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11 सालों में एक भी छुट्टी नहीं ली इस HRTC कंडक्टर ने

नाहन।। हममें से ज्यादातर का मन करता होगा कि काश बिना कुछ किए ही सैलरी मिल जाए। यह भी ख्याल आता होगा कि वीकली ऑफ यानी साप्ताहिक अवकाश भी ज्यादा हों और छुट्टियां भी भरपूर मिलें। मगर हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन निगम यानी HRTC का एक कंडक्टर ऐसा है, जिसने 11 सालों से एक भी छुट्टी नहीं ली। यही नहीं, जिस रूट पर उसकी ड्यूटी लगती है, निगम की कमाई बढ़ जाती है। इसका मतलब है कि वह अपना काम भी ईमानदारी से करता है।

42 साल के जोगिंद्र ठाकुर एचआरटीसी के नाहन डिपो में बतौर कंडक्टर काम करते हैं। उनका भरा-पूरा परिवार है, जिसमें पत्नी, बेटा-बेटी, माता-पिता और अन्य सगे संबंधी शामिल हैं। सिरमौर के संगड़ाह के रजाणा के रहने वाले जोगिंद्र ठाकुर चार जून 2005 को एचआरटीसी में बतौर कंडक्टर तैनात हुए थे। तभी से वह लगातार ड्यूटी दे रहे हैं। रोज वह 200 किलोमीटर का सफर तय करते हैं और इन दिनों नाहन-घाटों रूट पर सेवाएं दे रहे हैं।

अमर उजाला ने जोगिंद्र पर पूरी रिपोर्ट छापी है और बताया है कि कैसे वह सबके लिए प्रेरणा स्रोत हैं। वह हमेशा वर्दी में सेवाएं देते हैं। उनकी ईमानदारी और मधुर स्वभाव की सवारियां ही नहीं, निगम प्रबंधन भी कायल है। वह जिस भी रूट पर सेवाएं देते हैं, निगम की कमाई बढ़ना शुरू हो जाती है। सरकारी नौकरी में आने से पहले वह प्राइवेट बस के साथ काम करते थे और वहां भी कई सालों तक उन्होंने छुट्टी नहीं ली थी।

क्यों छुट्टी नहीं लेते जोगिंद्र?
जोगिंद्र का कहना है कि उनकी पत्नी और बच्चों के सहयोग से ही यह संभव हो पाया है। ड्यूटी पूरी होने के बाद बचा समय मैं अपने परिवार के साथ गुजारता हूं। जोगिंद्र का दावा है कि साढ़े 11 साल में उसने मात्र तीन दिन पूरे घर पर गुजारे हैं। अक्तूबर 2011, अक्तूबर 2013 में दिवाली पर और 2015 में एक बार सड़क बंद होने की वजह से वह घर पर रहे।

अब तक कोई पुरस्कार नहीं मिला
सरकार और निगम की तरफ से अब तक उन्हें कोई अवॉर्ड नहीं मिला है। बेकार पड़े एक रूट की इनकम बढ़ाने के लिए उन्हें एक बार सिर्फ 500 रुपये का नकद इनाम मिला था और साथ में एक सर्टिफिकेट।

रीजनल मैनेजर भी करते हैं तारीफ
एचआरटीसी के क्षेत्रीय प्रबंधक संजीव बिष्ट ने बताया कि जोगिंद्र अपनी ड्यूटी के प्रति बहुत ईमानदार हैं। आज तक उनकी कोई शिकायत नहीं मिली। जिस रूट पर वह सेवाएं देते हैं, उसकी आय बढ़ जाती है। समय, कायदे-कानून के पाबंद हैं।उनके अनुसार जोगिंद्र ने कभी छुट्टी नहीं ली। वह साप्ताहिक अवकाश भी नहीं लेते हैं। बिष्ट ने बताया कि मैंने स्वयं जोगिंद्र को पत्र लिखकर छुट्टी लेने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने लिखित में दिया कि मैं छुट्टी नहीं लेना चाहता।

जोगिंद्र कहते हैं कि अगर मेरा नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में शामिल होता है तो मुझे खुशी होगी। मगर हिमाचल सरकार या एचआरटीसी को चाहिए कि जोगिंद्र को पुरस्कृत करे। इसलिए नहीं कि वह छुट्टी नहीं लेते, बल्कि इसलिए क्योंकि वह ईमानदारी के साथ काम करते हैं। छुट्टी लेना या न लेना उनका निजी फैसला हो सकता है, मगर घाटे में जा रहे रूटों पर ड्यूटी लगने से जो निगम की आमदनी बढ़ती है, उससे पता चलता है कि वह पूरी ईमानदारी से काम करते है। और यह भी पता चलता है कि उनसे पहले वाले कंडक्टर जरूर कुछ गड़बड़ करते रहें होंगे। बहरहाल, इन हिमाचल की तरफ से जोगिंद्र को शुभकामनाएं।

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