तो क्या फिर ‘आप’ में जाएंगे राजन सुशांत? पार्टी ने डाला बेटे का वीडियो

अप्रैल 2014 की तस्वीर जब राजन सुशांत AAP में शामिल हुए थे।

शिमला।। हिमाचल प्रदेश में इस वर्ष के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में दल-बदलने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। पहले आम आदमी पार्टी के हिमाचल अध्यक्ष अनूप केसरी बीजेपी में शामिल हुए थे तो अब बीजेपी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष खीमी राम शर्मा कांग्रेस में शामिल हो गए। उधर, अब राजनीतिक गलियारों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि पूर्व सांसद डॉ. राजन सुशांत की भी आम आदमी पार्टी में वापसी हो सकती है।

यह चर्चा इसलिए हो रही है क्योंकि आम आदमी पार्टी के आधिकारिक फेसबुक पेज पर डॉ. राजन सुशांत के बेटे धैर्य सुशांत का वीडियो अपलोड किया गया है। इस वीडियो का बाकायदा पेड प्रमोशन भी किया जा रहा है। इस वीडियो में डॉ. राजन सुशांत भी दिख रहे हैं।

वैसे, यह वीडियो पुराना है जिसमें धैर्य सुशांत किसी अधिकारी के दफ्तर पहुंचे हैं। इस वार्तालाप के वीडियो को अब आम आदमी पार्टी हिमाचल के फेसबुक पेज पर प्रमोट किया जा रहा है।

AAP के हिमाचल संयोजक रह चुके हैं राजन सुशांत               

राजन सुशांत आम आदमी पार्टी के हिमाचल संयोजक रह चुके हैं। करीब दो साल तक वह इस पद पर बने रहे। 2014 में उन्होंने कांगड़ा लोकसभा सीट से आम आदमी पार्टी के टिकट से चुनाव भी लड़ा था मगर मात्र 24 हजार वोट ले पाए थे। बाद में 2016 में उन्होंने पार्टी से किनारा कर लिया था। 

‘क्षमतावान नेता’

राजन सुशांत की गिनती एक समय हिमाचल बीजेपी के उन नेताओं में होती थी जिनमें पार्टी अपना भविष्य देखती थी। शांता कुमार ने भी ऐसे नेताओं की श्रेणी में जेपी नड्डा और राजन सुशांत का नाम गिनाया था। मगर वक्त ने ऐसी करवट ली कि राजन सुशांत ने न सिर्फ अपना राजनीतिक करियर पटरी से उतार दिया बल्कि भाजपा को भी आज तक इसका नुकसान झेलना पड़ रहा है।

छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे राजन सुशांत 1982 में पहली बार ज्वाली विधानसभा सीट से विधायक बने। वह उस समय तक के सबसे युवा विधायक थे। फिर 1985 के चुनावों में इसी सीट से विधायक चुने गए। 1993 में इसी सीट पर सुजान सिंह पठानिया से हारे। फिर 1998 में जीते और धूमल सरकार में मंत्री बने। 2003 के विधानसभा चुनाव में दूसरी बार सुजान सिंह पठानिया से हारे मगर 2007 के चुनावों में फिर जीतकर विधानसभा पहुंचे। यानी वह चार बार विधायक रहे।

परिवार के लिए पार्टी से रार

2009 में राजन सुशांत को भारतीय जनता पार्टी ने कांगड़ा लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ाया और वह जीते भी। उनकी जगह खाली हुई ज्वाली सीट पर उपचुनाव हुए। कांग्रेस से सुजान सिंह पठानिया ही मैदान में थे और भाजपा ने बदलेव राज को टिकट दिया। मगर इस बीच राजन सुशांत के भाई मदन शर्मा ने निर्दलीय चुनाव लड़ा। नतीजा- कांग्रेस के सुजान सिंह पठानिया की जीत हुई।

