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IIT मंडी के बोटैनिकल गार्डन से लोग चुरा रहे सामान, पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई

मंडी।। जब किसी जगह पर कोई बड़ा संस्थान खुलता है तो उस जगह के विकास की रफ्तार तेज हो जाती है। पहले तो वहां के लिए अच्छी सड़क बनती है, स्वास्थ्य और पानी जैसी बुनियादी जरूरतों की तरफ सरकारें लापरवाही नहीं बरततीं। सबसे खास बात यह कि स्थानीय लोगों को विभिन्न तरह का रोजगार मिलता है। इसलिए यह स्थानीय लोगों की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस संस्थान के सफल होने में पूरी मदद करें। मगर हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले का कमांद पूरे प्रदेश के लिए शर्म का विषय बनता जा रहा है। यहां पर आईआईटी जैसे संस्थान में चोरियों की घटनाएं दिनोदिन बढ़ती जा रही हैं।

मंडी के फ्रूट साइंटिस्ट डॉक्टर चिरंजीत परमार आईआईटी मंडी में बोटैनिकल गार्डन की स्थापना में जुटे हैं। यह प्रदेश का अपनी तरह का पहला ऐसा गार्डन होगा जिसमें हिमाचल में पाए जाने वाेल पेड़-पौधे पाए जाएंगे। यहां पर लिंगड़, दरेगल, काफल, आखे और तरड़ी तक लगाई जा रही है। आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि यह कितना अहम और महत्वपूर्ण प्रॉजेक्ट है।  (डॉक्टर चिरंजीत परमार की पोस्ट)

अब तक यहां 164 विभिन्न किस्म के पेड़-पौधे लगाए जा चुके हैं। चाय का बागान लगाया गया और कुछ अन्य किस्मों को भी यहां लाने की तैयारी की जा रही है। आईआईटी जैसे संस्थान में इस तरह पहल भी अनोखी है। यहां सिंचाई की व्यवस्था के लिए करीब एक किलोमीटर की दूरी से पानी लाया गया मगर किसी ने 1200 मीटर प्लास्टिक का पाइप चोरी कर लिया। दूर से विभिन्न किस्म के पेड़-पौधे लाए गए थे मगर उन्हें भी चुरा लिया गया। यही नहीं, जनसत्ता अखबार का कहना है कि 191 पौधों की अब तक चोरी हो चुकी है। मेडिसनल प्लांट गार्डन के लिए पानी की बड़ी टंकी लगाई गई थी मगर उसे भी लोग चुरा ले गए। अब वहां नई टंकी लानी पड़ी है।

इस संबंध में डॉक्टर परमार पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से भी मिले मगर अब तक किसी को पकड़ा नहीं जा सका है। कमांद जैसी छोटी जगह पर 1200 मीटर प्लास्टिक पाइप को ढूंढना कोई मुश्किल काम नहीं था मगर पुलिस के ढीले रवैये से चोरों की हिम्मत बढ़ती जा रही है। डॉक्टर परमार ने आखिर में थक-हारकर अपील की है, ‘कमांद गाँव वालो बोटैनिकल गार्डन को लगने दो. इस से और आपके यहाँ बन रहे आई आई टी जैसे संस्थान से आपको और आपकी आने वाले पीढ़ियों को बहुत लाभ होगा. किसी इलाके में इतने बड़े संस्थान बहुत भाग्य से खुलते हैं. इस लिए मेरी आप सब से हाथ जोड़ कर प्रार्थना है कि कृपा करके इसकी स्थापना में सहयोग करें और रुकावटें ना खड़ी करें.’

इस पूरे मामले में शक स्थानीय शरारती तत्वों पर जाता है क्योंकि कोई बार-बार बड़ी ही सफाई से चोरी को अंजाम दे रहा है। साथ ही पुलिस पर भी प्रश्न खड़े होते हैं क्योंकि वह इस मामले की रिपोर्ट ही लिखने को तैयार नहीं है। गौरतलब है कि यह वही कमांद है, जहां आईआईटी कैंपस में साल 2015 जून में खूनी संघर्ष हुआ था। स्थानीय मजदूरों और पंजाब के ठेकेदार के कथित बाउंसर्स के बीच हुई इस संघर्ष में पंजाब के 4 युवकों की मौत हो गई थी। शायद शरारती तत्वों के हौसलों को पुलिस और बढ़ने देना चाहती है। इसीलिए कमांद एक बार फिर हिमाचल के लिए शर्म का विषय बनता जा रहा है। पहले इस तरह का हत्याकांड न तो कभी प्रदेश में कहीं हुआ था और न ही इस तरह की चोरियों के लिए हिमाचल की पहचान है। यदि चोर बाहरी हैं, तब उनका पता लगाना भी पुलिस का काम है। मगर पुलिस तो हाथ पर हाथ धरे बैठी है। यह कमांद से स्थानीय लोगों की भी जिम्मेदारी है कि पता लगाएं कि कौन ऐसे काम करके उनके इलाके का नाम खराब कर रहा है।

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