ये हैं 2016 के असली हीरो, जिन्हें हिमाचल कभी नहीं भुला सकता

साल के आखिर में हमने सबको याद कर लिया। कौन सी घटनाएं, कौन से गाने और कौन से लोग चर्चा में रहे। कहीं कुछ छूट तो नहीं गया?

साल के आखिर में जब हम सोचते हैं कि हमने इस साल क्या खोया, क्या पाया; तब दरअसल हम सिर्फ अपने बारे में सोच रहे होते हैं। मगर इससे बढ़कर भी कुछ है, जिसे याद किया जाना चाहिए। याद करना छोड़िए, हमें उसे कभी भूलना ही नहीं चाहिए। वह याद, वह स्मृति तो हमेशा दिल में रहनी चाहिए।

हम बात कर रहे हैं प्रदेश के उन वीर जवानों की, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। कुछ सीमा रेखा पर पाकिस्तानी सेना को मुंहतोड़ जवाब देते हुए शहीद हुए, कुछ आतंकी हमलों के शिकार हुए, कुछ ने उत्तर-पूर्व के जंगलों में उग्रवादियों से जूझते हुए जान गंवाई तो कुछ ने नक्सलियों से लोहा लेते हुए शहादत पाई।

हमारा हृदय उन परिवारों के लिए द्रवित है, जो इस साल का जश्न नहीं मना पाएंगे, क्योंकि उन्होंने अपनों को खोया है। बात सिर्फ सेना के जवानों या अर्धसैनिक बलों या पुलिसवालों की नहीं है, उन लोगों की भी है जिन्होंने परहित में जान गंवा दी। ऐसे भी मामले आज प्रदेश में देखने को मिले, जहां जंगल की आग बुझाने के चक्कर में लोग जल मरे। कुछ ने अन्य वाहनों को बचाने के चक्कर में बस ऐसे मोड़ी कि खुद हादसे के शिकार हो गए। कुछ तेज जलधारा में बह रहे लोगों को बचाने में बह गए।

ऐसी महान आत्माओं की लिस्ट नहीं बनाई जा सकती। क्योंकि हर किसी की खबर अखबार की सुर्खियों में नहीं आई। ऐसे में कुछ का नाम लिस्ट में लिखना और कुछ को छोड़ देना ठीक नहीं है। इसीलिए हमने शहीदों की लिस्ट बनाना उचित नहीं समझा। मगर देश के लिए सीमा पर जान गंवाने वालों के साथ-साथ हम उन सभी को भी सलाम करते हैं, जिन्होंने कुछ अच्छा करते हुए, अपनी ड्यूटी निभाते हुए कहीं भी जान गंवाई है। फिर वह किसी पुल के निर्माण कार्य में लगा मजदूर हो या लोगों को उनकी मंजिल पर पहुंचाने निकला ड्राइवर। हम उनके परिवारों से भी सहानुभूति रखते हैं।

हम कामना करते हैं कि नया वर्ष सभी के लिए सुरक्षित रहे। किसी परिवार को अपना कोई भी अकाल न खोना पड़े। और हम सब की भी कोशिश होनी चाहिए कि हम अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए चलें। प्रदेश और देश को आगे ले जाएं। नए साल की शुभकामनाएं।

जय हिंद।

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