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उफ! चावल में नमक मिलाकर पेट भरने को मजबूर है यह परिवार

कांगड़ा।। फेसबुक पर एक ऐसी पोस्ट शेयर हो रही है जो भावुक कर देती है। वक्त बड़ा ताकतवर है; चाहे तो इंसान को जमीन से आसमान पर ले जाए तो किसी को आसमान से फर्श पर पटक दे। यही देखने को मिल रहा है कांगड़ा जिले के बैजनाथ के चढ़ियार में। यहां के भुट्टू राम की कहानी सुनकर आपकी आंखों में पानी आ जाएगा। साथ ही यह भी सोचने पर विवश हो जाएंगे आप कि अगर सरकार द्वारा हर साल अरबों रुपया जनता की बेहतरी और गरीबी मिटाने के नाम पर किया जाता है। मगर क्या इस भारी-भरकम बजट से भुट्टू जैसे जरूरतमंदों की मदद नहीं हो सकती? और अगर सरकार और हमारे नेता इस काम को नहीं कर सकते तो क्या हम खुद मिल-जुलकर अपने लोगों के लिए कुछ नहीं कर सकते?

पालमपुर के संजय शर्मा ने फेसबुक पर एक पोस्ट डाली है। इसमें एक परिवार जर्जर मकान के आगे खड़ा है। यह मकान है भुट्टू राम का जो गांव और डाकघर चौरडू, पंचायत छैक, उपतहसील चढ़ियार, बैजनाथ के रहने वाले हैं। भुट्टू जी का एक हाथ काम नहीं करता मगर वह लकड़ी के काम के माहिर थे। वक्त ने पलटी मारी और सब बर्बाद हो गया। 2 बेटे थे इनके, जिनमें से बड़े की मौत एक दुर्घटना में हो गई और छोटा बेटा मानसिक रूप से असमर्थ है। बड़ा बेटा अपने पीछे 3 बच्चे छोड़ गया है। इन बच्चों की मां भी पति की मौत के बाद कहीं चली गई बच्चों का दादा-दादी के हवाले करके।


आज हालत यह है कि बुजुर्ग भुट्टू और उनकी पत्नी अपने तीन पोते-पोतियों के साथ रहते हैं। कई लोगों के मकानों में लकड़ी का काम करके उनमें जान फूंक चुके भुट्टू का अपना मकान गिरने की कगार पर पहुंच गया है। संजय शर्मा लिखते हैं कि उन्होंने इस परिवार चावल में नमक डालकर खाना खाते देखा है। पोते-पोतियों का पेट भरने की चिंता, मकान को गिरने से बचाने की चिंता… मानसिक रूप से असमर्थ बेटे की देखभाल करने की चिंता…. आखिर  बुजुर्ग भुट्टू कब तक जूझेंगे इस सब से?

In Himachal ने तय किया है कि 6 जून रात 12 बजे (मंगलवार) तक  इस आर्टिकल के बीच में दिखने वाले विज्ञापनों पर पाठकों द्वारा क्लिक करने से जो भी कमाई होगी, उसे भुट्टू राम जी के परिवार को दिया जाएगा।

 

इनका पता है- भुट्टू राम, गांव और डाकघर चौरडू, पंचायत छैक, उपतहसील चढ़ियार, बैजनाथ, जिला कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश।

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