जानें, छत पर सोलर प्लांट लगाकर कैसे और कितनी बिजली बेच पाएंगे आप

डॉ. आशीष नड्डा।। एनर्जी सेक्टर में हिमाचल प्रदेश को भारत का पावर हाउस कहा जाता है। प्रदेश में बिजली उत्पादन का मुख्य रिसोर्स नदियां एवं अन्य वाटर बॉडीज़ हैं। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 10 GW क्षमता का बिजली किया जा रहा है, हालाँकि सम्भावना 22 GW तक आंकी गई है। बीते कुछ वर्षों की बात की जाए तो बिजली उत्पादन कोयला विंड हाइड्रो रिसोर्सेज़ से हटकर सोलर एनर्जी की तरफ शिफ्ट हुआ है। इसका मुख्य कारण सोलर सेल की कीमतों में वैश्विक स्तर पर कमी और दुनियाभर के देशों का इस दिशा में कार्य करना है।

भारत सरकार ने भी देश में सोलर एनर्जी की संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए 2008 में जवाहर लाल नेहरू मिशन के तहत यह टारगेट रखा था कि देश में 22 GW बिजली उत्पादन 2022 तक सोलर एनर्जी से किया जाएगा। 2015 में इस टारगेट को 100 GW कर दिया गया। अभी तक देश में सोलर से बिजली के उत्पादन की क्षमता लगभग 13 GW तक पहुंच चुकी है।

ऱाज्य सरकारें भी इस दिशा में काम करें इसलिए लिए केंद्रीय बिजली विनायक आयोग ने यह यह मेंडेटरी किया कि प्रत्येक राज्य अपने कुल एनर्जी डिमांड में से कुछ हिस्सा सोलर एनर्जी से पूरा करेगा जिसे SPO (Solar Purchase Obligation) नाम दिया गया। इसी आधार पर हिमाचल प्रदेश को भी 10 MW क्षमता के रूफटॉप सोलर प्लांट चालू वित्तीय वर्ष में राज्य में स्थापित करने होंगे।

Solar Roof Plant in Satara | Solar Rooftop Plant Manufacturers in Satara |

सोलर रूफटॉप की खासियत यह है कि इसमें ग्रिड से बिजली लेने वाला आम उपभोगता भी ग्रिड को बिजली दे सकता है। यानी एक आम नागरिक जो अपने मकान में रहता है वो उसकी छत का प्रयोग करते हुए बिजली उत्पादक भी बन सकता है। केंद्र सरकार ऐसे रूफटॉप प्लांट के लिए सब्सिडी भी दे रही है जो आम राज्यों के लिए टोटल लागत की 30% है वहीँ हिमाचल जैसे विशेष राज्यों के लिए 70% है।

हर प्रदेश की इस दिशा में अलग अलग पॉलिसी है। हिमाचल प्रदेश की सोलर पॉलिसी के आधार पर बात करें तो केन्द्र सरकार 70 फीसदी तथा 10 फीसदी राज्य सरकार अनुदान दे रही है। सरकार ने तय किया है बिजली बोर्ड 2. 50 रूपए पर यूनिट की दर से रूफटॉप प्रोजेक्ट्स से बिजली खरीदेगा।

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सबसे बड़ा सवाल है की घरों की छत पर पैदा होने वाली बिजली की खरीद कैसे होगी ?
यह खरीद नेट मीटरिंग पॉलिसी से की जाएगी। यानी घर में एक मीटर जैसे ग्रिड से आने वाली बिजली के यूनिट काउंट करता है उसकी जगह ऐसा मीटर लगेगा जो ग्रिड को दी जाने वाली बिजली के यूनिट भी काउंट करेगा। चूँकि सोलर सिस्टम तो रात को काम नहीं करेगा इसलिए ग्रिड से बिजली तो उपभोगता को लेनी ही पड़ेगी।

उदाहरण के तौर पर माना महीने में कोई उपभोगता 300 यूनिट बिजली ग्रिड से लेता है और 500 यूनिट बिजली ग्रिड को अपने घर में लगे प्लांट से देता है तो 200 यूनिट बिजली के बिल से लैस हो जाएंगे। यानी उपभोगता को 300 की जगह 100 यूनिट का ही बिल आएगा इस तरह एक वर्ष तक बाकी यूनिट अगले बिल में एड होते रहेंगे अंत में जो यूनिट बचेंगे उन्हें 2.50 पर यूनिट के हिसाब से सरकार खरीदकर पैसे देगी।

कितने kW कैपेसिटी का प्लांट लगाया जा सकता है ?
दूसरा सबसे बड़ा सवाल है की रूफटॉप सिस्टम कितने kW का लगाया जा सकता है? तो इसका जबाब है की रूफ टॉप सिस्टम 1000 kW तक का लगाया जा सकता है। पर ध्यान देने वाली बात है kf हर उपभोगता 1000 का नहीं लगा सकता। सोलर प्लांट लगाने की क्षमता को सैंक्शन या कनेक्टेड लोड और वोल्टेज सप्लाई के टाइप से विभिन्न वर्गों में विभाजित किया गया है। मसलन हर घर, संस्था स्कूल, हॉस्पिटल और इंडस्ट्री का एक सैंक्शन लोड होता है जिसका डेटा मीटर के लिए अप्लाई करते समय बिजली बोर्ड को दिया जाता है।

