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पूर्व मुख्यमंत्री धूमल के छोटे बेटे अरुण ने DGP और अधिकारियों को धमकाया

शिमला।।

सरकार अभी बदली नहीं, मगर नेता पुत्रों के तेवर अभी से बदल गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के छोटे बेटे और अनुराग ठाकुर के भाई अरुण ने फेसबुक पोस्ट पर डीजीपी और अन्य पुलिस अधिकारियों को धमकाने वाली भाषा इस्तेमाल की है। उन्होंने पहले तो यह लिखा कि मुख्यमंत्री पुलिस अधिकारियों पर हमारे ऊपर केस बनाने का दबाव डाल रहे हैं, फिर पुलिस अधिकारियों को चेतावनी दे डाली।

अरुण ने फेसबुक पोस्ट में लिखा है, ‘मुख्यमंत्री जी पिछले दो तीन दिन से लगातार पुलिस अधिकारियों पर दवाब बना रहें हैं जैसे तैसे धूमल जी अनुराग जी और मुझ पर कोई भी केस बनाया जाए।

मैं इसका स्वागत करता हूँ और चुनौती देता हूँ अधिकारियों को कि केस बनायें पर उनका हश्र क्या होगा इसको ध्यान में रखें। मुख्यमंत्री का ख़ुद का क्या हाल हुआ है पिछले केस बना कर उसको देख लें। मुख्यमंत्री केवल चंद दिनों के मेहमान हैं उसको बाद अपना हाल सोच कर ही कोई क़दम उठाएँ

और DGP संजय जी को एक सुझाव-धृतराष्ट्र और दुर्योधन के संजय ना बने। जीत हमेशा सत्य की होती है, संजय की नहीं। संयम में रहें।

राजनीतिक बयानबाजी नई चीज नहीं है और पुलिस अधिकारियों पर पहले भी राजनेता सत्ता के दबाव में काम करने का आरोप लगाते रहे हैं। मगर पुलिस अधिकारियों को अंजाम देखने की खुलेआम धमकी देना शायद पहली बार हुआ है। मुख्यमंत्री को चंद दिनों का मेहमान बताते हुए पुलिस को ‘हश्र’ और ‘हाल’ देख लेने की धमकी देना क्या खुद पुलिसवालों पर दबाव बनाना नहीं है?

राजनीतिक गलियारों में चर्चा चल रही है कि इस तरह की बयानबाजी बीजेपी को भारी पड़ सकती है। मंडी से बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री ने नाम न छापने की शर्त पर ‘इन हिमाचल’ को बताया कि डीजीपी प्रदेश पुलिस का मुखिया होता है और महकमे का सबसे बड़ा अधिकारी होता है। उसे इस तरह से धमकी नहीं दी जानी चाहिए। मुझे यह जानकर अफसोस हुआ कि शिमला से ही हमारी पार्टी के वरिष्ठ मंत्री रहे एक नेता के बेटे ने भी इस पोस्ट पर कॉमेंट किया है, जो प्रोत्साहन की तरह है। व्यक्तिगत लड़ाई में पार्टी का नुकसान हो जाए, यह बात ठीक नहीं।’

बहरहाल, सवाल ये भी उठ रहे हैं कि अगर किसी मामले में अरुण के खिलाफ जेनुइन यानी असली केस भी होता है, तो भी क्या वह हाल सोचने की धमकी देंगे? क्या अरुण यह साबित करना चाहते हैं कि अगर उनकी पार्टी की सरकार बनती है तो पुलिसकर्मियों को प्रताडि़त किया जाएगा? क्या उनके पिता पहले भी ऐसे ही अधिकारियों सो प्रताड़ित करते रहे हैं, जिससे कि वह इस बार भी धमकी दे रहे हैं?

गौरतलब है कि अनुराग ठाकुर के साथ-साथ अरुण पर भी एचपीसीए केस में कई आरोप लगते रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि अगर सरकार बदलती है तो क्या पुलिस अधिकारी ऐसे ही किसी मामले की निष्पक्ष जांच कर पाएंगे या उसे रफा-दफा कर दिया जाएगा? बहरहाल, अभी सरकार बदली नहीं है और यह भी तय नहीं है कि अगला सीएम कौन होगा। नड्डा के आने की अटकलें भी तेज हैं। मगर सोशल मीडिया पर चर्चा है कि इस तरह की बयानबाजी दिखाती है कि प्रदेश की राजनीति किस तरह से चलती है और अधिकारियों पर कितना दबाव रहता होगा।

इस बीच कानून के जानकारों का कहना है कि और मामलों में पुलिस अरुण के खिलाफ केस बनाए या न बनाए, मगर इस पोस्ट के आधार पर उनके खिलाफ न सिर्फ केस हो सकता है, बल्कि कार्रवाई भी हो सकती है। सरकारी कर्मचारियों को धमकी देने समेत कई धाराओं में पुलिस न सिर्फ मामला दर्ज कर सकती है, बल्कि जरूरत पड़ने पर गिरफ्तार भी कर सकती है।

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