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Impact: उत्पाती बंदरों से निपटने के लिए हिमाचल सरकार ने बदली रणनीति

शिमला।। लोगों के लिए परेशानी के सबब बन चुके बंदरों पर लगाम कसने के लिए हिमाचल प्रदेश सरकार ने अब अपनी रणनीति में बदलाव किया है। प्रदेश में शिमला समेत 68 तहसीलों में वर्मिन घोषित बंदरों को मारने के लिए अब वन विभाग ईको टास्क फोर्स का गठन करेगा। यह फैसला सोमवार को मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की अध्यक्षता में वन्य प्राणी तथा बंदरों की समस्या से निपटने के लिए गठित उच्च स्तरीय समिति की बैठक में लिया गया। मार्च के आखिरी हफ्ते में सरकार ने फैसला लिया था कि बंदर मारने पर उसका फोटो दिखाने पर ही 500 रुपये मिल जाएंगे। “इन हिमाचल” ने इस खबर पर आपत्ति जताई थी।

गौरतलब है कि ‘इन हिमाचल’ ने सरकार की इस अजीब नीति पर सवाल उठाते हुए सुझाया हुआ था कि लोगों को यह काम सौंपने के बजाय प्रफेशनल लोगों को जिम्मेदारी देनी चाहिए साथ ही हत्या करने के बजाय नसबंदी व अन्य मानवीय तरीकों पर विचार किया जाना चाहिए। अब प्रदेश सरकार ने जागते हुए इसी दिशा में आगे बढ़ने का फैसला किया है। इन हिमाचल ने ‘अब मरे हुए बंदर की तस्वीर दिखाने पर ही मिल जाएंगे 500 रुपये‘ टाइटल वाले आर्टिकल में लिखा था-

लोग चूंकि एक्सपर्ट नहीं हैं और उन्हें जीवों को मारने की छूट देना गलत है। कोई हादसा हो सकता है और उनकी गोली किसी इंसान को भी लग सकती है। ऐसे में लोगों को 500-500 रुपये देने के बजाय सरकार को चाहिए कि एक्सपर्ट शूटर्स को हायर करे जो उत्पाती बंदरों का ही शिकार करें। इससे न सिर्फ सरकारी पैसे की बर्बादी रुकेगी, किसी तरह का खतरा भी नहीं होगा। इससे भी बेहतर है कि ढंग से किसी एजेंसी की मदद से बंदरों की नसबंदी की जाए और लॉन्ग टर्म पॉलिसी बनाई जाए। मगर लगता है कि सरकार चाह रही है कि लोग भले ही बंदर मारकर पैसा न लें, बंदर मारने का दावा करके पैसा ले लें। यह जनता के टैक्स के पैसे की बेकद्री तो है ही, साथ ही समस्या भी इससे हल नहीं हो रही।’

इस खबर के करीब 3 हफ्ते बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा है कि बंदर किसानों की फसलों और बागवानों के फलों को बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं और कुछ जगहों पर बच्चों और महिलाओं पर जानलेवा हमले भी कर रहे हैं। इसलिए सरकार ने शिमला के नजदीक रेस्क्यू सेंटर फॉर लाइफ केयर खोलने का फैसला किया है। इसके अलावा मादा बंदरों को गर्भनिरोधक गोलियां आदि देकर बंदरों की आबादी पर लगाम लगाने की कोशिश भी की जाएगी।

अतिरिक्त मुख्य सचिव तरुण कपूर ने बताया कि नसबंदी किए गए बंदरों की पहचान के लिए उनके माथे के बीच स्थायी टैटू उकेरे जाएंगे। भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय को 53 तहसीलों तथा उप तहसीलों की सूची भेजी गई है, जहां किसानों तथा बागवानों को राहत देने के लिए बंदरों को नाशक जीव घोषित किया जा सकता है। जल्द ही भारतीय वन्य प्राणी संस्थान देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में जंगली सुअर, सांभर और नील गाय को वर्मिन घोषित करने के लिए एक सर्वे किया जाएगा।

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