जानें, आखिर ये ‘आया राम-गया राम’ है क्या

शिमला।। हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में गए कांग्रेस नेता अनिल शर्मा ने कहा कि वह अपने पिता सुखराम के अपमान से नाराज थे। दरअसल पंडित सुखराम को पिछले दिनों एक भाषण के दौरान वीरभद्र सिंह ने इशारों ही इशारों में ‘आया राम, गया राम’ कह दिया था। अनिल शर्मा और सुखराम परिवार के बीजेपी में शामिल होने पर प्रतिक्रिया देते हुए दोबारा वीरभद्र ने यही बात कही और कहा- पंडित सुखराम का परिवार आया राम, गया राम है। पहले भी उन्होंने कांग्रेस छोड़कर अपनी अलग पार्टी बनाई थी मगर फिर कांग्रेस में आ गए।

इतना तो आप समझ गए होंगे कि यह बात राजनीति में पार्टी, पाला या खेमा बदलने के लिए कही जाती है। मगर इसमें ‘राम’ का संबंध सुख राम से नहीं, बल्कि हरियाणा के एक नेता से बताया जाता है। उस नेता पर, जिसने 24 घंटों के अंदर तीन बार पार्टियां बदल ली थीं। कथित तौर पर उन्हीं के नाम पर यह बात चल पड़ी है।

दरअसल 1967 में गया लाल हरियाणा के हसनपुर से विधायक थे। पहले वह कांग्रेस छोड़कर युनाइटेड फ्रंट में गए थे। फिर वह कांग्रेस में लौट आए और फिर दोबारा युनाइटेड फ्रंट में चले गए। यह पूरा घटनाक्रम चौबीस घंटों में हुआ। उस समय कांग्रेस के नेता बीरेंदर सिंह ने कथित तौर पर कहा था कि ‘आया राम पर गया राम है।’ इसके बाद दलबदलू लोगों के लिए इस मुहावरे को इस्तेमाल किया जाने लगा।

हालांकि गया लाल के बेटे उदय भान ने एक अखबार से बात करते हुए कहा था कि उनके पिता ने पार्टी नहीं बदली थी, हालांकि हालात को बदलने हुए समर्थन अलग-अलग जगह जरूर दिया था। उनका कहना है कि उमा शंकर दीक्षित ने पहली बार संसद में यह मुहावरा इस्तेमाल किया था, मगर किसी ने इसे मेरे पिता से जोड़ दिया।

वैसे हिमाचल में पार्टियां बदलने वाले बहुत से नेता हैं जो कई खेमे बदलते रहे हैं। ऐसे लोगों के नाम के आधार पर आपको कोई जुमला बनाना हो तो किसका नाम चुनेंगे? 🙂 कॉमेंट करके जरूर बताएं।

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