- संजीव चौधरी
पक्षपातपूर्ण और सनसनीखेज रिपोर्टिंग कर रही हिमाचल की एक वेबसाइट पर खबर पढ़ी कि नीरज भारती ने इस बात का खंडन किया है कि उन्होंने कांगड़ा के विधायक पवन काजल को थप्पड़ मारे हैं। पहले तो मुझे नहीं पता था, मगर इस खबर को पढ़कर जरूर पता चल गया कि कुछ मामला हुआ है। वैसे नीरज भारती नाम सुनकर कोई भी आंख मूंदकर कह सकता है कि वह ऐसा काम कर सकते हैं। जो खुलेआम अंट-शंट बक सकता हो, जिसे पार्टी आलाकमान और मुख्यमंत्री की शह मिली हो, जो कानून को अपनी मुट्ठी में समझता हो, जो लोगों को मां-बहन की गालियां देता हो, जो खुलेआम धमकियां देता फिरता हो, अगर उसके बारे में ऐसी खबर आए तो हैरानी नहीं होती। बहुत संभव है कि नीरज भारती ने पवन काजल को एक झापड़ क्या, 4-5 लगाए हों और पवन काजल मारे शर्म के कुछ बोल न पा रहे हों। खैर, यह उन दोनों का आपस का मसला है। जब पवन काजल खुद कह रहे हैं कि ऐसा नहीं हुआ, तो इस विषय पर बात करना बनता नहीं है। इसलिए इस विषय पर मैं भी बात नहीं करूंगा। भले ही नीरज भारती कह रहे हों कि उनकी किसी बात को लेकर पवन काजल से गहमागहमी जरूर हुई थी।
खैर, मसला यह है कि उस पोर्टल पर नीरज भारती का बयान पढ़ा, जिसमें ओबीसी हितों की बात की गई थी। इसमें कहा गया था कि कांगड़ा के ही किसी ब्राह्मण नेता ने हम ओबीसी नेताओं (पवन काजल और नीरज भारती दोनों ओबीसी बहुल विधानसभा क्षेत्रों से हैं) में फूट डालने के लिए यह बयान चलाया है।
आज सुबह से एक गलत खबर को सोशल मीडिया पर हवा दी जा रही है और अब कुछ इलैक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया के लोगों के भी फ…
Posted by Neeraj Bharti on Thursday, August 25, 2016
अफवाह किसने चलाई, किसने नहीं, यह तो दावे के साथ कोई नहीं कह सकता। मगर इस पोस्ट के बहाने नीरज भारती ने जो जातिवाद का सहारा लेकर मामले को अलग रंग देने की कोशिश की है, वह अटपटी लगती है। अटपटी इसलिए भी लगती है, क्योंकि मैं खुद नीरज भारती के विधानसभा क्षेत्र से हूं और उसी जाति से हूं, जिससे नीरज भारती खुद हैं और जिस वर्ग का वह खुद को नेता बताते हैं। शर्म आती है मुझे नीरज भारती पर, जिन्होंने हम सभी को बदनाम किया है। जब वह फेसबुक पर किसी की मां-बहन को गालियां देते हैं, तब उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग खास कर घिर्थ आदि की मर्यादाओं की चिंता नहीं होती? तब वह ज्वाली की जनता का मान बढ़ा रहे होते हैं? अरे नीरज भारती जी, जब आप लोगों को गालियां दे रहे होते हैं, राजनीतिक विरोधियों पर ओछी टिप्पणियां कर रहे होते हैं, लोगों को कानिया कह रहे होते हैं, गाय का अपमान कर रहे होते हैं, तब हमें शर्म आती है कि हमने आप जैसे नेता को जन्म दिया। हमारे अभिभावकों को शर्म आती है कि उन्होंने आपके पिता के साथ-साथ चलकर उन्हें आगे बढ़ाने में योगदान दिया। हमें शर्म आती है कि आप हमारे विधायक हैं। आप किस मुंह से ओबीसी हितों की बात कर रहे हैं?
