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रिजल्ट के बाद सोशल मीडिया पर कितना संवाद कर रहे हैं नेता?

नई दि्ल्ली।।
आज
के दौर में सोशल मीडिया को नजरअंदाज करना बेहद मुश्किल है। और तो और, अक्सर तकनीकी तामझामों से दूर रहने वाले नेताओं को भी मजबूरन फेसबुक और ट्विटर का रुख करना पड़ा है। इन्हें भविष्य का मीडिया देखा जा रहा है, जहां पर नेताओं या सेलिब्रिटीज़ वगैरह को अपनी बात जनता तक पहुंचाने के लिए अखबार या टीवी जैसे ट्रेडिशनल मीडिया पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इसी बात को समझते हुए इस बार के लोकसभा चुनावों में लगभग हर छोटे-बड़े नेता को फेसबुक पर ऐक्टिव देखा गया। कुछ नेता खुद जनता से जुड़े रहे, तो कुछ लोगों ने अपनी टीम की मदद से अपनी प्रोफाइल्स या पेज वगैरह संभाले।
हिमाचल प्रदेश की बात करें, तो यहां पर भी नेता अब सोशल मीडिया का रुख करने लगे हैं। युवा वर्ग से जुड़ने के लिए सोशल मीडिया बेहतरीन जरिया  रहा। हर पार्टी और नेता ने इसका भरपूर उपयोग किया। चुनाव के समय धड़ाधड़  नए नए पेजों की बाढ़ सी आ गई। इन सैकड़ों पेजों में से कुछ ऑफिशली नेताओं ने बनाए थे, तो कुछ उनके समर्थकों ने। इन हिमाचल की सोशल मीडिया एक्सपर्ट टीम ने चुनाव प्रचार से लेकर चुनाव का रिजल्ट आने के बाद भी इन सभी पेजों और नेताओं की पर्सनल प्रोफाइलों पर नजर रखी।

क्या था इस स्टडी का मकसद
हम जानना चाहते थे कि नेता लोग सोशल मीडिया को सिर्फ चुनाव प्रचार का जरिया मानते हैं या वे इसे आगे भी जनता से जुड़े रहकर उनकी समस्याएं और सुझाव वगैरह लेने का प्लैटफॉर्म मानते हैं। यह जानने के लिए हमने इलेक्शन से पहले भी नेताओं को कुछ प्रासंगिक मेसेज भेजे थे और रिजल्ट आने के बाद भी उन्हें मेसेज भेजे(अलग-अलग प्रोफाइल्स से)।

चुनाव से पहले क्या थे हालात
हमने यह पाया कि इलेक्शन से पहले नेता या उनके पेज

/प्रोफाइल संभालने वाली टीमें बेहद ऐक्टिव थीं। रोजाना नए अपडेट किए जाते थे और सुबह से लेकर शाम तक जनता को लुभाने वाले वादे किए जाते थे। हर तरह के मेसेज का रिप्लाई नेता के अकाउंट से हर आम आदमी को  किया जा रहा था। लेकिन रिजल्ट आने के बाद हालात बदल गए। कुछ नेता जीत के खुमार में तो कुछ हार के गम में सोशल मीडिया को भूल गए। ये वही नेता थे, जो सोशल मीडिया को जनता से जुड़े रहकर उसकी समस्याओं को सुनने का बेहतरीन मीडिया बता रहे थे। इन हिमाचल की टीम ने नतीजों के बाद 10 दिन तक नेताओं को अलग-अलग प्रोफाइल से जन-समस्याओं से जुड़े मेसेज किए, लेकिन अधिकांश नेताओं की तरफ से कोई जवाब नहीं आया।रिजल्ट के बाद की स्थिति


आलम यह है कि चुनाव जीतने के बाद नेता अपने पेजों यो प्रोफाइल्स पर जिताने के लिए धन्यवाद कहकर गायब हो चुके हैं। कुछ की प्रोफाइल्स में किसी महापुरुष की जयंत पर शुभकामनाएं या पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि के मेसेज आ रहे हैं तो कुछ की प्रोफाइल्स पर जीतने के बाद हो रहे भव्य स्वागत की तस्वीरें। मगर जनता के भेजे संदेशों का जवाब नहीं दिया जा रहा। जो नेता चुनाव हार चुके हैं, उनके पेज वीराने पड़े हैं।
आइए जानते हैं, इन हिमाचल की टीम ने अपनी स्पेशल इन्वेस्टिगेशन में क्या पाया

:

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह
सीएम अपने हर दौरे के फोटो के साथ फेसबुक पर ऐक्टिव हैं। मेसेज का रिप्लाई न तो वह चुनाव से पहले करते थे और न आज करते हैं। अखबारों की कटिंग्स शेयर करते रहते हैं कि उन्होंने क्या किया। दरअसल यह उनका पब्लिक रिलेशन या यूं समझिए कि प्रमोशन के लिए बनाया गया पेज है। हां, रोजाना कई-कई पोस्ट्स डालने वाले इस पेज में लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के 3 दिन बात तक सूनापन देखा गया था।


अनुराग ठाकुर, हमीरपुर के सांसद

सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स  की भारी भरकम टीम अपने साथ रखने वाले  बीजेपी  के युवा लीडर अनुराग ठाकुर के पेज की टाइमलाइन हमेशा की तरह उनकी उनकी  प्रसंसा करती  हुए पोस्ट्स और न्यूज़  कटिंग्स से भरी रहती है।  ट्विटर पर डाली जानकारी भी उस पेज पर शेयर की जाती है। लेकिन अभी तक उनका एक भी ऐसा फोटो नहीं दिखा है, जिसमें वह चुनाव जीतने के बाद दोबारा हमीरपुर की जनता के बीच दिखे हों। मेसेज का रिप्लाई न पहले करते थे और न ही अब करते हैं।

