कौन था आधी रात को झरने के पास मिला सफेद कपड़ों वाला लंबा सा आदमी?

#HorrorEncounterSeason2 मेरा नाम अक्षय वर्मा है और मैं शिमला से हूं। बात साल 2009 की है जब मैं 7th क्लास में था। आज भी मुझे अच्छी तरह याद है मैं और मेरी छोटी बहन घर में अकेले थे। हमारी किरायेदार जिनका नाम सपना है, उन्हें रात को हमारे साथ रहने के लिए रखा गया था क्योंकि ममी-पापा गांव गए हुए थे। हमें नींद नहीं आ रही थी। रात को हम बातें कर रहे थे और टीवी देख रहे थे। 12.30 बज गए रात को दीदी ने कहा कि सो जाते हैं, टाइम बहुत हो गया। उन्होंने कहा कि ये टाइम भूतों का होता है रात 12 से 3 बजे तक। हम भी डर गए लेकिन मेरी छोटी बहन बड़ी शैतान थी। उसने कहा कि कोई किस्सा सुना दो भूतों का, हमें नींद नहीं आ रही। दीदी मना किया मगर हम जिद पर अड़े रहे। फिर उन्होंने उनके चाचा जी के साथ गांव में हुई घटना हमें सुनाई।

सपना दीदी के चाचा राम सिंह ठाकुर अपनी पत्नी के साथ ससुराल गए हुए थे जो कि उनके घर से थोड़ी ही दूरी पर है। कुछ ही किलोमीटर। गांव के लोग आसपास के गांव में ही शादियां करते थे उन दिनों ताकि आना-जाना आसान रहे और रीति-रिवाजों में भी दिक्कत न हो। तो रात को 11-12 हज रहे होंगे जब वो अपने घर चलने लगे। उन्होंने पत्नी से कहा कि तुम सुबह आ जाना मैं चलता हूं क्योंकि बच्चे घर पर अकेले हैं। सबने कहा कि मत जाओ मगर वे चल दिए।

आसमान में चांदनी के सहारे चलते जा रहे थे। चलते-चलते थक गए तो रास्ते में एक पानी के झरने के पास आराम करने बैठ गए। वहां उन्हें सफेद कपड़ों में लंबा सा कोई इंसान दिखा। हिम्मत तो काफी थी उनमें। उन्होंने रौब भरी आाज में पूछ डाला- कौन है भाई कहां जा रहा है? उधर से आवाज आई- जहां तुम्हें जाना है।

राम सिंह जी का गांव राणाघाट जो कि तहसील राजगढ़, जिला सिरमौर के थे, उनके गांव में मां काली का मंदिर था। उन्होने जवाब दिया कि चल फिर, तुझे आज काली माता के मंदिर ले जाता हूं, चल मेरे साथ। ये बोलकर वो आगे बढ़ गए। थोड़ी देर में उन्होंने देखा कि सफेद कपड़ो वाला उनके आगे चल रहा है। यह देखकर वो रुक गए। पता नहीं उन्हें क्या लप चढ़ी की दौड़कर आगे गए और सफेद कपड़े वाले को पकड़कर गांव की तरफ खींचने लगे। इसके बाद उन्हें जाने क्या हुआ कि बेहोश हो गए। थोड़ी देर बाद उन्हें होश आया तो देखा कि आसपास कोई नहीं है। वह उठे और अपने घर चले गए।

सुबह होते ही वह अपने घर से निकले और जो भी जानकार मिले, उससे कहते- मैं जा रहा हूं, मेरे बच्चों का ख्याल रखना। पड़ोसियों को ये बात अजीब लगी तो उन्होंने राम सिंह जी के बड़े भाई को बताई कि ऐसे वो निकल गया है ऐसी बातें करके। तो राम सिंह के बड़े भाई और हमें कहानी सुना रही दीदी के पिता स्कूटर लेकर उस तरफ चले जहां उनका छोटा भाई गया हुआ था। आधे रास्ते में उन्होंने देखा कि उनका भाई राम सिंह रास्ते में पागलों की तरह व्यवहार कर रहा है। उसे उन्होंने रोका औऱ जैसे-तैसे स्कूटर पर बिठाने की कोशिश करने लगे पर वह नहीं माने। पूरा गांव इकट्ठा हो गया और उन दोनों की बुजुर्ग मां भी वहां आ गई।

मां ने कड़क स्वर में कहा, “तूने जाना है तो जा, मैं तुझे अपने बेटे को नहीं ले जाने दूंगी।’ दरअसल मां को अहसास हो गया था कि उनका बेटा किसी और ताकत के वश में है। यह संवाद उस ताकत के लिए ही था। इतने में मां को काली माता की खेल आई (माता आना) और उन्होंने राम सिंह का सिर पकड़कर अपने कदमों में झुका दिया। इससे पहले उस बुजुर्ग महिला को खेल आने की कोई हिस्ट्री नहीं थी। तो जैसे ही मां ने ऐसा किया, भी सिंह चिल्लाने लगा कि मुझे जाने दो। इतने में गांव के लोग पकड़कर घर ले गए और रस्सियों से बांध दिया गया राम सिंह को। कहीं अकेले नहीं जाने दिया जाता।

उन्हें नॉर्मल होने में कई साल लगे। न जाने कितनी तांत्रिक आए, कितने उपाय किए गए उनके अंदर से उस रूह को निकालने के लिए। पर वो कहते हैं न कि भगवान के घर में देर है, अंधेर नहीं। वह अब ठीक हो चुके हैं। एकदम सामान्य, जैसे वह इस घटनाक्रम से पहले थे।

तो दीदी ने यह कहानी सुनाई और हम सब डर के मारे दुबककर सो गए।

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(लेखक का नाम हमने नहीं बदला है मगर अन्य पात्रों का नाम बदल दिया है )

DISCLAIMER: इन हिमाचल का मकसद अंधविश्वास को बढ़ावा देना नहीं है। हम लोगों की आपबीती को प्रकाशित कर रहे हैं, ताकि अन्य लोग उसे कम से कम मनोरंजन के तौर पर ही ले सकें और उनके पीछे की वैज्ञानिक वजहों पर चर्चा कर सकें।

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