और इस बयानबाजी के अलावा आपने किया क्या है अपने इलाके के लिए? आपके पिता को हमने सांसद बनाया, यहां से कई बार विधायक रहे, सरकार में मंत्री रहे, आपको विधायक बनाया, आप सीपीएस हैं, मगर ज्वाली की हालत क्या है? यहां के मासूम लोगों को आप और चंद्र कुमार जी जाति के नाम पर ठगकर चुने जाते रहे, मगर आपने उसी जाति के नाम पर शोशेबाजी के अलावा कुछ नहीं किया। बाकी बातें छोड़ दो, यहां सड़कों की हालत इतनी खराब है कि सड़कों पर नाले बहने लगे हैं।
मैंने आपकी फेसबुक पोस्ट पढ़ी। आपने लिखा है- “”ये खबर फैलाने की चाल कांगड़ा जिला के ही एक कांग्रेसी नेता की है जो अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के सिर के उपर ही अपनी राजनीति चमकाता रहा है और आज भी जो कुछ है वो वहाँ के अन्य पिछड़ा वर्ग की वजह से है।””
हम सभी को पता है कि आपका इशारा किस तरफ है। और आपने चूंकि नाम नहीं लिखा, इसलिए मैं भी नाम नहीं लिखूंगा। आपने कहा कि वह ओबीसी लोगों के सिर पर ही अपनी राजनीति चमकाता रहा है। मुझे हंसी आती है आपके तर्कों पर। अरे वह ब्राह्मण होकर ओबीसी बहुल इलाके से जीत रहा है। अगर ओबीसी जनता उसने ब्राह्मण होकर जिता रही है, तो भाई इसका मतलब है कि यहां जाति का फैक्टर काम नहीं कर रहा। उल्टा जाति का फैक्टर आपके यहां काम कर रहा है, जहां आप ओबीसी बहुल इलाके में ओबीसी होने की वजह से जीत रहे हैं। और आप ही नहीं, आपके पिता जी भी ओबीसी होने की वजह से अपनी राजनीति चमकाते रहे हैं। वरना न तो आपमें रत्ती भर का टैलेंट है, न कोई विजन, न योग्यता। ऐसा ही चौधरी चंद्र कुमार के साथ भी था।
वैसे भी मेरी रिश्तेदारी है उस नेता के विधानसभा क्षेत्र में और मैं हमेशा उनके मुंह से उनके विधायक की तारीफ सुनता हूं। वह इसलिए, क्योंकि लोग खुश हैं कि उनके विधायक ने उनके इलाके के विकास को नए आयाम दिए हैं। वे खुश हैं कि शिक्षा के क्षेत्र में उनका इलाका आगे बढ़ रहा है। वे खुश हैं कि तमाम सुविधाएं उन्हें अपने इलाके में मिल जाती हैं। यही नहीं, आपने जिन दूसरे नेता को ‘अपनी जाति का नेता’ बताया है, वहां भी मेरी रिश्तेदारी है। उनके इलाके के लोग भी उस नेता को बहुत मानते हैं, जिसपर आपने निशाना साधा है। मैंने खुद जाकर उस इलाके का अपने इलाके से तुलनात्मक अध्ययन किया है। भारती जी, आपने हमारे इलाके का सत्यानाश कर दिया है।
और अगर वह इलाका आगे बढ़ा है तो यह उस नेता का बड़प्पन नहीं है। उस नेता की इसमें कोई उपलब्धि नहीं। बल्कि यह उपलब्धि हमारे उन ओबीसी भाइयों की है, जो उस नेता को अलग जाति का (जैसा कि आपने कहा ब्राह्मण) होने के बावजूद मौका देती है और लगातार जिताती आई है। कभी-कभी मुझे लगता है कि हमारे साथ लगते विधानसभा क्षेत्रों में रहने वाले हमारे ओबीसी भाई हमसे समझदार हैं, जो अपनी जाति के आधार पर नहीं, बल्कि काम के आधार पर नेता चुनते हैं। या जिस किसी भी आधार पर चुनते हों, ये तो वे जानें। मगर इतना साफ है कि इसमें जाति वाला फैक्टर नहीं है।
