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जनता के काम भूलकर लाल बत्ती के पीछे पड़े है नए विधायक

शिमला।।
हिमाचल की पहचान यूं तो सादगी पसंद प्रदेश की है और साथ ही यहां की राजनीति को पड़ोसी राज्यों के मुकाबले दिखावे से दूर माना जाता है। मगर प्रदेश के कुछ विधायक ऐसे भी हैं जो चाहते हैं कि उन्हें गाड़ी पर लाल बत्ती लगाने का अधिकार दिया जाए।

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सुप्रीम कोर्ट ने साल 2013 में एक अहम फैसला सुनाते हुए विधायकों की गाड़ी पर लगी लाल बत्ती को अवैध करार दिया था। इसके बाद हिमाचल प्रदेश सरकार ने अधिसूचना जारी करके सभी विधायकों से गाड़ी पर लाल बत्ती लगाने का अधिकार छीन लिया था।

मगर हिमाचल प्रदेश के ज्यादातर विधायक लाल बत्ती को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना रहे हैं। उन्हें लगता है कि लाल बत्ती के बगैर उनकी कोई पहचान या अहमियत नहीं है।  इसी सिलसिले में ज्लावामुखी के विधायक संजय रतन के नेतृत्व में विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री से मिला और लाल बत्ती लगाने की इजाजत मांगी।

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इनकी मांग है कि विधायकों को लाल बत्ती लगाने का अधिकार दिलाने के लिए सरकार मोटर वाहन अधिनियम में संशोधन का प्रस्ताव पेश करे। सूत्रों के मुताबिक इन विधायकों ने तो यहां तक कह दिया कि अगर हमें लाल बत्ती नहीं मिल सकती तो चीफ सेक्रेटरी और पुलिस के सीनियर ऑफिसर्स की गाड़ियों से भी बत्ती को हटाया जाए।

ये सभी वे विधायक हैं, जो पहली बार चुनकर विधानसभा पहुंचे हैं। आमतौर पर विधानसभा में एक दूसरे के खिलाफ लड़ने वाले पक्ष-विपक्ष के ये विधायक लाल बत्ती को लेकर एकजुट हैं। इनका कहना है कि हम दिखावे के लिए नहीं, बल्कि विधायक पद की प्रतिष्ठा के लिए यह मांग कर रहे हैं।

यही आलम रहा तो आने वाले दिनों में प्रदेश के ये विधायक अपने साथ सिक्यॉरिटी के नाम पर  बंदूकधारी बॉडीगार्ड रखने से भी गुरेज नहीं करेंगे। गौरतलब है कि पड़ोसी राज्यों के विधायक किसी तरह का खतरा न होने के बावजूद गनमैन लेकर चलते हैं ताकि प्रभाव जमा सकें।

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