जैसे आम घरो की बात करें तो घर का कनेक्टेड या सैंक्शन लोड 5 kW तक रहता है और घरों में सिंगल फेस सप्लाई वोल्टेज (230 V ) की रहती है। वहीँ अगर किसी ने छोटा उद्योग आटा चक्की आदि लगा रखी तो लोड 15 kW से ऊपर और थ्री फेस सप्लाई ( 440 V ) रहती है वहीँ बड़े बड़े संस्थानों के लिए लोड 1000 kW और हाई टेन्शन वोल्टेज सप्लाई तक भी हो सकता है। इसी आधार पर कौन सी सप्लाई की वोल्टेज लाइन के लिए मैक्सिमम कितने kW तक सिस्टम लगाया सकता है, यह टेबल में दिखाया गया है।

घर में कितने kW कैपेसिटी तक लगा सकते हैं प्लांट?
जैसा की टेबल में साफ़ साफ़ लिखा है 230 V के कनेक्शन के लिए 5 k W तक का सिस्टम लगाया जा सकता है परन्तु इसे भी पॉलिसी में उपभोगता के बिल देने की कैटिगरी में विभाजित कर रखा है। जिसे सिंगल पार्ट टेरिफ और डबल पार्ट टेरिफ में बांटा है।

 

सिंगल पार्ट टैरिफ वाले उपभोगता जिसमे सारे घरेलु उपभोगता शामिल हैं अपने सैंक्शन लोड (जो आमतौर पर 5 से 10 kW के बीच रहता है) का सिर्फ 30 प्रतिशत कपैसिटी का ही सोलर प्लांट लगा सकते है। यानी 5 kW सैंक्शन लोड के लिए 1.5 kW और 10 kW के लिए 3 kW.

solar energy plant installation

वहीँ स्कूल, ट्रस्ट सरकारी हॉस्पिटल अन्य बिल्डिंग और इंडस्ट्री कैटोगरी के उपभोगता अपने कुल सैंक्शन लोड का 80% तक कैपेसिटी का सोलर प्लांट लगा सकते हैं। यानी किसी स्कूल के का कनेक्टेड या सैंक्शन लोड 100 kW है तो वो 80 kW तक का सोलर प्लांट अपनी छत पर लगा सकेंगे।

कितने यूनिट बिजली पैदा करता है 1 kW सोलर प्लांट?
वैसे तो सोलर प्लांट से से बिजली पैदा करने का अनुमान लोकेशन पर डिपेंड है क्योंकि, सौर ऊर्जा हर जगह के हिसाब से अलग है। फिर भी मोटे मोटे तौर पर बात की जाए तो 1 kW कपैसिटी का सोलर रुफटॉप प्लांट सालाना लगभग 1700 से 1800 यूनिट पैदा कर सकता है।

क्या लागत है सोलर प्लांट की?
अगर 1 kW सोलर प्लांट की बात की जाए तो वैसे लागत तो 50000 से 55000 रुपये है पर इसमें से 70% अनुदान केंद्र सरकार की तरफ से है और लगभग 10 % अनुदान राज्य सरकार की तरफ से दिया जाएगा। यानी कुल लागत का 20% ही उपभोगता को देना होगा।

कौन-कौन हैं सब्सिडी के पात्र?
उपरोक्त सब्सिडी या अनुदान के पात्र घेरलू उपभोगता, संस्थान (जो सोसायटी या न्यास के द्वारा रेजिस्ट्रेड हों) सरकार द्वारा संचलित आश्रम या भवन शामिल हैं। इण्डस्ट्री सैक्टर को अनुदान में शामिल नहीं किया गया है। हालाँकि इस सेक्टर के लिए अलग से टैक्स रिबेट जैसे बेनिफिट केंद्र सरकार ने तय किए है।

(लेखक परिचय: डॉ. आशीष नड्डा हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर के रहने वाले हैं, वर्तमान में वर्ल्ड बैंक में सोलर एनर्जी कंसल्टेंट हैं। यह आर्टिकल उन्होंने ‘इन हिमाचल’ के आग्रह पर प्रदेश की जनता को सरल शब्दों में सोलर रूफ टॉप पॉलिसी को समझाने के लिए लिखा है। अधिक जानकारी के लिए ‘हिम ऊर्जा’ की वेबसाइट से पॉलिसी डॉक्युमेंट को पढ़ा जा सकता है या हिमऊर्जा से संपर्क किया जा सकता है।)

नोट- लेख में दिए गए आंकड़े स्टैंडर्ड हैं, ये समय, स्थान और अन्य कारणों से बदल सकते हैं

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