जयराम ठाकुर: जानें, कैसे CM पद तक पहुंचा गरीब किसान का बेटा

इन हिमाचल डेस्क।। मंडी जिले का सिराज विधानसभा क्षेत्र। इस विधानसभा क्षेत्र को प्रकृति ने सुंदरता का अपार भंडार बख्शा है। इसी विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत मुराहग के तांदी गांव में है हिमाचल के मुख्जयमंत्री जय राम ठाकुर का घर। 6 जनवरी 1965 को जेठू राम और बृकु देवी के घर जन्मे जय राम ठाकुर का बचपन गरीबी में कटा। परिवार में 3 भाई और 2 बहनें थीं। पिता खेतीबाड़ी और मजदूरी करके अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। जय राम ठाकुर तीन भाईयों में सबसे छोटे हैं इसलिए उनकी पढ़ाई-लिखाई में परिवार वालों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। जय राम ठाकुर ने कुराणी स्कूल से प्राइमरी करने के बाद बगस्याड़ स्कूल से उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वह मंडी आए और यहां से बीए करने के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से एमए की पढ़ाई पूरी की।

 

परिवार ने खेतीबाड़ी संभालने की सलाह दी
जय राम ठाकुर को पढ़ा चुके अध्यापक लालू राम बताते हैं कि जय राम ठाकुर बचपन से ही पढ़ाई में काफी तेज थे। अध्यापक भी यही सोचते थे कि जय राम ठाकुर किसी अच्छी पोस्ट पर जरूर जाएंगे। लेकिन अध्यापकों को यह मालूम नहीं था कि उनका स्टूडेंट प्रदेश की राजनीति का इतना चमकता सितारा बन जाएगा। जब जय राम ठाकुर वल्लभ कालेज मंडी से बीए की पढ़ाई कर रहे थे तो उन्होंने एबीवीपी के माध्यम से छात्र राजनीति में प्रवेश किया। यहीं से शुरूआत हुई जय राम ठाकुर के राजनीतिक जीवन की। जय राम ठाकुर ने इसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा। एबीवीपी के साथ-साथ संघ के साथ भी जुड़े और कार्य करते रहे।

 

घर परिवार से दूर जम्मू-कश्मीर जाकर एबीवीपी का प्रचार किया और 1992 को वापिस घर लौटे। घर लौटने के बाद वर्ष 1993 में जय राम ठाकुर को भाजपा ने सराज विधानसभा क्षेत्र से टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार दिया। जब घरवालों को इस बात का पता चला तो उन्होंने इसका विरोध किया। जय राम ठाकुर के बड़े भाई बीरी सिंह बताते हैं कि परिवार के सदस्यों ने जय राम ठाकुर को राजनीति में न जाकर घर की खेतीबाड़ी संभालने की सलाह दी थी। क्योंकि चुनाव लड़ने के लिए परिवार की आर्थिक स्थिति इजाजत नहीं दे रही थी।

विधानसभा चुनावों में हार का मुंह नहीं देखा
जय राम ठाकुर ने अपने दम पर राजनीति में डटे रहने का निर्णय लिया और विधानसभा का चुनाव लड़ा। उस वक्त जय राम ठाकुर मात्र 26 वर्ष के थे। यह चुनाव जय राम ठाकुर हार गए। वर्ष 1998 में भाजपा ने फिर से जय राम ठाकुर को चुनावी रण में उतारा। इस बार जय राम ठाकुर ने जीत हासिल की और उसके बाद कभी विधानसभा चुनावों में हार का मुहं नहीं देखा। जय राम ठाकुर विधायक बनने के बाद भी अपनी सादगी से दूर नहीं हुए। जय राम ठाकुर ने विधायकी मिलने के बाद भी अपना वो पुश्तैनी कमरा नहीं छोड़ा जहां उन्होंने अपने कठिन दिन बीताए थे। जय राम ठाकुर अपने पुश्तैनी घर में ही रहे। हालांकि अब जय राम ठाकुर ने एक आलीशान घर बना लिया है और वह परिवार सहित वहां पर रहने भी लग गए हैं लेकिन शादी के बाद भी जय राम ठाकुर ने अपने नए जीवन की शुरूआत पुश्तैनी घर से ही की।

 

वर्ष 1995 में उन्होंने जयपुर की डा. साधना सिंह के साथ शादी की। जय राम ठाकुर की दो बेटियां हैं। आज अपने बेटे को इस मुकाम पर देखकर माता का दिल फुले नहीं समाता। जय राम ठाकुर के पिता जेठू राम का गत वर्ष देहांत हो गया है। जय राम ठाकुर की माता बृकु देवी ने बताया कि उन्होंने विपरित परिस्थितियों में अपने बच्चों की परवरिश की है।

पहले भी रहे हैं महत्वपूर्ण पदों पर
जय राम ठाकुर एक बार सराज मंडल भाजपा के अध्यक्ष, एक बार प्रदेशाध्यक्ष, राज्य खाद्य आपूति बोर्ड के उपाध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। जब जय राम ठाकुर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष थे तो भाजपा प्रचंड बहुमत के साथ सत्ता में आई थी। जय राम ठाकुर ने उस दौरान सभी नेताओं पर अपनी जबरदस्त पकड़ बनाकर रखी थी और पार्टी को एकजुट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।

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