जब अर्की से कांग्रेस ने ‘सोनिया के कुक के बेटे’ को दिया था टिकट

सोलन।। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह अब अर्की से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। जब मीडिया उनसे सवाल पूछ रहा है कि क्या आपने सेफ होने की वजह से ठियोग के बजाय अर्की चुना, तो इसके जवाब में वह बोलते हैं- अर्की से तो कांग्रेस दो बार से हारती आ रही है, फिर यह सीट सेफ कैसे हुई।

यह सच है कि दो बार से यह सीट कांग्रेस हार रही है। मगर पहले ऐसा नहीं था। हार का यह सिलसिला तब शुरू हुआ जब कांग्रेस ने यहां के दिग्गज कांग्रेसी नेता धर्मपाल ठाकुर का टिकट काटकर उस शख्स को उम्मीदवार बना दिया, जिसका ज़मीन पर उस वक़्त कोई आधार नहीं था। मीडिया में सुर्खियां थीं- कांग्रेस ने सोनिया के कुक के बेटे को दिया टिकट। दरअसल जिन्हें कांग्रेस ने टिकट दिया था, उनके परिवार की दो पीढियां नेहरू-गांधी परिवार के लिए काम चुकी थीं।

सोनिया के कुक थे राम प्रकाश के पिता
बात है 2007 विधानसभा चुनाव की। कांग्रेस ने अर्की से प्रकाश चंद कराड़ को टिकट दिया, जिनकी उम्र उस वक़्त 37 साल थी। उनके पिता पदम राम पहले इंदिरा गांधी के कुक रहे, फिर राजीव के और फिर सोनिया गांधी के। वह विदेश मंत्रालय में काम करते थे मगर 70 के दशक में नेहरू-गांधी परिवार के यहां कुक नियुक्त हुए। 2002 में ही वह रिटायर हो गए थे मगर 10 जनपथ से उनके अच्छे रिश्ते रहे। उन्होंने डीएनए को बताया था कि उनके पिता भी नेहरू जी के यहां खाने-पीने की चीजें सप्लाई किया करते थे। कांग्रेस ने उन्हें यह यह टिकट तीन बार MLA और विधानसभा उपाध्यक्ष रहे धर्मपाल ठाकुर की जगह दिया था, जिन्होंने पंचायत स्तर से राजनीति की शुरुआत की थी।

निर्दलीय लड़े थे धर्मपाल ठाकुर
टिकट कटने से धर्मपाल ठाकुर को झटका लगा था। उन्होंने इसे अन्याय करार दिया था। अर्की ब्लॉक के कांग्रेस, एनएसयूआई, सेवा दल और महिला कांग्रेस आदि के कई पदाधिकारियों ने कराड़ को टिकट देने से नाराज़ होकर अपना इस्तीफा भेज दिया था। धर्मपाल ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया और कहा- कराड़ ज़मानत भी नहीं बचा पाएंगे।

कांग्रेस उम्मीदवार तीसरे नम्बर पर रहा
चुनाव के नतीजे आये तो बीजेपी के गोविंद राम जीत गए और निर्दलीय लड़े धर्मपाल ठाकुर दूसरे नम्बर पर रहे। कांग्रेस के उम्मीदवार प्रकाश चन्द कराड़ तीसरे नम्बर पर रहे और दस हज़ार वोट भी नहीं ले पाए। मगर कांग्रेस के वोट कटने का नतीजा ये रहा कि बीजेपी जीत गई। बीजेपी को 21168 वोट मिले, धर्मपाल को 14481 और कांग्रेस को सिर्फ 7569.

ऐतिहासिक शहर है अर्की

आखिर में पार्टी से निकाल दिए गए थे धर्मपाल
धर्मपाल ठाकुर ने 1978 में राजनीतिक जीवन शुरू किया था। सबसे पहले अर्की के युवा कांग्रेस प्रधान बने थे। 1990 से लेकर 2007 तक लगातार अर्की का बतौर विधायक प्रतिनिधित्व किया, मगर 2007 में उनका टिकट काट दिया गया। ताउम्र पार्टी के लिए काम करने वाले धर्मपाल ठाकुर को निर्दलीय लड़ने की वजह से कांग्रेस ने पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगाकर निकाल दिया था। कहते हैं यह सदमा उन्हें बहुत गहरा लगा था। चुनाव के अगले साल 2008 नवंबर में हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया।

इस तरह से इस सीट से धर्मपाल जैसे दिग्गज कांग्रेस नेता के जाने के बाद एक वैक्यूम सा बन गया, जिससे बीजेपी को सीधा फायदा हुआ। 2007 के बाद 2012 में भी बीजेपी की जीत हुई। मगर अब वीरभद्र फिर से धर्मपाल वाला करिश्मा दोहराना चाहते हैं और यहां से जीतकर विधानसभा पहुंचना चाहते हैं।

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