नशा न किया जाए तो इंसान के लिए कुदरत का वरदान है भांग

इन हिमाचल डेस्क।। इस बात में कोई शक नहीं है कि भांग, चरस या गांजे की लत शरीर को नुकसान पहुंचाती है. लेकिन इसकी सही डोज कई बीमारियों से बचा सकती है. इसकी पुष्टि विज्ञान भी कर चुका है.

ध्यान रहे, डोज का मतलब नशे की डोज नहीं बल्कि डॉक्टर की सलाह और देखरेख में ली जाने वाले भांग के औषधीय स्वरूप से है। इसलिए नशेड़ी भांग के औषधीय फायदों को अपने बचाव में या अपनी लत को जस्टिफाइ करने में न गिनाएं। वैसे भी भारत में भांग अभी औषधीय उद्देश्य से इस्तेमाल नहीं की जा रही और न ही आप किसी बीमारी के इलाज के लिए भांग के उत्पादों का सेवन कर रहे हैं।

तो डालिए एक नजर शोध से पता चले भांग के 10 फायदों पर-

1. मिर्गी से बचाव
2013 में वर्जीनिया की कॉमनवेल्थ यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने यह साबित किया कि गांजे में मिलने वाले तत्व एपिलेप्सी अटैक को टाल सकते हैं. यह शोध साइंस पत्रिका में भी छपा. रिपोर्ट के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स कंपाउंड इंसान को शांति का अहसास देने वाले मस्तिष्क के हिस्से की कोशिकाओं को जोड़ते हैं.

2. ग्लूकोमा में राहत
अमेरिका के नेशनल आई इंस्टीट्यूट के मुताबिक भांग ग्लूकोमा के लक्षण खत्म करती है. इस बीमारी में आंख का तारा बड़ा हो जाता है और दृष्टि से जुड़ी तंत्रिकाओं को दबाने लगता है. इससे नजर की समस्या आती है. गांजा ऑप्टिक नर्व से दबाव हटाता है.

3. अल्जाइमर के खिलाफ
अल्जाइमर से जुड़ी पत्रिका में छपे शोध के मुताबिक भांग के पौधे में मिलने वाले टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल की छोटी खुराक एमिलॉयड के विकास को धीमा करती है. एमिलॉयड मस्तिष्क की कोशिकाओं को मारता है और अल्जाइमर के लिए जिम्मेदार होता है. रिसर्च के दौरान भांग का तेल इस्तेमाल किया गया.

4. कैंसर पर असर
2015 में आखिरकार अमेरिकी सरकार ने माना कि भांग कैंसर से लड़ने में सक्षम है. अमेरिका की सरकारी वेबसाइट cancer.org के मुताबिक कैनाबिनॉएड्स तत्व कैंसर कोशिकाओं को मारने में सक्षम हैं. यह ट्यूमर के विकास के लिए जरूरी रक्त कोशिकाओं को रोक देते हैं. कैनाबिनॉएड्स से कोलन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर और लिवर कैंसर का सफल इलाज होता है.

5. कीमोथैरेपी में कारगर
कई शोधों में यह साफ हो चुका है कि भांग के सही इस्तेमाल से कीमथोरैपी के साइड इफेक्ट्स जैसे, नाक बहना, उल्टी और भूख न लगना दूर होते हैं. अमेरिका में दवाओं को मंजूरी देने वाली एजेंसी एफडीए ने कई साल पहले ही कीमोथैरेपी ले रहे कैंसर के मरीजों को कैनाबिनॉएड्स वाली दवाएं देने की मंजूरी दे दी है.

 

6. प्रतिरोधी तंत्र की बीमारियों से राहत
कभी कभार हमारा प्रतिरोधी तंत्र रोगों से लड़ते हुए स्वस्थ कोशिकाओं को भी मारने लगता है. इससे अंगों में इंफेक्शन फैल जाता है. इसे ऑटोएम्यून बीमारी कहते हैं. 2014 में साउथ कैरोलाइना यूनिवर्सिटी ने यह साबित किया कि भांग में मिलने वाला टीएचसी, संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार मॉलिक्यूल का डीएनए बदल देता है. तब से ऑटोएम्यून के मरीजों को भांग की खुराक दी जाती है.

7. दिमाग की रक्षा
नॉटिंगम यूनिवर्सिटी के रिसर्चरों ने साबित किया है कि भांग स्ट्रोक की स्थिति में मस्तिष्क को नुकसान से बचाती है. भांग स्ट्रोक के असर को दिमाग के कुछ ही हिस्सों में सीमित कर देती है.

8. एमएस से बचाव
मल्टीपल स्क्लेरोसिस भी प्रतिरोधी तंत्र की गड़बड़ी से होने वाली बीमारी है. फिलहाल यह असाध्य है. इसके मरीजों में नसों को सुरक्षा देने वाली फैटी लेयर क्षतिग्रस्त हो जाती है. धीरे धीरे नसें कड़ी होने लगती हैं और बेतहाशा दर्द होने लगता है. कनाडा की मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक भांग एमएस के रोगियों को गश खाने से बचा सकती है.

9.दर्द निवारक
शुगर से पीड़ित ज्यादातर लोगों के हाथ या पैरों की तंत्रिकाएं नुकसान झेलती हैं. इससे बदन के कुछ हिस्से में जलन का अनुभव होता है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी की रिसर्च में पता चला कि इससे नर्व डैमेज होने से उठने वाले दर्द में भांग आराम देती है. हालांकि अमेरिका के एफडीए ने शुगर के रोगियों को अभी तक भांग थेरेपी की इजाजत नहीं दी है.

10. हैपेटाइटिस सी के साइड इफेक्ट से आराम
थकान, नाक बहना, मांसपेशियों में दर्द, भूख न लगना और अवसाद, ये हैपेटाइटिस सी के इलाज में सामने आने वाले साइड इफेक्ट हैं. यूरोपियन जरनल ऑफ गैस्ट्रोलॉजी एंड हेपाटोलॉजी के मुताबिक भांग की मदद से 86 फीसदी मरीज हैपेटाइटिस सी का इलाज पूरा करवा सके. माना गया कि भांग ने साइड इफेक्ट्स को कम किया.

स्रोत: DW

हिमाचल को मालामाल कर सकती हैं इंडस्ट्रियल भांग की खेती

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