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हिमाचल प्रदेश के लिए आफत है या वरदान है हिमपात?

कर्म सिंह ठाकुर।। हिमालय तथा निम्न हिमालय में करीब 27 वर्षों बाद पहाड़ों को नसीब हुई बर्फबारीl 1992 में इस तरह की बर्फबारी दर्ज की गई थी। मंडी जिले का सुंदर नगर, बिलासपुर, हमीरपुर तथा ऊना के निचले क्षेत्रों में भी काफी लंबे समय के बाद बर्फबारी देखने को मिली। बृहत हिमालय के साथ साथ मध्य हिमालय से सटे क्षेत्रों में मंडी जिले में स्थित बदलाधार, सिकंदर आधार तथा मुरारी माता की पहाड़ियां बर्फ से लदालद हो गईl यदि यह पहाड़ियां पर्यटन मानचित्र से जुड़ी होती तो आज वैश्विक स्तर पर इन पहाड़ियों की प्राकृतिक सुंदरता का प्रभाव होता है।

सफेद बर्फ की चादर जहां एक तरफ हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करती है, वहीं दूसरी तरफ फसलों के लिए भी किसी अमृत से कम नहीं होती। हिमाचल प्रदेश का 90 फ़ीसदी जनमानस ग्रामीण क्षेत्र में रहता है तथा उनकी आजीविका का मुख्य स्त्रोत कृषि तथा बागवानी है। बारिश अच्छी हो और ऊपर से बर्फबारी हो जाए, तो सोने पर सुहागा माना जाता है।

इस वर्ष सेब की फसल अच्छी होगी क्योंकि सेब की फसल के लिए 1400 घंटे का चिलिंग आवर से अधिक का समय मिला है। जो सेब की बंपर फसल के लिए पर्याप्त है। गत वर्ष सेव का उत्पादन बहुत कम हुआ था। जिससे प्रदेश के किसानों की अर्थव्यवस्था माली हो गई थी, लेकिन इस बार बर्फबारी ने किसानों के चेहरे पर रौनक ला दी है।

यदि निम्न हिमालय की बात करें तो आम की फसल के लिए ज्यादा बर्फबारी का होना नुकसानदायक होता है। इस समय में आम के पेड़ों पर अंकुरण होता है। बर्फ पड़ने के कारण वह झड़ जाता है तथा पौधों को भी नुकसान पहुंचता है, तो इस वर्ष आम की फसल प्रभावित होगी।

बर्फबारी के होने से बच्चे, जवान तथा वृद्ध सभी गदगद हैं वहीं दूसरी तरफ भारी बर्फबारी के कारण बिजली का बाधित होना यातायात व्यवस्था का ध्वस्त होना तथा प्रचंड शीतलहर की चपेट में प्रदेशवासियों को तीन दशक पहले की जीवन शैली याद आई। बर्फबारी होने के कारण प्रदेश की सड़कें तथा बिजली व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण एक तरफ जहां पहाड़ गर्मी से जल रहे हैं, वही इस वर्ष ठंड से सिकुड़ना पड़ा। पिछले कई दिनों से ऊपरी हिमाचल ठंड की चपेट के साथ दुनिया से कटा हुआ है। लेकिन अब मध्य हिमाचल का क्षेत्र भी कई तरह की आपत्तियों में फंसा हुआ है। सरकारे बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन जैसे ही कोई छोटी सी आपदा आती है तो प्रशासन की सारी पोल खुल जाती है। पिछले 24 घंटे से करीब आधे से ज्यादा हिमाचल अंधेरे की चपेट में है, यातायात व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई हैl जिस तरह से आम आदमी का जनजीवन अस्त व्यस्त हुआ है,तो किसी भी भयंकर विपत्ति से कम नहीं है।

इसी बर्फबारी को यदि पर्यटन व्यवसाय से जोड़कर देखा जाए तो पूरे भारत के लोगों को हिमाचल के दर्शन करवाए जा सकते हैं लेकिन सड़क व्यवस्था व अन्य आधारभूत आवश्यकताओं की कमी के कारण हिमाचल में कोई भी पर्यटक नहीं आना चाहता। अधिकतर पर्यटक अपनी छुट्टियों का सबसे बेहतर उपयोग करना चाहते हैं यदि उनका अधिकतर समय छोटी-छोटी आपदाओं में ही निपट जाए तो वे दूसरी बार प्रदेश में कदम रखना पसंद नहीं करेंगे।

हिमाचल प्रदेश की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं हैl करीब 52000 करोड रुपए का ऋण है। इस ऋण को चुकाने के लिए प्रदेश के नेतृत्व को केंद्र सरकार के सामने झोली फैलानी पड़ती है यदि प्रदेश के नीति निर्माता व राजनीतिक नेतृत्व प्रदेश में उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों को पर्यटन व्यवसाय से जोड़ लें, तो प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सकता है। बेरोजगारों को रोजगार दिया जा सकता है तथा खस्ता हालत में पड़ी सड़क व्यवस्था को भी तंदुरुस्त किया जा सकता है। यदि मौसम मेहरबान हो जाए तो उसका लाभ उठाना आना चाहिए लेकिन यहां पर तो हाल ऐसे हैं, लाभ उठाना तो दूर की बात प्रदेश का जनमानस आधारभूत सुविधाओं से वंचित है। इस स्थिति से प्रदेश को निकालना होगा तभी हिमाचल आगे बढ़ सकता है।

(लेखक कर्म सिंह ठाकुर सुंदरनगर, मंडी, हिमाचल प्रदेश से हैं, उनसे 98053 71534 पर सम्पर्क किया जा सकता है)

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