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गार्ड की मौत के मामले में वन मंत्री ने In Himachal को भेजा लीगल नोटिस

इन हिमाचल डेस्क।। गार्ड की संदिग्ध हालात में मौत के मामले में भले ही अब तक हिमाचल प्रदेश के वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी का मीडिया में एक बयान नहीं छपा है मगर उनपर सवाल उठाने के लिए In Himachal को लीगल नोटिस भेजा गया है। इस लेख में इन हिमाचल पर आरोप लगाया गया है कि In Himachal के नाम से हम फेसबुक और वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया पर न्यूज आइटम्स पेश कर रहे हैं। आगे कहा कहा गया है मंडी में गार्ड की मौत के मामले में एक न्यूज आइटम छापी गई है जिसमें लिखा गया है कि मंत्री को कला एवं संस्कृति मंत्रालय मिलना चाहिए था क्योंकि वह कार्यक्रमों में नाचते और गाते नजर आते हैं। वकील ने कहा है कि यह भाषा मेरे क्लाइंट की छवि का अपमान करती है और उनकी मानहानि करती है। साथ ही इससे उनकी राजनीतिक और सार्वजनिक पहचान को क्षति पहुंची है।

आगे लिखा गया है कि आप अपने पेज पर निजी पहचान जाहिर नहीं करते, जो कि अपराध है और इसीलिए मेल पर मेसेज भेजा जा रहा है। आगे कहा गया है कि आप इस न्यूज को डिलीट करके बिना शर्त माफी मांगें और ऐसा न करने पर मेरे क्लाइंट (वन मंत्री) आपके खिलाफ पुलिस विभाग के साइबर सेल  में शिकायत दर्ज करेंगे और बिना पहचान के बताए झूठी और अपमानजक बातें लिखने पर आपके खिलाफ मुकदमा किया जाएगा।

In Himachal को भेजे गए लीगल नोटिस का मैटर

क्या है इन हिमाचल का पक्ष
सबसे पहले तो बात करते हैं कि उस आर्टिकल में लिखा क्या गया था। आर्टिकल पढ़ें: सिर्फ डंडे के सहारे बहुत बड़े इलाके में जंगलों की रक्षा करते हैं फॉरेस्ट गार्ड


इसमें लिखा है-
‘गौरतलब है कि हिमाचल प्रदेश के वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी हैं। वही मंत्री, जो आए दिन कार्यक्रमों में शिरकत करते दिखते हैं और उनमें गाने गाते और नाचते नजर आते हैं। नाचने-गाने में कोई बुराई नहीं मगर उन्हें समझना चाहिए कि वह कला एवं संस्कृति मंत्री नहीं, बल्कि वन मंत्री हैं। दरअसल उन्होंने बातों के अलावा विभाग में पॉलिस ऐंड प्लानिंग के मामले क्या अभूतपूर्व किया है, अब तक नजर नहीं आया।’

1. सबसे पहली बात यह है कि उस आर्टिकल में कोई भी अपमानजनक बात नहीं की गई है बल्कि सामान्य दृष्टि से सवाल उठाया है कि वन मंत्री ने वादा किया था कि वनरक्षकों को हथियार दिए जाएंगे मगर 1 साल हो जाने पर भी कुछ किया नहीं गया। साथ ही हमने आर्टिकल में न तो किसी को गाली दी है और न ही अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया है। बल्कि प्रश्न उठाया गया है कि अगर वक्त पर वन विभाग वन माफिया के खिलाफ सचेत होता और मंत्रालय इस मामले में गंभीर होता तो ऐसा नौबत नहीं आती। आज जंगलों में हालात क्या हैं, सबको मालूम हैं। ऐसे में यह सिर्फ सांकेतिक बात थी कि अगर व अपने मौजूदा मंत्रालय में रुचि नहीं ले रहे तो क्या उनकी रुचि आर्ट ऐंड कल्चर में है? क्योंकि वह कई कार्यक्रमों मे नाचते भी रहे हैं।

क्या इस लीगल नोटिस के जरिए यह कहने की कोशिश की जा रही है कि कला एवं संस्कृति मिलना अपमानजक बात है या मंच पर नाचना या गाना अपमानजनक बात है?  या फिर नोटिस इसलिए भेजा गया है कि इन हिमाचल ने अपनी मर्जी से ही लिख दिया कि मंत्री कार्यक्रमों  में नाचते और गाते हैं? उनके वीडियो पब्लिकली उपलब्ध हैं और यह बात भी पब्लिक डोमेन में है कि वह गायक हैं। इस भाषा में कहां से क्लाइंट का अपमान हो गया? क्या हमने कोई उनके ऊपर कोई गलत हरकत करने का आरोप लगा दिया है? या क्या किसी को अब लोकतंत्र में यह अधिकार भी नहीं रहा कि वह सरकार और मंत्रियों की आलोचना कर सके?

आगे लिखा गया है कि In Himachal वॉट्सऐप पर सोशल मीडिया पर अपनी मर्जी से खबरें चलाता है। हम स्पष्ट कर दें कि inhimachal.in हमारा पोर्टल है और facebook.com/inhimachal इसका फेसबुक पेज है। साथ ही इससे twiteer.com/in_himachal और instagram.com/inhimachal लिंक्ड हैं। इसके अलावा न तो हम वॉट्सऐप पर कोई ग्रुप चलाते हैं और किसी को खबरें भेजते हैं। In Himachal हिमाचल प्रदेश का सबसे बड़ा मंच है जहां पर प्रदेश के लोगों को विभिन्न स्रोतों से एकत्रित जानकारियां दी जाती हैं और विभिन्न लेखकों के लेख प्रकाशित किए जाते हैं जो In Himachal से संबंधित होते हैं। और In Himachal को संवैधानिक अधिकार (सेक्शन 19 A) प्राप्त है कि वह अपनी बात रखे। यह आर्टिकल कहता है-  “Everyone has the right to freedom of opinion and expression, this right includes freedom to hold opinions without interference and to seek, receive and impart information and ideas through any media and regardless of frontiers.

रही बात ‘इन हिमाचल’ के पते और पहचान की, हम कोई गैर-कानूनी काम नहीं करते कि पहचान छिपा रहे हैं। In Himachal चूंकि राजनीति और समाज के विभिन्न क्षेत्रों पर विभिन्न लेखकों के लेख प्रकाशित करता है, इसलिए धमकाए जाने और बेवजह परेशान किए जाने या फिर विज्ञापन या पेड न्यूज की सिफारिशें आदि आने से बचने के लिए ही वेबसाइट पर पता नहीं डाला गया है। हम कानून का सम्मान करते हैं और कभी भी कानून का साथ देने के लिए तैयार हैं। इस मामले में भी पूरी कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाएगा।

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