मांग कर सकते है। उन्हीं के परिवार के मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार गोकुल बुटेल टिकट के प्रबल दावेदारों में से हैं और चुनाव लड़ने की मंशा भी जता चुके हैं। वहीं कांग्रस जनजातीय मोर्चा के उपाध्यक्ष बेनी प्रसाद भरमौरिया भी गद्दी वोट बैंक में पकड़ के बल पर टिकट की दावेदारी पेश करने में लगे हैं।

4. किशोरी लाल ( बैजनाथ ): कांग्रेस की सिटिंग सीट पर ऐंटीइंनकमबेंसी रोकने और जिला कांगड़ा के ही एक युवा नेता के दबाब के कारण यहां से टिकट बदला जा सकता है।

5. चौधरी सुरेंद्र कुमार ( कांगड़ा ): कभी वीरभद्र सिंह के ख़ास थे मगर अब बाली खेमे में हैं। अब पवन काजल भी गुड बुक्स में हैं और वर्तमान में विधायक हैं। काजल क्या फैसला लेते हैं, इस कारण भी यह सीट संशय में हैं। डाक्टर राजेश शर्मा भी यहाँ से टिकट की मांग करते रहे हैं।

6. नादौन ( सुखविंदर सिंह सुक्खू ): सुक्खू का टिकट भला कौन काटेगा परन्तु चर्चा है कि सुक्खू यह चुनाव स्किप कर सकते हैं और किसी महिला नेत्री को अपनी जगह उतार सकते हैं। सुक्खू शिमला सिटी से भी चुनाव लड़ने के इच्छुक बताए जाते रहे हैं।

7. विद्या स्टोक्स ( ठियोग) : विद्यास्टोक्स उम्र के इस पड़ाव पर भी अभी चुनावी राजनीति से नहीं हटना चाहती है। स्वेच्छा से अगर वो हट भी जाती हैं तो अपने किसी खास को ही टिकट की मांग रखेंगी। यहाँ से वीरभद्र गुट में गए विद्या के पूर्व सिपहसलार केहर सिंह खाची भी दावा जता रहे हैं।

 

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