ठियोग में डोला वीरभद्र का आत्मविश्वास, दोबारा अर्की से लड़ने के संकेत

शिमला।। इस बीच जहां कांग्रेस इस बात को लेकर माथापच्ची कर रही है कि कहां से किसे उतारा जाए, मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह खुद अपनी सीट तय नहीं कर पाए हैं। पिछले ही दिनों ठियोग से लड़ने का ऐलान करने वाले मुख्यमंत्री ने एक बार फिर कहा है कि वह अर्की से चुनाव लड़ सकते हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि वीरभद्र सिंह अब ठियोग से लड़ने को लेकर आश्वस्त नहीं हैं? वह भी तब, जब वह खुद इसका ऐलान कर चुके थे और रविवार को विद्या स्टोक्स समेत कई कांग्रेस नेता उन्हें ठियोग से लड़ने का ‘न्योता’ भी दे चुके थे।

 

इंग्लिश अखबार द ट्रिब्यून से बात करते हुए वीरभद्र सिंह ने कहा, “मैं अर्की से लड़ने की भी सोच रहा हूं, जहां से हम लगातार दो टर्म्स से हारते आ रहे हैं। मैं जल्द ही अपनी सीट तय करूंगा। मगर मैं या तो अर्की से लड़ूंगा या फिर ठियोग से। दोनों से नहीं लड़ूंगा।”

 

कांग्रेस के बागी बने परेशानी
दरअसल वीरभद्र के अचानक ठियोग से चुनाव लड़ने की घोषणा के बाद कांग्रेस के एक धड़े ने नाराजगी जताते हुए कहा था कि इस तरह  का फैसला लेने से पहले पुराने कांग्रेसियों को विश्वास में लेना चाहिए था। उन्होंने यह भी कहा था कि संगठन हें भेड़-बकरियों की तरह नहीं हांक सकता। उन्होंने सोमवार को एक बैठक भी की। नाराज कांग्रेसियों ने तय किया है कि वे सीपीएम उम्मीदवार को समर्थन करेंगे।

मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह (File Pic)

ठियोग में कड़ी चुनौती
ठियोग में पिछली बार विद्या स्टोक्स को बीजेपी उम्मीदवार राकेश वर्मा ने कड़ी चुनौती दी थी। वह करीब 3500 वोटों के मार्जन से ही जीत पाई थीं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जब वह खुद नहीं लड़ेंगी तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि उनका पारंपरिक वोट कांग्रेस के उम्मीदवार की तरफ ही शिफ्ट होगा।

विद्या स्टोक्स

दरअसल ‘मैड स्टोक्स’ का इलाके में अपना रुतबा है और उनके अपने वोट हैं। साथ ही वीरभद्र सिंह से उनकी राइवलरी भी जगजाहिर रही है। ऊपर से उन नाराज कांग्रेसियों का गुस्सा भी झेलना पड़ सकता है जो ऐलान कर चुके हैं कि वे पार्टी के साथ खड़े नहीं होंगे।

 

राकेश सिंघा का प्रभाव
इसके साथ ही यहां से चुनाव लड़ने जा रहे सीपीएम नेता राकेश सिंघा का शिमला और आसपास के इलाकों में अच्छी पहचान है। वह अच्छे खासे वोट भी बटोरते रहे हैं  और शिमला से विधायक भी रह चुके हैं। उनकी युवाओं में भी अच्छी पकड़ है। ऐसे में उनकी तरफ जो वोट आएंगे, वे कांग्रेस के पारंपरिक वोट ज्यादा होंगे।

राकेश सिंघा की युवा वर्ग में भी अच्छी-खासी लोकप्रियता है।

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इन तमाम फैक्टर्स को ध्यान में रखें तो स्टोक्स के अलावा किसी और के लिए कांग्रेस के लिए सीट निकालना यहां से आसान नहीं होगा। शायद यही वजह है कि वीरभद्र एक बार फिर अर्की का रुख करने की बात कर रहे हैं।

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