राजिंदर राणा, हमीरपुर सीट से कांग्रेस कैंडिडेट
हॉट सीट हमीरपुर से कांग्रेस के उमीदवार रहे राजिंदर राणा की फेसबुक  फ्रेंड लिस्ट में  5000 के करीब  फ्रेंड्स, मगर इनकी टाइमलाइन पर 15 मई के बाद कोई अपडेट नहीं है । आपदा प्रबंधन के वाइस प्रेजिडेंट बनने के बावजूद उन्होंने इस बात का जिक्र तक करना उचित नहीं समझा है। हार के बावजूद जो लाखों वोट उन्हें पड़े, उसके लिए उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर बैठे समर्थकों को औपचारिक शुक्रिया तक नहीं कहा है।

शांताकुमार, कांगड़ा के सांसद
कांगड़ा लोकसभा सीट से सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के फेसबुक पेज पर 16 मई को दिए गए धन्यवाद मेसेज के बाद आज तक 5 ही पोस्ट्स आई हैं। उनमें भी उनकी भविष्य की योजनाओं का कोई जिक्र नहीं है। चुनाव के बाद से उनके पेज से किसी भी तरह के मेसेज का जवाब आना बंद हो चुका है। सुनने में आ रहा है कि उनके पास एक स्पेशल टीम थी, जो चुनाव से पहले लोगों को जोड़ने के लिए सक्रिय थी। शायद वही चुनाव से पहले संदेशों का जवाब दिया करती थी।


राजन सुशांत, कांगड़ा के पूर्व सांसद

कांगड़ा के पूर्व सांसद राजन सुशांत यूं तो इलेक्शन से पहले शांता कुमार पर रोज नए-नए आरोप लगाकर उनकी शिकायत करते हुए अपनी फेसबुक प्रोफाइल पर अपडेट डालते थे, लेकिन 3 मई के लास्ट अपडेट के साथ उनकी सोशल मीडिया जनता इंटरेक्शन अब बंद है।  अभी तक उन्होंने सोशल मीडिया पर 25 हजार वोटों के लिए अपने समर्थकों को धन्यवाद नहीं कहा है। उनकी एक टीम थी, जो कई तरह के पेज बनाकर प्रचार कर रही थी। वह ऑफिशली उनकी तरफ से प्रचार कर रही थी या नहीं, यह तो नहीं पता, मगर वह टीम भी सोशल मीडिया से गायब है। क्योंकि उनके बनाए पेज सूने पड़े हैं।

राम स्वरूप शर्मा, मंडी के सासंद
मंडी से बीजेपी सांसद राम स्वरुप शर्मा मेसेज का रिप्लाई न तो चुनाव से पहले करते थे और न ही अब। लेकिन वह हिमाचल के इकलौते ऐसे नेता हैं, जो चुनाव जीतने के बाद सबसे पहले जनता के बीच धन्यवाद करने पहुंचे । यह बात उनकी प्रोफाइल पर आए अपडेट्स से मालूम पड़ती है।

प्रतिभा सिंह, मंडी से पूर्व सांसद

मंडी की पूर्व सांसद और सीएम वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह का पेज और उनके समर्थक नए अपडेट के लिए तरस गए हैं। 

एक नेता, जो इस मामले आदर्श है
इन सब नेताओं के बाद एक नंबर आता है एक ऐसे नेता का, जिसकी जीत की चर्चा लोकसभा चुनाव के बीच दब गई। लेकिन वह हिमाचल के तमाम नेताओं के लिए आदर्श हैं। वह चुनाव से पहले सोशल मीडिया पर अगर कम ऐक्टिव थे तो अब ज्यादा हैं।
नरिंदर ठाकुर, सुजानपुर के विधायक
सुजानपुर के नव निर्वाचित विधायक नरिंदर ठाकुर की लोकप्रियता फेसबुक पर सबसे तेजी से बढ़ी है। इनका पेज तो नहीं है, अपनी एक पर्सनल प्रोफाइल है। चुनाव से पहले 7 मई तक इनके मात्र 1300 फ्रेंड थे, लेकिन अब यह संख्या दोगुनी होकर करीब 2500 हो गई है। इन हिमाचल की टीम ने यह देखा है कि नरिंदर ठाकुर चुनाव से पहले और बाद में भी सोशल मीडिया ऐक्टिव हैं। वह देर सवेर हर मेसेज का रिप्लाई करने की पूरी कोशिश करते हैं।  सुजानपुर के इस नेता ने सोशल मीडिया को जनता से संवाद का जरिया बताया था और इसपर अमल भी किया। उन्होंने जनता को अपना फ़ोन नंबर भी दे दिया है और स्पष्ट रूप से अपने चाहने वालों को हिदायत भी दे दी है कि सोशल मीडिया पर हाइ, हेलो

, गुड मॉर्निंग , गुड ईवनिंग या जय-जय कार वाले मेसेज न भेजें। उन्होंने कहा कि वे सिर्फ अपनी समस्या या मुद्दे की बात मेसेज में कहें।इस सब के अलग

शिमला के सांसद वीरेंदर कश्यप और उनके प्रतिद्वंदी रहे मोहन लाल का कोई ऑफिशल पेज नहीं है। इन हिमाचल को उम्मीद है कि सभी नेता सोशल मीडिया को अपने प्रचार प्रसार के अलावा जनता की समस्याओं को सुनने और सुझावों को समझने के लिए एक प्लैटफॉर्म की तरह इस्तेमाल करेंगे।In Himachal को फेसबुक पर Like करने के लिए क्लिक करें

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