और आप अपनी भाषा देखिए। आप स्पष्टीकरण देते हुए लिखते है- ”इसी नेता को जिसने ये गलत अफ़वाह फैलाई है इसे जरूर एक बार इसके द्वारा मुझसे बदतमीजी किए जाने पर मुझसे थप्पड़ पड़ जाने थे (चाहे तो उससे पूछ सकतें हैं ये बात लगभग 1 साल पहले की है शिमला विधानसभा की) पर उस वक्त ये नेता वहाँ से भाग गया था इसीलिए वक्श दिया था पर शायद अब नहीं बक्शा जाएगा।”
यह रवैया और आपकी स्वीकारोक्ति दिखाती है कि आप थप्पड़ मार भी सकते हैं। इसलिए अफवाह उड़ी भी तो गलत नहीं। आपकी इमेज ही ऐसी है, जो आपने खुद गढ़ी है। आप कह रहे हैं कि अब नहीं बख्शा जाएगा। यानी आप थप्पड़ मारेंगे। और अगर मारेंगे तो इस बार कयों अपनी इमेज की चिंता करते हुए स्पष्टीकरण देते हुए घूम रहे हैं।
खैर, आपकी आखिरी लाइनें दिखाती हैं कि आप कितने घोर जातिवादी हैं और बौखलाकर कितनी घटिया बातें करते हैं। आप लिखते हैं- अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों के बीच दरार डालने वाले ऐसे नेताओं से सावधान रहें जो की खुद तो अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंध नहीं रखता है और राजनीतिक रोटीयाँ हमेशा अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की बदौलत सेंकी हैं…..
खुद ये नेता अपने आप को ब्राह्मण बोलता है पर नाम में सिंह लगाता है….. तो इसके ब्राह्मण होने में भी शक है और सिंह लगाने पर राजपूत होने में भी….. अब पता नहीं कौन जात है…..
भारती जी, मैं ऐसे समाज की कामना करता हूं जिसके नाम से पता ही न चले कि उसकी जात क्या है। मैं किसी को किसी की जाति से नहीं पहचानना चाहता। औऱ एक सभ्य समाज में जाति के लिए कोई जगह भी नहीं है। नेता ऐसा होना चाहिए, जो न जाति को तवज्जो दें और न ही किसी और को ऐसा करने दें। मगर शिक्षा विभाग के सीपीएस होने के बावजूद आप ऐसी ओछी बातें कर रहे हैं, आप पर शर्म आती है। सबसे ज्यादा शर्म तो इस बात के लिए आती है कि अन्य पार्टियों के बीच कांग्रेस पार्टी ही खुद को धर्म, जाति, संप्रदाय, क्षेत्र निरपेक्ष बताती है, मगर आप जैसे नेता उस दावे को खोखला साबित कर रहे हैं। ईश्वर आपको सद्बुद्धि दे। और आपको मिलेगी सद्बुद्धि, क्योंकि जिस तरह से हम ज्वाली और कांगड़ा के लोगों ने आपके पिता की जाति आधारित राजनीति को खारिज किया था, हम एक बार फिर आपको खारिज करने का मन बना चुके हैं। हमें अपनी जाति का फर्जी नेता नहीं, काम करने वाला असली नेता चाहिए, फिर वह किसी भी धर्म या जाति से क्यों न हो। और भारती जैसे तमाम नेताओं से अनुरोध, अब आप कृपया हम OBC लोगों को बदनाम न करें। हमारे लिए अच्छा नहीं कर सकते तो बेइज्जत तो न करवाइए। जय हिंद।
(लेखक मूलत: कांगड़ा जिले के ज्वाली से हैं और इन दिनों जालंधर में एक निजी विश्वविद्यालय में बतौर असिस्टेंट प्रफेसर कार्यरत हैं)
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DISCLAIMER: ये लेखक के अपने विचार हैं, इनके लिए लेखक स्वयं उत्तरदायी है। ‘इन हिमाचल’ इनसे सहमत या असहमत होने का दावा नहीं करता।