स्वाइन फ्लू से डरिए मत, बस ये कदम उठाइए और सुरक्षित रहिए

इन हिमाचल डेस्क।। पूरे देश, खासकर उत्तरी भारत में इन दिनों स्वाइन फ्लू का आतंक देखने को मिल रहा है। हिमाचल प्रदेश में भी इस साल स्वाइन फ्लू के मामले सामने आए हैं और कुछ लोगों की जान भी गई है। पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह भी कथित तौर पर स्वाइन फ्लू का इलाज करवाकर घर लौटे हैं।

जाहिर है, सर्दियों के मौसम में कई तरह के फ्लू के बीच आजकल स्वाइन फ्लू का फैलना आम हो गया है। यह अन्य फ्लू की तरह कुछ समय में ठीक हो जाता है मगर कई बार सही देखभाल न होने के कारण तो कई बार लापरवाही के कारण मरीज की जान जा सकती है। इसलिए जरूरी है कि लक्षणो की पहचान करके सही समय पर जांच करवाने के बाद डॉक्टरी मदद ली जाए।

ऐसे पहचानें, ये हैं लक्षण:
बुखार और खांसी, गला खराब, नाक बहना या बंद होना, सांस लेने में तकलीफ और बदन दर्द, सिर दर्द, थकान, ठिठुरन, दस्त, उल्टी, बलगम में खून आना इत्यादि स्वाइन फ्लू के सामान्य लक्षण हो सकते हैं। तबीयत ज्यादा खराब लगे तो लापरवाही न बरतें, अस्पताल जाकर डॉक्टर को जरूर दिखाएं।

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स्वाइन फ्लू को गंभीरता के आधार पर मुख्यत: तीन श्रेणियों में बांटा गया है- A, B और C

कैटिगरी-A
बुखार, खांसी, सर्दी, शरीर में दर्द होना व थकान महसूस होना माइल्ड स्वाइन फ्लू के लक्षण हैं। इसमें इलाज लक्षणों पर आधारित होता है। ऐसे लक्षणों में टैमीफ्लू दवा लेने की या जांच की जरूरत नहीं होती

कैटिगरी-B
इस श्रेणी के मरीजों में माइल्ड स्वाइन फ्लू के लक्षणों के अलावा तेज बुखार और गले में तेज दर्द होता है या मरीज में माइल्ड स्वाइन फ्लू के लक्षणों के साथ, हाई रिस्क कंडीशन कैटिगरी है तो रोगी को स्वाइन फ्लू की दवा टैमीफ्लू दी जाती है। हाई रिस्क कैटिगरी में छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, 65 साल या उससे अधिक उम्र के व्यक्ति, फेफड़े की बीमारी, दिल की बीमारी, किडनी की बीमारी, डायबीटीज, कैंसर से पीड़ित लोग आते हैं।

कैटिगरी-C
इस श्रेणी के लोगों में स्वाइन फ्लू के ऊपर लिखे लक्षणों के अतिरिक्त ये गंभीर लक्षण भी मिलते हैं जैसे सांस लेने में दिक्कत, छाती में तेज दर्द, गफलत में जाना, ब्लड प्रेशर कम होना, बलगम में खून आना, नाखून नीले पड़ जाना। इस श्रेणी से संबंधित सभी रोगियों को अस्पताल में भर्ती करना चाहिए और रोगी को अकेले में रखा जाता है। रोगी को स्वाइन फ्लू की दवा टैमिफ्लू दी जाती है और जांच भी जरूरी है।

स्वाइन फ्लू से जुड़े 5 मिथक

बचाव कैसे हो?
– खांसने और छींकने के दौरान अपनी नाक व मुंह को कपड़े या रुमाल से जरूर ढकें
– अपने हाथों को साबुन व पानी से नियमित रूप से धोएं
– भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचें
– फ्लू से संक्रमित हों तो घर पर ही आराम करें
– फ्लू से संक्रमित व्यक्ति से एक हाथ तक की दूरी बनाए रखें
-पर्याप्त नींद और आराम लें, पर्याप्त मात्रा में पानी-तरल पदार्थ पिएं और पोषक आहार खाएं
– फ्लू से संक्रमण का संदेह हो तो डॉक्टर को दिखाएं

क्या नहीं करना चाहिए
– गंदे हाथों से आंख, नाक या मुंह को छूना, सार्वजनिक स्थानों पर थूकना
– किसी को मिलने के दौरान गले लगना, चूमना या हाथ मिलाना
– बिना डॉक्टर को दिखाए दवाएं लेना
– इस्तेमाल किए हुए नैपकिन, टिशू पेपर इत्यादि खुले में फेंकना
– फ्लू वायरस से दूषित रेलिंग, दरवाजे आदि को न छूएं
– सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करना

गलत जानकारियों से बचें

  1. भारत में स्वाइन फ्लू की दवाओं की कमी है

सच: स्वाइन फ्लू से प्रभावित लोगों में से 1 प्रतिशत से भी कम लोगों को इलाज के लिए दवा की जरूरत होती है। हमारे देश के पास 60,000 वयस्क लोगों की और 1.000 बच्चों की खुराक स्टॉक में मौजूद है। साथ ही 3 फार्मा कंपनियां ऐसी हैं जो शॉर्ट नोटिस पर दवा तैयार कर सकती हैं।

2. सुअर का मांस खाने से होता है स्वाइन फ्लू

सच: भले ही बीमारी के नाम का सुअर से गहरा संबंध हो, लेकिन इसके बावजूद सुअर का मांस खाने से स्वाइन फ्लू नहीं फैलता। यह फ्लू मरीज की खांसी और छींक के संपर्क में आने से फैलती है।

3. स्वाइन फ्लू का वायरस अपना रूप-रंग बदल चुका है

सच: पुणे और दिल्ली की लैब्स ने पिछले हफ्ते ही रिसर्च में यह साबित किया है कि इस बार का वायरस भी पिछली बार के वायरस की तरह ही है। इसका मतलब उसके इलाज के लिए वही दवाएं कारगर हैं, जो पिछली बार थीं।

4. स्वाइन फ्लू केवल एक बार होता है

सच: दूसरे फ्लू की तरह आप स्वाइन फ्लू से भी बार-बार संक्रमित हो सकते हैं। इसकी वैक्सीन 1 साल तक ही आपको इस बीमारी से बचाती है।

5. स्वाइन फ्लू का कोई इलाज नहीं है

सच: अगर बीमारी के लक्षण दिखने के 48 घंटे के अंदर ही एंटि-वायरल ड्रग ऑसेल्टामिविर (टेमीफ्लू) की डोज ले ली जाए, तो इससे न केवल बीमारी की अवधि और तीव्रता कम होती है, बल्कि इससे आपकी दूसरों को संक्रमित करने की क्षमता भी कम होती है।

स्रोत: एनबीटी

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