धर्मशाला में भारत पाक मैच का विरोध है या अनुराग ठाकुर का ?

धर्मशाला में भारत पाक मैच का विरोध है या अनुराग ठाकुर का

आशीष नड्डा।  

धर्मशाला में 19 मार्च को प्रस्तावित भारत पाकिस्तान मैच को लेकर हिमाचल में भूचाल आया हुआ है।  संवेदनाओं से लेकर राजनीति में फोकस होते इस मैच के बारे में सोचकर मेरा भी मन कुछ लिखने का हुआ।  इस मैच के बारे में बात करने से पहले हमें इन तथ्यों पर गौर करना होगा की हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र से सांसद अनुराग ठाकुर जो इस समय बी सी  सी आई के पदाधिकारी भी हैं , इस मैच के कारण विरोधियों के टारगेट बने हुए हैं।  हालाँकि यह सच है की सत्ता के बाहर रहते हुए और अब सत्ता में आकर  भारत पाक क्रिकेट के ऊपर अनुराग ठाकुर ने भी यू टर्न लिया है।  कभी अपने ट्वीट के माध्यम से अनुराग ठाकुर यह कहते थे की पाकिस्तान के साथ मैच नहीं हो सकता क्योंकि आतंकवाद और क्रिकेट साथ नहीं चल सकते , वही अनुराग ठाकुर उसके ठीक डेढ़ साल बाद जब बी सी सी आई में पदाधिकारी हो जाते हैं  तो पाकिस्तान के साथ क्रिकेट सीरज की बहाली के लिए सरकार को पत्र लिखते हैं। जब राष्ट्रीय स्तर पर इसका विरोध होता है तो वह ब्यान देते हैं की बी सी सी आई पदाधिकारी होने पर उन्हें यह पत्र लिखना पड़ा मतलब राष्ट्रीय मुद्दे पर भी उनका स्थायी विचार नहीं है वो कुर्सी के साथ बदल जाता है खैर।
ये तो रही रही द्विपक्षीय सीरीज की बात इसमें मेरा भी मानना है की जब तक पाकिस्तान के  कर्म बेहतर नहीं होते हमें उनके साथ कोई ऐसे सीरीज में नहीं खेलना चाहिए जिससे उन्हें  आर्थिक लाभ हो।  इससे बचा जा सकता है और उन लोगों के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता जो यह तर्क देते हैं की क्रिकेट से हमारे बीच के मामले सुलझेंगे हम करीब आएंगे।  हमारे मामले तभी सुलझेंगे जब मुंबई हमले , पठानकोट अटैक के कारदारों पर कड़ी कार्रवाई होगी जब सीमा पार से आतंक की खेप बंद होगी ऐसे  दोनों देश दिन रात टेस्ट क्रिकेट भी खेलते रहें कोई फर्क नहीं पडने वाला।
धमर्शाला स्टेडियम जहाँ वर्ल्ड कप का मैच निर्धारित है
अब मैं वर्ल्ड कप के मैच की बात करता हूँ  जिसमे मुझे लगता है संवेदनाओं के कंधे पर बन्दूक रखकर सीधे अनुराग ठाकुर पर निशाना साधा जा  रहा है।  इसमें कुछ लोग ऐसे हैं जो सच में निष्काम भाव से इमोशनल हैं जज्बाती हैं पर उनके मन में जो है वो सच है विरोध है मैच का तो है।  परन्तु दूसरी तरह के लोग जो सुगबुगाहटों से या जमीनी स्तर पर आकर इस मैच के विरोध में झंडा बुलंद किये हुए हैं वो सैनिकों के परिवारों की आड़ लेकर सीधे अनुराग ठाकुर से अपनी दुश्मनी निकाल रहे हैं।  चाहे यह अनुराग ठाकुर की राजनीति की जड़े हिलाने के लिए हो या अनुराग ठाकुर के वर्चस्व की कुंठा हो।
इस बात को इस नजरिये से देखा जाए की यह लोग सिर्फ इस बात पर क्यों टीके हैं की धमर्शाला में मैच न हो क्योंकि पठानकोट में शहीद होने वाले दो जवान हिमाचल के भी थे।  अगर शहादत की संवेदनाओं की  ही इन तथाकथित लोगों को फ़िक्र है फिर ये संवेदनाये क्षेत्रीय क्यों है ?? राष्ट्रीय क्यों नहीं है ?? पठानकोट हमले से पहले और उसमे भी हमारे जवानों ने शहादत पायी है।  फिर यह लोग राष्ट्रीय स्तर की बात क्यों नहीं करते की मैच सिर्फ धर्मशाला नहीं हिन्दोस्तान की धरती पर नहीं हो ???
मेरा मानना है जब  वैश्विक स्तर पर कोई भी राष्ट्र  किसी भी  संस्था का हिस्सा होते हैं तो आपको उस संस्था के सविंधान को मानना  पड़ता है फिर चाहे आप यूनाइटेड नेशन की बैठकों की बात करें , ओलिंपिक में खेलों की बात करें या एशिया में  सम्मलेन की बात करें।  तुर्की और रूस क्या वर्ल्ड कप  के फूटबाल मैच में आपस में नहीं भिड़ेंगे  ??? ।  यह मैच आई सी सी का इवेंट है पठानकोट अटैक से पहले निर्धारित था।  उसका विरोध सिर्फ अनुराग ठाकुर के प्रति रंजिस के कारण एक मुद्दा हथियाने के लिए हो रहा है ऐसा मेरा मानना है।  जिसे सवँदनायों का तड़का दिया जा रहा है।
एक और बात माना अनुराग ठाकुर नाम का आदमी अगर बी सी सी आई में नहीं होता धमर्शाला क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण का नाम अनुराग से नहीं जुड़ा होता तब भी क्या धर्मशाला में  इस मैच का विरोध इसी स्तर पर होता ?  यह भी गौर करने की बात है।  जब विरोध संवेदनाओं के आधार पर पाकिस्तान के साथ है तो फिर कबड्डी कुश्ती से लेकर आपसी व्यापार सुई से लेकर सब्जी सब पर होना चाहिए।

