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संसद में कांग्रेस और हिमाचल विधानसभा में बी जे पी का एक ही एजेंडा “वाकआउट”

  • विकास राणा

  हिमाचल प्रदेश विधानसभा का सेशन मजाक का सेशन हो गया है।  जनहित के मुद्दों पर चर्चा करने उनके ऊपर सत्ता पक्ष को घेरने की जगह विपक्ष सिर्फ वाकऑउट पर केंद्रित है जो की अफ़सोस का विषय है।  विपक्षी नेता प्रेम कुमार धूमल के नेर्तित्व में रोज रोज के वाकऑउट से जनता अब उकताने लगी है।  प्रदेश भाजपा वाकऑउट का कारण वीरभद्र सिंह के ऊपर लगे  ई डी आरोपों और कारवाई  पर सदन में चर्चा को बताती है।  हालाँकि न्यायालय में मामला होने पर सदन में इस पर चर्चा का कोई तुक नहीं बनता है।

अगर सदन में चर्चा से कुछ इस मामले में निकल कर आएगा तो न्यायालय किस लिए हैं।  सदन में इस मामले की आड़ में सिर्फ एक दूसरे पर कीचड फेंकने की राजनीति को बल मिलेगा।  विपक्ष मामले में कई बार  स्पीकर से इस बारे में बात कर चूका है परन्तु स्पीकर का जबाब वही है जो हमेशा रहा है।  ऐसे ही प्र्शन काल में भी विपक्ष का मंत्रियों से सत्ता पक्ष से प्रदेश के बेरोजगारों से सबंधित प्र्शन पूछने की जगह सदन से वाकऑउट कर देना आम आदमी की उम्मीदों का गला घोंटना हैं
प्रदेश की खराब सड़कों शिमला सोलन में फैले पीलिया के प्रति जबाबदेही लोअर हिमाचल में सीमित होती खेती बेरोजगारों की बढ़ती फ़ौज के लिए सरकार ने क्या किया सरकार की जबाबदेहि सुनिश्चित करने की जगह सदन से बाहर चले जाना कहाँ तक उपयुक्त है।
लोकसभा में भी यही हो रहा है वहां कांग्रेस जो कर रही है यहाँ हिमाचल  में धूमल के नेर्तत्व  में भाजपा भी वही कर रही है।  क्या भाजपा नेता अपने प्रधानमंत्री की बात से इत्तफाक नहीं रखते जो सदन को सुचारु चलाने के लिए उन्होंने लोकसभा में कही थी ?
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कुलमिलाकर सिर्फ वीरभद्र विरोध पर टिकी  प्रदेश भाजपा के पास जनहित के मुद्दों पर सरकार को घेरने की जगह क्रिकेट और वीरभद्र विरोध के अलावा कोई एजेंडा नहीं है।  बी जे पी सत्ता में तो आना चाहती है पर वो सत्ता में आकर कैसे हिमाचल प्रदेश की ज्वलंत समस्या को सुलझाएंगे इस बारे में किसी रोडमैप पर बात नहीं करती है।  सब स्कूटर क्रिक्केट पर केंद्रित विपक्ष अगर जनहित के मुद्दों को समस्याओं को मंत्रियों के सामने नहीं रखेगा तो जनता को जबाब कैसे मिलेगा।
आरोपों में घिरे वीरभद्र सिंह का क्या होता है यह देखना जांच एजेंसियों का कार्य है और भारत की न्याययिक व्ययवस्था इस पर अपने हिसाब से फैसला लेगी।  प्रदेश का आम व्यक्ति सिर्फ अपने विद्याक से यह उम्मीद करता है की सदन में वो उसकी समस्याओं  जुड़े प्रश्न लेकर जाए उनके निदान में भूमिका बने।  न की अपने पार्टी विशेष के अजेंडे में केंद्रित रहे।
कुलमिलाकर हिमाचल प्रदेश विधानसभा में जो भी हो रहा है यह प्रदेश के विकास में अवरोधक और भविष्य के लिए घातक है।
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