इसके बाद परिसीमन हुआ तो ज्वाली से लड़ने वाले नेता नई सीट फतेहपुर शिफ्ट हो गए। 2012 के विधानसभा चुनाव आए तो सुशांत अपनी पत्नी सुधा सुशांत के लिए फतेहपुर से टिकट की मांग करने लगे। मगर ऐसा नहीं हुआ और उनकी पत्नी ने निर्दलीय पर्चा भर दिया। वह तीसरे स्थान पर रहीं और भाजपा के उम्मीदवार की भी हार हुई।

इस बीच भाजपा से बागी हुए महेश्वर सिंह ने हिमाचल लोकहित पार्टी ने नाम से नया दल बनाया था जिसके यूथ विंग की जिम्मेदारी राजन सुशांत के बेटे धैर्य सुशांत ने संभाली थी। बाद में महेश्वर सिंह भाजपा में लौट आए और हिमाचल लोकहित पार्टी का अस्तित्व मिट सा गया।

AAP का दामन

2014 के लोकसभा चुनाव आने वाले थे। चुनाव से ठीक पहले भाजपा के सांसद होते हुए जनवरी में उन्होंने पार्टी और लोकसभा सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। हालांकि हिमाचल बीजेपी लगातार हाईकमान को उनको पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते कार्रवाई के लिए लिख रही थी। सुशांत ने 2014 के लोकसभा चुनावों से ठीक पहले आम आदमी पार्टी की सदस्यता ले ली और उन्हें पार्टी का संयोजक बनाया गया। फिर 2014 का लोकसभा चुनाव उन्होंने AAP के टिकट से लड़ा और उन्हें मात्र 24 हजार वोट मिले। फिर राजन सुशांत ने जनवरी 2016 में पार्टी के संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया। ये इस्तीफा पार्टी हाईकमान ने नामंजूर कर दिया। इसके बाद कुछ ही महीनों में आम आदमी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई। इस बैठक फिर से राजन सुशांत को हिमाचल प्रदेश के संयोजक बनाए रखा गया, लेकिन पार्टी की हिमाचल में गतिविधियां नगण्य ही रही। इसी के चलते उन्होंने फिर से पार्टी  से किनारा कर लिया।

2017 के विधानसभा चुनाव में राजन सुशांत फतेहपुर से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़े और तीसरे नंबर पर रहे। जैसा कि इस सीट पर होता आया था, इस बार भी वही हुआ। जब-जब राजन सुशांत या उनके परिवार के सदस्यों ने निर्दलीय चुनाव लड़ा, भाजपा की हार हुई। यही सिलसिला यहां से कांग्रेस विधायक चुने गए सुजान सिंह पठानिया के निधन के बाद हुए उपचुनावों में भी जारी रहा। नवंबर 2021 में हुए उपचुनाव में राजन सुशांत निर्दलीय लड़ते हुए तीसरे नंबर पर रहे और कांग्रेस के उम्मीदवार भवानी सिंह पठानिया की जीत हुई।

खास बात यह है कि 2020 में राजन सुशांत ने ‘हमारी पार्टी हिमाचल पार्टी’ नाम से दल के गठन का एलान किया था। शिमला में विजयदशमी के मौके पर उन्होंने पार्टी का नामकरण किया था। इसमें राजन सुशांत ने दावा किया था कि यह दल सबसे हटके होगा। हालांकि 2021 में फतेहपुर विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी ही नामांकन दाखिल किया था।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चूंकि इस पार्टी को समर्थन नहीं मिला, इसीलिए राजन सुशांत ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और संभव है कि इसी कारण वह आम आदमी पार्टी का रुख कर सकते हैं। अपने लिए नहीं तो अपने बेटे धैर्य सुशांत के लिए जो लंबे समय से अग्रिम पंक्ति पर खड़े होकर अपने पिता की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। और आम आदमी पार्टी द्वारा धैर्य सुशांत के वीडियो को प्रमोट करना, इसी कड़ी का हिस्सा हो सकता है।

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