ये इमोशन के ऊपर राजनीति हो रही है।  जहाँ परिजन सोच भी नहीं रहे या नहीं सोचते थे वहां उनका नाम लेकर जबरदस्ती सोच पैदा की जा रही है कल को कोई कह देगा मोदी ने पाक से बात क्यों की शहीदों   के परिजनों को दुःख हुआ कोई कहेगा की केजरी ने गुलाम अली को दिल्ली क्यों आने दिया शहीदों के परिजनों को दुःख होगा कोई  कहेगा आतिफ असलम का गाना क्यों सुना शहीदों  के परिजनों को दुःख होगा।
आखिर ये  राजनीति क्षेत्र के  लोग ही सबके दुःख निकाल कर क्यों लाते हैं , आज तक किसी शहीद के घर से कोई 70 साल में मैच के ऊपर गानों के ऊपर वार्ता के ऊपर नहीं  बोला  उनका भाव वहां था ही नहीं परन्तु  राजनैतिक लोग अपने स्वार्थ के लिए सबके माई बाप और शुभचिंतक बन जाते हैं।   वो भी शहीदों के नाम की आड़ लेकर यह दुखद है

कुल मिलाकर मेरा मानना है धमर्शाला में इंडिया पाक के वर्ल्ड कप मैच का विरोध  संवेदनाओं के कन्धों पर बन्दूक रखते हुए अनुराग ठाकुर का विरोध ज्यादा है मैच का कम।  बाकी सबकी अपनी अपनी राय है।
लेखक हिमाचल प्रदेश के निवासी हैं आई आई टी दिल्ली में रिसर्च स्कॉलर हैं और इन हिमाचल के नियमित स्तंभकार हैं ” 
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