दोस्त के लिए 3 दिन का सफर डेढ़ दिन में नाप डाला पर कुदरत को कुछ और ही था मंजूर

दोस्त की खातिर तीन दिन का सफर डेढ़ दिन में नाप डाला पर कुदरत को कुछ और ही था मंजूर

हिमाचल प्रदेश के युवा पर्वतरोही अरुण शर्मा  का शव उसके जन्मदिन के एक दिन बाद घर पहुंचेगा। नोएडा में डेल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर अरुण शर्मा का शव शनिवार सुबह उसके पैतृक गांव देहरा उपमंडल के मानगढ़ लाया जाएगा। हिमाचल सरकार ने शुक्रवार को भी अरुण का शव चौपर से लाने की कोशिश की, लेकिन मौसम बाधा बन गया। अरुण शर्मा का जन्म 21 अगस्त 1983 को हुआ था। और, उसका शव उसके घर 22 अगस्त 2015 को पहुंचेगा। एक मां के लिए यह बड़ा दुखदायक होगा।

एनआईटी हमीरपुर से पास आउट हुआ इंजीनियर अरुण कैरियर के शुरुआती दौर में ही अमेरिका नौकरी करने चला गया था। अरुण को ट्रैकिंग का बहुत शौक था। भारत में ही नौकरी करने की इच्छा ने विदेश से मोह भंग कर दिया। इसके बाद अरुण भारत लौट आया। लेकिन, यहां ट्रैकिंग का शौक कम नहीं हुआ। जब भी वक्त मिलता अरुण ट्रैकिंग पर निकल जाते। मौजूदा दौर में अरुण नोएडा में डेल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे। इस बार भी जब वह लौटे तो सीधे कश्मीर घाटी के उमसी दर्रे पर ट्रैकिंग के लिए निकल गए थे। 11 अगस्त को उनकी तबीयत जम्मू कश्मीर की पहाड़ियों में ऐसी बिगड़ी कि उनके साथ गए मित्र रिजुल गिल ने उन्हें बचाने की खातिर डेढ़ दिन में वह दर्रा नाप डाला जिसे उन्हें जाने के लिए 3 दिन लगे थे। रिजुल किश्तवाड़ में पहुंच कर अपने दोस्त को बचाने के लिए प्रशासन से गुहार लगा रहे थे, उधर पहाड़ में कब अरुण ने अंतिम सांस ली, इसका कोई पता नहीं लगा। फिर भारतीय वायु सेना ने अरुण के शव को निकाला। अरुण शर्मा की शादी पिछले साल ही हमीरपुर निवासी निहारिका के साथ हुई थी। अरुण के पिता की मौत कुछ साल पहले हुई थी। अरुण का बड़ा भाई लुधियाना की एक कंपनी में नौकरी करता है।
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